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जैव विविधता और पर्यावरण

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2022

  • 05 May 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व के वनों की स्थिति 2022, एफएओ।

मेन्स के लिये:

भारत में वन संसाधनों की स्थिति और संबंधित चिंताएंँ।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (United Nations Food and Agriculture Organization- FAO) द्वारा स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2022 (SOFO 2022) रिपोर्ट जारी की गई। 

प्रमुख बिंदु 

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स रिपोर्ट के बारे में:

  • इस रिपोर्ट का प्रकाशन द्वि-वार्षिक तौर पर किया जाता है तथा इसे व्यापक रूप से वन पारिस्थितिकी तंत्र पर सबसे महत्त्वपूर्ण डेटा या स्टॉक में से एक के रूप में माना जाता है।
  • SOFO का 2022 संस्करण हरित पुनर्प्राप्ति, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के क्षरण सहित पृथ्वी पर बहुआयामी संकटों से निपटने हेतु तीन वन मार्गों की क्षमता का निरीक्षण करता है। ये हैं:
    • वनों की कटाई को रोकना और वनों को बनाए रखना।
    • निम्नीकृत भूमि को बहाल करना और कृषि वानिकी का विस्तार करना।
    • वनों का सतत् उपयोग और हरित मूल्य शृंखला का निर्माण।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएंँ:

  • वनों का क्षरण:
    • वनों की कटाई के कारण वर्ष 1990 और वर्ष 2020 के बीच 420 मिलियन हेक्टेयर (mha) वन नष्ट हो गए हैं, हालांँकि वन पृथ्वी के भौगोलिक क्षेत्र के 4.06 बिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं। 
      • हालांँकि वनों की कटाई की दर में गिरावट आई है लेकिन वर्ष 2015 और वर्ष 2020 के मध्य हर वर्ष 10 मिलियन हेक्टेयर वन नष्ट हुए है। 
      • वर्ष 2016 से वर्ष 2050 के बीच अकेले उष्णकटिबंध में अनुमानित 289 मिलियन हेक्टेयर वनों की कटाई की जाएगी, यदि अतिरिक्त कार्रवाई नहीं की गई तो इसके परिणामस्वरूप 169 GtCO2e का उत्सर्जन होगा।
        • ग्रीनहाउस गैस का कुल योग वैश्विक वार्षिक CO2 समकक्ष उत्सर्जन (GtCO2e/वर्ष) के आधार पर बिलियन टन के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • संक्रामक रोगों में वृद्धि:
    • 250 उभरते संक्रामक रोगों में से 15% वनों से जुड़े हैं।  
      • उदाहरण: कोविड-19, ड्रग रेसिस्टेंट इन्फेक्शन (रोगाणुरोधी), जीका वायरस आदि।
    • 1960 के बाद से रिपोर्ट की गई 30% नई बीमारियों हेतु वनों की कटाई और भूमि-उपयोग-परिवर्तन को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • गरीबी के स्तर में वृद्धि:
    • अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकने, भूमि उपयोग परिवर्तन से बचने और निगरानी बढ़ाने के आधार पर महामारी को रोकने हेतु वैश्विक रणनीतियों की लागत का अनुमान 22 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 31 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। 
    • कोविड-19 के बाद लगभग 124 मिलियन से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी से ग्रस्त हो गए तथा महामारी के दौरान कुछ देशों में लकड़ी आधारित ईंधन (जैसे- जलाऊ लकड़ी, लकड़ी का कोयला) के उपयोग में वृद्धि हुई है, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की खपत:
    • वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9.7 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे भूमि के लिये प्रतिस्पर्द्धा मे वृद्धि होगी, क्योंकि वर्ष 2050 तक इस बड़ी आबादी के लिये भोजन की मांग 35 से 56% तक बढ़ जाएगी।
    • जनसंख्या के आकार और संपन्नता में वृद्धि के कारण संयुक्त रूप से सभी प्राकृतिक संसाधनों की वार्षिक वैश्विक खपत वर्ष 2017 के 92 बिलियन टन से दोगुना होकर वर्ष 2060 में 190 बिलियन टन होने की उम्मीद है।
      • वार्षिक बायोमास निष्कर्षण (Annual biomass extraction) वर्ष  2017 में 24 अरब टन से बढ़कर वर्ष 2060 तक 44 अरब टन तक पहुँचने की उम्मीद है।
      • मुख्य रूप से निर्माण और पैकेजिंग के कारण वन आधारित बायोमास की मांग में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।
  • वनों पर जीडीपी की निर्भरता:
    • यह अनुमान है कि दुनिया के आधे से अधिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) (वर्ष 2020 में 84.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) जंगलों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर मामूली रूप से (प्रतिवर्ष 31 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) या अत्यधिक (प्रतिवर्ष 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) निर्भर करता है।
      • पारिस्थितिक तंत्र सेवाएँ मानव जीवन को संभव बनाती हैं, उदाहरण के लिये पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी प्रदान करना, रोग एवं जलवायु को नियंत्रित करना, फसलों के परागण तथा मिट्टी के निर्माण का समर्थन करना व मनोरंजक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्रदान करना इसमें शामिल हैं।

सुझाव:

  • संरक्षण, बहाली और कृषि वानिकी:
    • वन संरक्षण (जैसे कि अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकना और भूमि-उपयोग परिवर्तन से बचना) भविष्य मे आने वाली महामारी तथा लागत नुकसान का एक अंश है जो कि वास्तविक महामारी का कारण होगा, को रोकने में मदद कर सकता है।
    • कृषि वानिकी में जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और यहाँ तक कि फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की विशेष संभावनाएँ हैं।
  • सतत् उपयोग:
    • वन उत्पादों को शामिल करने वाली आपूर्ति शृंखला सतत् विकास को वास्तविकता प्रदान करने का एक और तरीका है, विशेष रूप से दुनिया की आबादी वर्ष 2060 तक दोगुनी होने का अनुमान है जिसके तहत प्राकृतिक संसाधनों की मांग दोगुनी होकर 190 बिलियन मीट्रिक टन हो जाएगी।
  • वित्तपोषण: 
    • वित्तपोषण में भारी वृद्धि के लिये विशेष रूप से वर्ष 2030 तक तीन गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी।
      • उदाहरण के लिये वनों की स्थापना और रखरखाव पर वर्ष 2050 तक प्रत्येक वर्ष 203 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च हो सकता है।
  • स्थानीय निर्माताओं द्वारा संगठनों का समर्थन:
    • छोटे समुदायों और स्वदेशी समूहों को अपने वनों का निरंतर प्रबंधन जारी रखने के लिये स्थानीय उत्पादक संगठनों का समर्थन करने के साथ भूमि स्वामित्व अधिकारों की रक्षा करना भी महत्त्वपूर्ण है।
      • इसके लिये सरकारें छोटे किसानों को उनके वृक्ष उत्पादों पर दीर्घकालिक अधिकार प्रदान कर सकती हैं, जिससे कृषि वानिकी के ज़ोखिम को कम करने के साथ-साथ प्रथागत भूमि अधिकारों की मान्यता को औपचारिक रूप प्रदान करने में मदद मिलेगी।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO): 

'वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. इसे पहली बार 2014 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में समर्थन दिया गया था।
  2. यह वनों के नुकसान को समाप्त करने के लिये एक वैश्विक समयरेखा का समर्थन करता है।
  3. यह कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय घोषणा है।
  4. यह सरकारों, बड़ी कंपनियों और स्वदेशी समुदायों द्वारा समर्थित है।
  5. भारत इसकी स्थापना के समय से ही इसके हस्ताक्षरकर्त्ताओं में से एक था।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।  

(a) केवल 1, 2 और 4  
(b) केवल 1, 3 और 5  
(c) केवल 3 और 4  
(d) केवल 2 और 5  

उत्तर: (a) 

  • वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा एक स्वैच्छिक और गैर-कानूनी रूप से बाध्यकारी राजनीतिक घोषणा है जो 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के जलवायु शिखर सम्मेलन द्वारा प्रेरित सरकारों, कंपनियों और नागरिक समाज के बीच संवाद से विकसित हुई है। अतः कथन 1 सही है और कथन 3 सही नहीं है।
  • घोषणापत्र में 2020 तक वनों की कटाई की दर को आधा करने, 2030 तक इसे समाप्त करने और करोड़ों एकड़ भूमि को बहाल करने का वादा किया गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • इस घोषणा में वर्तमान में 200 से अधिक समर्थनकर्त्ता हैं, जिनमें राष्ट्रीय सरकारें, उप-राष्ट्रीय सरकारें, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, स्वदेशी लोग और स्थानीय समुदाय, संगठन, गैर-सरकारी संगठन और वित्तीय संस्थान शामिल हैं। अत: कथन 4 सही है।
  • वनों की स्थापना पर न्यूयॉर्क घोषणा के समय भारत हस्ताक्षरकर्त्ताओं में से एक नहीं था। अत: कथन 5 सही नहीं है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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