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सर्वोच्च न्यायालय ने PMLA मामलों में ED की गिरफ्तारी की शक्तियों को सीमित किया

  • 20 May 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, मनी लॉन्ड्रिंग, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, (NDPS) 1985,  प्रवर्तन मामले की जानकारी रिपोर्ट, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999

मेन्स के लिये:

मनी-लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और उसके प्रभाव, भारत की विधायी और नियामक संरचना सभी प्रकार की मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये साथ मिलकर कार्य करती है।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय के एक हालिया निर्णय के अनुसार, विशेष न्यायालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के आधार पर प्रस्तुत आरोप-पत्र प्राप्त होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) गिरफ्तारी करने में सक्षम नहीं है।

  • निर्णय ED की गिरफ्तारी करने की शक्ति को सीमित करता है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ज़ोर देता है।

PMLA के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का हालिया निर्णय क्या है?

  • प्रश्नगत प्रावधान: यह निर्णय  ED के विरुद्ध एक अपील से उपजा है, जिसमें अग्रिम ज़मानत नहीं देने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी गई थी। 
    • इस मामले में इस बात की जाँच की गई कि क्या कोई आरोपी दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के नियमित प्रावधानों के तहत ज़मानत के लिये आवेदन कर सकता है और यदि हाँ, तो क्या ऐसी ज़मानत याचिका को PMLA की धारा 45 के तहत दो शर्तों को पूरा करना होगा।
    • न्यायालय ने इस बात पर भी विचार किया कि क्या PMLA जाँच के दौरान गिरफ्तार नहीं किये गए आरोपियों को कठोर PMLA ज़मानत शर्तों को पूरा करना होगा यदि वे सम्मन के बाद न्यायालय में पेश होते हैं या उनके उपस्थित होने में विफलता के लिये वारंट जारी किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ:

  • समन पर उपस्थित होने वाले अभियुक्तों की स्थिति: यदि कोई आरोपी किसी समन के अनुसार निर्दिष्ट विशेष  न्यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उसे हिरासत में नहीं माना जा सकता है और इसलिये उसे PMLA द्वारा लगाई गई कठोर शर्तों के अंर्तगत ज़मानत के लिये आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
    • ED को किसी आरोपी के न्यायालय में पेश होने के बाद उसकी हिरासत के लिये अलग से आवेदन करना होगा, जिसमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के लिये विशिष्ट आधार दर्शाने होंगे।
    • स्वतंत्रता की यह परिकल्पना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • बॉण्ड/ज़मानत की विशेषताएँ: आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के अनुसार, विशेष न्यायालय अभियुक्त को बॉण्ड या ज़मानत या गारंटी प्रदान करने का आदेश दे सकता है।
    • हालाँकि यह ज़मानत, बॉण्ड देने के समान नहीं है और यह PMLA की धारा 45 में उल्लिखित सटीक दोहरी आवश्यकताओं को पूरा करने के अधीन नहीं है।
  • क्रमिक गिरफ्तारी प्रक्रिया: यदि अभियुक्त समन के बावजूद न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो विशेष न्यायालय ज़मानती (जहाँ ज़मानत प्राप्त की जा सकती है) वारंट जारी कर सकता है।
    • यदि अभियुक्त फिर भी पेश नहीं होता है, तो न्यायालय गैर-ज़मानती वारंट (बिना ज़मानत के गिरफ्तारी) जारी कर सकता है।
  • गैर-अभियुक्त पक्षों की गिरफ्तारी: ED उस व्यक्ति को भी  गिरफ्तार कर सकती है जिसे प्रारंभिक PMLA शिकायत में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया है। 
    • हालाँकि ऐसा करने के लिये ED को PMLA की धारा 19 में उल्लिखित गिरफ्तारी की उचित प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।

PMLA के तहत जमानत की दोहरी शर्तें क्या हैं?

PMLA की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें हैं: 

  • निर्दोषता साबित करना यह कठोर ज़मानत की शर्तों को आरोपित करता है, जिसमें अभियुक्त को अपनी निर्दोषता साबित करने की आवश्यकता होती है। 
  • यह सुनिश्चित करना कि ज़मानत पर रहते हुए कोई अपराध न हो: अभियुक्त को न्यायाधीश को यह विश्वास दिलाने में सक्षम होना चाहिये कि वह ज़मानत पर रहते हुए कोई अपराध नहीं करेगा।
    • सबूत का भार पूरी तरह से जेल में बंद अभियुक्त पर है।
    • ये दोहरी स्थितियाँ किसी अभियुक्त के लिये PMLA में ज़मानत पाना लगभग असंभव बना देती हैं।

PMLA क्या है?

  • परिचय: मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act- PMLA) को मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त संपत्ति की ज़ब्ती का प्रावधान करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
    • इसका उद्देश्य मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी अवैध गतिविधियों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना है।
  • PMLA के प्रमुख प्रावधान:
    • अपराध और दंड: PMLA मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों को परिभाषित करता है और ऐसी गतिविधियों के लिये ज़ुर्माना लगाता है। इसमें अपराधियों के लिये कठोर कारावास और ज़ुर्माने का प्रावधान है।
      • मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से अर्जित धन को वैध प्रतीत होने वाले धन में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है।
    • संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती: यह अधिनियम मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती की अनुमति देता है। यह इन कार्यवाहियों की निगरानी के लिये एक निर्णायक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ: PMLA कुछ संस्थाओं, जैसे- बैंकों और वित्तीय संस्थानों को लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए रखने और वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट करने का आदेश देता है।
    • अपीलीय न्यायाधिकरण: PMLA की धारा 25 एक अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान करती है, जिसे निर्णायक प्राधिकरण द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील सुनने की शक्ति प्राप्त है।
  • PMLA से संबंधित हालिया संशोधन:
    • धन शोधन निवारण (ज़ब्त संपत्ति की बहाली) संशोधन नियम, 2019:
      • नए नियम 3A का समावेशन: इसके तहत विशेष न्यायालय समाचार-पत्रों में नोटिस प्रकाशित कर सकता है जिसमें आरोप तय करने के बाद ज़ब्त/फ्रीज़ की गई संपत्ति में वैध हित वाले दावेदारों को बहाली के लिये अपने दावों को स्थापित करने के लिये कहा जा सकता है।
    • धन शोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) संशोधन नियम, 2023: वित्त मंत्रालय ने वित्तीय संस्थानों, बैंकों या मध्यस्थों जैसी रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा गैर-सरकारी संगठनों के लिये प्रकटीकरण आवश्यकताओं का विस्तार करने के लिये धन शोधन नियमों को संशोधित किया है।
      • इसने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की सिफारिशों के अनुरूप धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत "राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों" की परिभाषा को भी स्पष्ट किया है।
      • नए PMLA अनुपालन नियम "राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों" (PEP) को ऐसे व्यक्तियों जैसे कि राज्य के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता और उच्च रैंकिंग वाली सरकार, न्यायिक या सैन्य अधिकारी, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी-स्वामित्व वाले निगम तथा महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल के अधिकारी के रूप में परिभाषित करते हैं जिन्हें किसी बाह्य देश द्वारा प्रमुख सार्वजनिक कार्यों के लिये सौंपा गया है।
  • PMLA, 2002 से संबंधित चिंताएँ:
    • अपराध के आगम की व्यापक परिभाषा: PMLA में "अपराध के आगम" की व्यापक परिभाषा पर बहस छिड़ गई है, जिसमें कानूनी वित्तीय संव्यवहार को शामिल करने की इसकी क्षमता के बारे में चिंताएँ हैं।
      • कानून उन लोगों को लक्षित करता है जो अपराध से प्राप्त धन को वैध बनाने में शामिल हैं, यहाँ तक कि उन लोगों को भी जवाबदेह ठहराया गया है जिनकी अपराध में कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है लेकिन जो शोधन प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
    • कई अपराधों का कवरेज: PMLA में ड्रग को प्राप्त धन के शोधन से निपटने के अपने मूल उद्देश्य से असंबंधित कई अपराधों को अपनी अनुसूची में शामिल किया गया है।
      • संयुक्त राष्ट्र के जिस प्रस्ताव के कारण भारत में कानून लागू हुआ, उसमें केवल नशीली दवाओं से प्राप्त धन को वैध बनाने के अपराध का उल्लेख किया गया था, जिसे विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरे में डालने की क्षमता वाला एक गंभीर आर्थिक अपराध माना गया था।
    • गिरफ्तारी के आधार के लिये लिखित सूचना के बिना व्यक्ति की गिरफ्तारी: प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तारी के लिये केवल मौखिक सूचना पर भरोसा करके संविधान के अनुच्छेद 22(1) और 2002 PMLA की धारा 19(1) का लगातार उल्लंघन किया है, जिसे अपर्याप्त माना जाता है।
      • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश दिया, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत उनकी गिरफ्तारी को अमान्य करार दिया, संविधान के अनुच्छेद 22(1) का हवाला देते हुए कहा गया है कि गिरफ्तार व्यक्तियों को उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में तुरंत सूचित किया जाना चाहिये।

भारत में ज़मानतीय और गैर-ज़मानतीय अपराध क्या हैं?

अपराध का प्रकार

विवरण

उदहारण

ज़मानतीय 

कम गंभीर अपराध, जहाँ आरोपी को निर्दोष माना जाता है और वह ज़मानत पर रिहा होने का हकदार होता है।

छोटी-मोटी चोरी, यातायात नियमों का उल्लंघन, साधारण हमला

गैर-ज़मानतीय 

अधिक गंभीर अपराध, जहाँ न्यायालय को विशिष्ट मानदंडों के आधार पर ज़मानत देने का विवेकाधिकार होता है।

हत्या, बलात्कार, अपहरण, आगजनी

आगे की राह

  • "अपराध के आगम" (Proceeds of Crime) की एक स्पष्ट परिभाषा को शामिल करना: PMLA के अंतर्गत "अपराध के आगम" शब्द के दुरुपयोग को रोकने के लिये एक अधिक सटीक परिभाषा को अपनाना आवश्यक है।
    • इसमें अपराधों के प्रकार और उन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीकों को निर्दिष्ट करना शामिल होगा जिनसे आय प्राप्त की जा सकती है, जिससे अधिकारियों द्वारा मनमानी व्याख्या की गुंज़ाइश कम हो जाएगी।
  • प्रमाण के दायित्व को संशोधित करना: मौजूदा ढाँचा अभियुक्तों पर अपनी संपत्ति की वैधता साबित करने का अत्यधिक भार डालता है।
    • अभियोजन और बचाव पक्ष के बीच प्रमाण के भार का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने के लिये इस पहलू को संशोधित करने से एक निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है।
    • इसमें उन न्याय क्षेत्रों से प्रथाओं को अपनाना शामिल हो सकता है जहाँ निर्दोषता का अनुमान अधिक मज़बूती से संरक्षित है।
  • स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र की स्थापना: PMLA के तहत कानून प्रवर्तन अधिकारियों के अतिरेक से बचाव के लिये स्वतंत्र निरीक्षण निकायों की स्थापना करने हेतु अनुशंसा की गई है।
    • ये निकाय प्रवर्तन कार्रवाइयों की समीक्षा और निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कानूनी मानकों का अनुपालन करते हैं तथा मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और अनुपालन को बढ़ावा देना: धन शोधन की वैश्विक प्रकृति को देखते हुए PMLA प्रावधानों के कार्यान्वयन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
    • इसमें भारत के PMLA को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) जैसे निकायों द्वारा निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित करना और इसकी अनुशंसाओं का अनुपालन सुनिश्चित करना शामिल है।
  • तकनीकी प्रगति को शामिल करना:  धन शोधन गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से PMLA को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
    • इसमें वित्तीय लेन-देन का विश्लेषण करने और धन शोधन के संकेत देने वाले संदिग्ध प्रतिरूपों की पहचान करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग टूल का उपयोग शामिल हो सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम की हालिया व्याख्या पर चर्चा कीजिये, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों पर इसके निहितार्थ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स 

प्रश्न. चर्चा कीजिए कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइए। (2021)

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