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शासन व्यवस्था

जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास हेतु योजना

  • 08 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिये उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) की केंद्रीय क्षेत्रक योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

  • DPIIT वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एक विभाग है।
    • केंद्रीय क्षेत्रक योजना
      • ये योजनाएँ 100 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होती हैं।
      • इनका क्रियान्वयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
      • ये योजनाएँ मुख्यतः संघ सूची के विषय पर बनाई जाती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • लक्ष्य


    • इस योजना का लक्ष्य केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना है। यह भारत सरकार की पहली औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है तथा संपूर्ण केंद्रशासित प्रदेश में स्थायी तथा संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी।
  • लाभार्थी


    • योजना छोटी और बड़ी दोनों तरह की इकाइयों के लिये आकर्षक बनाई गई है।
  • परिव्यय

    • वर्ष 2020-21 से वर्ष 2036-37 की अवधि (कुल 17 वर्ष) के लिये प्रस्तावित योजना का कुल परिव्यय 28,400 करोड़ रुपए है। अभी तक विभिन्न स्पेशल पैकेज योजनाओं के अंतर्गत 1,123.84 करोड़ रुपए दिये जा चुके हैं।
  • योजना के क्रियान्वयन में जम्मू-कश्मीर की भूमिका


    • योजना हेतु पंजीकरण और क्रियान्वयन के लिये केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की व्यापक भूमिका निर्धारित की गई है। इसके तहत दावे स्वीकृत करने से पूर्व स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी द्वारा उचित नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की जाएगी।
  • योजना के तहत प्रोत्साहन


    • पूँजी निवेश प्रोत्साहन
      • यह संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग) या भवन निर्माण अथवा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों के निर्माण (सेवा क्षेत्र) के मामले में निवेश पर जोन-A में 30 प्रतिशत तथा जोन-B में 50 प्रतिशत की दर पर पूंजी निवेश प्रोत्साहन उपलब्ध कराता है।
        • ज़ोन-B: इसमें दूर-दराज़ के क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा और उन्हें अधिक प्रोत्साहन प्राप्त होगा ताकि दूर-दराज़ के क्षेत्रों तथा प्रमुख शहरों में विकास के समान अवसर सुनिश्चित किये जा सकें।
        • ज़ोन-A: इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जो ज़ोन-B में शामिल नहीं हैं।
      • एक पूँजीगत निवेश वह धनराशि होती है, जो किसी व्यवसाय को आगे बढ़ाने या व्यवसाय के लिये दीर्घकालिक संपत्ति खरीदने हेतु प्रयोग की जाती है।
    • पूंजीगत ब्याज छूट:
      • यह संयंत्र, मशीनरी, भवन और अन्य सभी टिकाऊ भौतिक परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये 10 वर्षों हेतु 500 करोड़ रुपए तक के ऋण पर अधिकतम सात वर्षों के लिये 6% की पूंजीगत ब्याज छूट प्रदान करती है।
        • पूंजीगत ब्याज दीर्घकालिक संपत्ति का अधिग्रहण या निर्माण हेतु लिये गए ऋण की लागत होती है।
    • GST संबद्ध प्रोत्साहन:
      • यह सकल वस्तु और सेवा कर (Goods and Services Tax) पर आधारित है।
      • यह वास्तविक निवेश भौतिक संपत्ति (संयंत्र, मशीनरी, भवन आदि) के निर्माण को 300 प्रतिशत तक प्रोत्साहित करेगा।
    • कार्यशील पूंजी ब्याज प्रोत्साहन:
      • यह मौजूदा इकाइयों को 5% की वार्षिक दर से अधिकतम 5 वर्षों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करेगा। प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा 1 करोड़ रुपए है।
        • कार्यशील पूंजी, जिसे निवल कार्यशील पूंजी (Net Working Capital) के रूप में भी जाना जाता है, यह एक कंपनी की मौजूदा परिसंपत्तियों (नकद, प्राप्य खाता- ग्राहकों के अवैतनिक बिल, कच्चा और तैयार माल आदि) और उसकी वर्तमान देनदारियों के बीच का अंतर है।
  • महत्त्व:

    • यह योजना राज्य में नए निवेश को प्रोत्साहित कर उनका पर्याप्त विस्तार करेगी और केंद्रशासित प्रदेश में मौज़ूद उद्योगों का पोषण भी करेगी।
    • साथ ही योजना राज्य के समतामूलक, संतुलित और सतत् सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के अलावा 4.5 लाख लोगों को रोज़गार भी प्रदान करेगी।
  • अन्य पहलें

    • इससे पहले आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) ‘स्वास्थ्य और टेलीमेडिसिन के लिये सामाजिक प्रयास’ (SEHAT) को जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत 520 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की भी मंज़ूरी प्रदान की है।
      • अगस्त 2019 में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के मद्देनज़र संचार के सभी तरीकों को निलंबित/निरसन कर दिया गया था। अंततः सेवाओं की आंशिक पुनः बहाली करते हुए इंटरनेट की गति 2जी (2G) तक सीमित की गई थी।

स्रोत: पी.आई.बी.

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