शासन व्यवस्था
सर्वोच्च न्यायालय ने EVM तथा VVPAT प्रणाली को सही ठहराया
- 29 Apr 2024
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प्रिलिम्स के लिये:इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल, भारत का चुनाव आयोग, सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत का चुनाव आयोग, जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, दिनेश गोस्वामी समिति मेन्स के लिये:भारत में चुनाव सुधार, चुनाव में पारदर्शिता। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया मामलें, 2024 में पेपर मतपत्रों की वापसी को खारिज़ करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) प्रणाली को बरकरार रखा। साथ ही न्यायालय द्वारा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में वर्तमान यादृच्छिक 5% सत्यापन को बनाए रखते हुए, वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के साथ EVM वोटों के 100% क्रॉस-सत्यापन के अनुरोध को खारिज़ कर दिया।
- हालाँकि, न्यायालय ने मौज़ूदा प्रणाली को मज़बूत करने के लिये भारत के चुनाव आयोग (ECI) को कई निर्देश जारी किये।
EVM और VVPAT पर सर्वोच्च न्यायलय की वर्तमान टिप्पणी क्या है?
- मतदान प्रणाली पर प्रश्न उठाने के लिये अपर्याप्त साक्ष्य: न्यायालय ने कई विधिक उदाहरणों का हवाला देते हुये ये तथ्य दिया कि वर्तमान मतदान प्रणाली पर प्रश्न उठाने के लिये साक्ष्य अपर्याप्त हैं, विशेषतः VVPAT के कार्यान्वयन के बाद।
- वर्ष 2013 के सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग के मामले में, न्यायालय ने घोषणा की कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल प्रणाली आवश्यक है।
- इसके उपरांत, वर्ष 2019 में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में VVPAT पर्चियों के साथ EVM वोटों के 50% क्रॉस-सत्यापन की वकालत करने वाली एक याचिका को संबोधित करते हुये, न्यायालय ने प्रति विधानसभा क्षेत्र में VVPAT सत्यापन करने वाले मतदान केंद्रों की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 करने के निर्णय का समर्थन किया।
- EVM माइक्रोकंट्रोलर की तटस्थता: सर्वोच्च न्यायलय ने पाया कि EVM निर्माताओं द्वारा अलग से प्रोग्राम किये गए माइक्रोकंट्रोलर तटस्थ हैं, क्योंकि वे किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेते हैं, बल्कि केवल मतदाताओं द्वारा दबाये गये बटन को रिकॉर्ड करते हैं।
- सर्वोच्च न्यायलय ने यह भी बताया कि EVM के माइक्रोकंट्रोलर या मेमोरी तक पहुँचने का कोई भी अनधिकृत प्रयास अनधिकृत एक्सेस डिटेक्शन मैकेनिज़्म (UADM) को ट्रिगर करता है, जिससे EVM स्थायी रूप से अक्षम हो जाती है।
- EVM में सुरक्षा उपाय: सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डालते हुये, न्यायालय ने कहा कि EVM में स्थापित प्रोग्राम को निर्माण के दौरान सुरक्षित रूप से रखा जाता है और वन टाइम प्रोग्राम माइक्रोकंट्रोलर चिप में बर्न हो जाते हैं, जिससे छेड़छाड़ की कोई भी संभावना समाप्त हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त, EVM की सभी तीन इकाइयों - मतपत्र इकाई, नियंत्रण इकाई और VVPAT- में फर्मवेयर के साथ माइक्रोकंट्रोलर होते हैं जिन्हें निर्माता द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को डिलीवरी करने के बाद बदला नहीं जा सकता है।
भारत में EVM और VVPAT की शुरुआत कैसे हुई?
- 1977-1979: EVM का विचार 1977 में आया था और इसका प्रोटोटाइप 1979 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया था।
- 1980: चुनाव आयोग (Election Commission Of India- ECI) ने 6 अगस्त, 1980 को एक EVM का प्रदर्शन किया। इसके उपयोग पर सर्वसम्मति के बाद, ECI ने EVM के उपयोग के लिये अनुच्छेद 324 के तहत निर्देश जारी किये।
- 1982: केरल की पारूर सीट पर चुनाव के दौरान 50 मतदान केंद्रों पर EVM का इस्तेमाल किया गया था। उच्चतम न्यायलय (SC) ने EVM के उपयोग की वैधता के खिलाफ फैसला सुनाया।
- 1988: दिसंबर 1988 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में एक संशोधन हुआ जिसमें एक नया खंड, 61A जोड़ा गया, जो चुनाव आयोग (EC) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को नियोजित करने में सक्षम बनाता है। संशोधन 15 मार्च, 1989 को लागू हो गया।
- 1990: दिनेश गोस्वामी को चुनाव सुधार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो EVM के तकनीकी विश्लेषण का सुझाव देती है। तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा EVM का सुझाव "बिना समय की बर्बादी के तकनीकी रूप से मज़बूत, सुरक्षित और पारदर्शी" बताया गया था।
- 1998: मध्य प्रदेश, राजस्थान और नई दिल्ली में 16 विधानसभा चुनावों में EVM का इस्तेमाल किया गया था।
- 2001: EVM का उपयोग विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और केरल में राज्य विधानसभा चुनावों के लिये किया गया था। इसके बाद हुए प्रत्येक राज्य के विधानसभा चुनाव में इस मशीन का प्रयोग किया गया।
- 2004: लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर EVM का इस्तेमाल किया गया।
- 2013: चुनाव संचालन नियम, 1961 में हुये संशोधन ने मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) मशीनों के उपयोग की शुरुआत की। नगालैंड में नोकसेन विधानसभा सीट के लिये उपचुनाव में उपयोग किया गया।
- 2019: यह पहला लोकसभा चुनाव था जिसमें EVM पूर्ण रूप से VVPAT EVM पर आधारित था।
नोट:
- पेपर बैलेट प्रणाली एक पारंपरिक मतदान पद्धति है जहाँ मतदाता भौतिक पेपर मतपत्रों पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिये चिह्नित करते हैं, जिन्हें परिणाम निर्धारित करने के लिये चुनाव अधिकारियों द्वारा मैन्युअल रूप से गिना जाता है।
- यह प्रणाली पारदर्शी है लेकिन इसमें समय लग सकता है और गिनती के दौरान त्रुटियों की संभावना हो सकती है।
EVM पेपर बैलेट सिस्टम से किस प्रकार बेहतर है?
- सटीकता और कम त्रुटियाँ: EVM के उपयोग से मानवीय त्रुटियाँ जैसे गलत गिनती, दोहरी वोटिंग अथवा अस्पष्ट चिह्नों के कारण अमान्य वोट की संभावना समाप्त हो जाती है।
- EVM की डिजिटल प्रकृति वोटों का सटीक सारणीकरण सुनिश्चित करती है, जिससे मैन्युअल गिनती की तुलना में अधिक सटीक चुनाव परिणाम सुनिश्चित होते हैं।
- तेज़ गिनती और परिणाम: पारंपरिक कागज़ी मतपत्रों की तुलना में EVM वोटों की गिनती के लिये आवश्यक समय को काफी कम कर देता है, जिससे चुनाव परिणाम जल्दी घोषित हो जाते हैं।
- यह तेज़ गिनती प्रक्रिया मैन्युअल गिनती विधियों से जुड़ी अनिश्चितताओं और देरी को कम करने में सहायता करती है।
- पर्यावरण के अनुकूल: EVM कागज़ के उपयोग को कम करके पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान करते हैं, इस प्रकार बड़ी मात्रा में कागज़ी मतपत्रों की छपाई और प्रबंधन से संबंधित पर्यावरणीय प्रभाव एवं लागत को कम करते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की ओर बदलाव चुनावी प्रक्रियाओं में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की ओर बदलाव चुनावी प्रक्रियाओं में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
- उन्नत सुरक्षा उपाय: EVM में उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ जैसे एन्क्रिप्शन, सुरक्षित बूथिंग और छेड़छाड़ का पता लगाने वाले तंत्र शामिल हैं, जिससे उनमें छेड़छाड़ या धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है, जो बूथ कैप्चरिंग, मतपत्रों में स्याही डालने तथा मतपेटी भरने के माध्यम से पेपर मतपत्र प्रणालियों में होना संभव है।
- वोटों का डिजिटल एन्क्रिप्शन चुनावी प्रक्रिया की अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित करता है, जिससे चुनाव परिणामों में समग्र सुरक्षा एवं विश्वास बढ़ता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) सिस्टम चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता कैसे बढ़ाते हैं? चुनाव परिणामों में जनता के विश्वास और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में इन प्रौद्योगिकियों से संबंधित महत्त्व एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. भारत में लोकतंत्र की गुणता को बढ़ाने के लिए भारत के चुनाव आयोग ने 2016 में चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है। सुझाए गए सुधार क्या हैं और लोकतंत्र को सफल बनाने में वे किस सीमा तक महत्त्वपूर्ण हैं? (2017) |