अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सैन इसिड्रो आंदोलन: क्यूबा
- 15 Dec 2020
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चर्चा में क्यों?
सैन इसिड्रो आंदोलन (San Isidro Movement- MSI) की शुरुआत दो वर्ष पूर्व हुई थी और अब यह राष्ट्र के भीतर और बाहर दोनों जगह क्यूबा के असंतुष्टों के लिये एक मंच बन गया है।
प्रमुख बिंदु:
पृष्ठभूमि:
- सैन इसिड्रो आंदोलन (MSI), डिक्री 349 के माध्यम से कलात्मक कार्यों को लेकर राज्य सेंसरशिप का विरोध करने के लिये दो वर्ष पहले (वर्ष 2018) शुरू किया गया था।
- डिक्री 349 एक ऐसा कानून है, जो क्यूबा की सरकार को ऐसी सांस्कृतिक गतिविधि को प्रतिबंधित करने के लिये शक्तियाँ देता है, जिसे उसने मंज़ूरी नहीं दी थी।
- इस डिक्री के खिलाफ विरोध के लिये कलाकार, कवि, पत्रकार और कार्यकर्ता सैन इसिड्रो में एकत्र हुए, यह एक श्वेत-बहुमत वाला इलाका है जो हवाना के सबसे गरीब और सांस्कृतिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है।
वर्तमान स्थिति का कारण:
- MSI के एक एफ्रो-क्यूबन सदस्य रैपर डेनिस सोलिस को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिये जाने के कारण क्यूबा में व्यापक विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की स्थिति बन गई।
वैश्विक परिदृश्य:
- विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों जैसे- एमनेस्टी इंटरनेशनल ने क्यूबा में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जाहिर की है।
- कई देशों में क्यूबा के प्रवासियों ने आंदोलन के समर्थन में रैलियाँ निकालीं।
क्यूबा सरकार का रुख:
- क्यूबा सरकार का आरोप है कि यह आंदोलन संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वित्तपोषित है और इसका उपयोग राज्य की कानून व्यवस्था को भंग करने के लिये किया जा रहा है।
भारत-क्यूबा संबंध
- क्यूबा के साथ भारत घनिष्ठ, मधुर और ऐतिहासिक संबंध साझा करता है और दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्य हैं।
- वर्ष 1959 में क्यूबा-अर्जेंटीना के गुरिल्ला कमांडर अर्नेस्टो चे ग्वेरा ने भारत का राजनयिक दौरा किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने उनका स्वागत किया था।
- वर्ष 2019 में भारत ने क्यूबा के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किये गए प्रस्तावों का समर्थन किया।
- वर्ष 2019 में भारत के राष्ट्रपति की क्यूबा यात्रा के दौरान भारत और क्यूबा जैव प्रौद्योगिकी, होम्योपैथी तथा चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली के क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमत हुए।