विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रोत्साहन के लिये उठाए गए कदम
- 19 Sep 2020
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प्रिलिम्स के लिये‘आयुष’ चिकित्सा पद्धति, आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी, राष्ट्रीय आयुष मिशन मेन्स के लियेभारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रोत्साहन के लिये उठाए गए कदम |
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा लोकसभा में दिये गए एक लिखित उत्तर में भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिये उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी गई।
‘आयुष’ चिकित्सा पद्धति
- आयुष (AYUSH) का अभिप्राय आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी से है। आयुष मंत्रालय इन सभी स्वास्थ्य प्रणालियों के संवर्द्धन एवं विकास, इन प्रणालियों के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना तथा इनसे संबंधित चिकित्सा शिक्षा के संचालन का कार्य देखता है।
- संबंधित चिकित्सा पद्धतियों के बारे में संक्षिप्त विवरण -
- आयुर्वेद- पूर्णरूप से प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित आयुर्वेद विश्व का प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है। आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रंथों में चरक संहिता, सुश्रुत संहिता एवं अष्टांग हृदयम प्रमुख हैं। आयुर्वेद प्रमुख रूप से त्रिदोष- वात, पित्त और कफ पर आधारित है। तीनों दोष जब शरीर में में सम अवस्था में रहतें हैं तब मनुष्य स्वस्थ रहता है तथा दोषों की विषम अवस्था होने पर रोग उत्पन्न होते हैं।
- होम्योपैथी- होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का प्रादुर्भाव एक जर्मन डॉ. सैम्युल फ्रेडरिक हैनीमन द्वारा किया गया। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से विभिन्न रोगों का बहुत ही कम खर्च पर उपचार किया जा सकता है।
- योग: योग मुख्यतः एक जीवन पद्धति है, जिसे पतंजलि ने क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया था। इसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि आठ अंग है।
- यूनानी: इस चिकित्सा पद्धति का उद्भव व विकास यूनान में हुआ। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति अरबों के द्वारा पहुँची और यहाँ के प्राकृतिक वातावरण एवं अनुकूल परिस्थितियों की वजह से इस पद्धति का बहुत विकास हुआ। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति के महान चिकित्सक और समर्थक हकीम अजमल खान (1868-1927) ने इस पद्धति के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस पद्धति के मूल सिद्धांतों के अनुसार, रोग शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। शरीर में रोग उत्पन्न होने पर रोग के लक्षण शरीर की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
- सिद्ध: यह भारत में दवा की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है। 'सिद्ध' शब्द का अर्थ है उपलब्धियाँ। सिद्ध, संत पुरुष होते थे। कहा जाता है कि अठारह सिद्धों ने इस चिकित्सा प्रणाली के विकास की दिशा में योगदान दिया। सिद्ध साहित्य तमिल भाषा में लिखा गया है। यह भारत के तमिल भाषी हिस्से तथा विदेश में बड़े पैमाने पर प्रचलित है। सिद्ध प्रणाली काफी हद तक प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखती है।
उठाए गए प्रमुख कदम
- वैश्विक स्तर पर भारतीय चिकित्सा प्रणाली और आयुर्वेद की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये आयुष मंत्रालय ने विदेशी विश्वविद्यालयों/संस्थानों के साथ 13 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं। पारंपरिक चिकित्सा और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिये 23 देशों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं जिनमें अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण, आदि में सहयोग के कुछ क्षेत्र भी शामिल हैं।
- आयुष मंत्रालय की फेलोशिप/छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत भारत के प्रमुख संस्थानों में आयुष प्रणालियों में स्नातक, स्नातकोत्तर और Ph.D. पाठ्यक्रमों में अध्ययन के लिये 99 देशों के पात्र विदेशी नागरिकों को प्रतिवर्ष 104 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
- प्रमाणन प्रक्रिया के माध्यम से योग पद्धति में पेशेवरों की क्षमता के स्तर को प्रमाणित करने के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा शुरू की गई योजना का प्रमुख उद्देश्य निवारक और स्वास्थ्य प्रोत्साहन के रूप में ‘ड्रगलेस थेरेपी’ (Drugless Therapy) के रूप में प्रामाणिक योग को बढ़ावा देना है। प्रमाणन कार्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर योग पेशेवरों के ज्ञान और कौशल में समन्वय, गुणवत्ता और एकरूपता लाने के उद्देश्य से योग प्रमाणन बोर्ड (Yoga Certification Board-YCB) की स्थापना की गई है।
- भारतीय चिकित्सा पद्धति के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष देश में आयुर्वेद दिवस, यूनानी दिवस और सिद्ध दिवस मनाए जाते हैं। 190 से अधिक देशों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और 35 से अधिक देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। मंत्रालय वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
- आयुष प्रणालियों के संवर्द्धन और विकास के लिये भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के माध्यम से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन’ को क्रियान्वित कर रही है। आयुष ग्राम की अवधारणा के अंतर्गत व्यवहार परिवर्तन, संचार और स्थानीय औषधीय जड़ी बूटियों की पहचान और उपयोग के लिये ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के प्रशिक्षण के माध्यम से आयुष आधारित जीवन शैली को प्रोत्साहित किया जाता है।
- आयुष में सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) को प्रोत्साहित करने के लिये योजना के अंतर्गत आयुष मंत्रालय राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर AROGYA मेले, मल्टीमीडिया अभियान, ऑडियो विजुअल सामग्री सहित प्रचार सामग्री का वितरण करना आदि कार्य करता है। COVID-19 महामारी के समय आयुष मंत्रालय प्रचार और प्रसार के लिये इलेक्ट्रॉनिक और डिज़िटल प्लेटफॉर्म का प्रभावी उपयोग कर रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की योजना (International Cooperation-IC Scheme) के अंतर्गत आयुष मंत्रालय संपूर्ण विश्व में आयुर्वेद सहित चिकित्सा की आयुष प्रणालियों को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैठकों, सम्मेलनों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सेमिनारों में भाग लेने के लिये विदेशों में आयुष विशेषज्ञों को नियुक्त करता है।
- आयुष प्रणाली और चिकित्सा के बारे में जनता के मध्य जागरूकता पैदा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, व्यापार मेलों आदि में भाग लेने के लिये आयुष दवा निर्माताओं, उद्यमियों, आयुष संस्थानों आदि को प्रोत्साहन दिया जाता है।
- मंत्रालय की आईसी योजना (IC Scheme) के अंतर्गत अब तक केन्या, अमेरिका, रूस, लातविया, कनाडा, ओमान, ताज़िकिस्तान और श्रीलंका आदि 8 देशों में 50 से अधिक यूनानी और आयुर्वेद उत्पादों को पंजीकृत किया जा चुका है।
- आयुष प्रणालियों के बारे में प्रामाणिक जानकारी का प्रसार करने के लिये 31 देशों में 33 आयुष सूचना सेल की स्थापना की गई है। आयुष मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के ITEC कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य मंत्रालय, मलेशिया में दो विशेषज्ञों (आयुर्वेद और सिद्ध) की प्रतिनियुक्ति की है।
- समावेशी, सस्ती, साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने हेतु नीति आयोग द्वारा व्यापक एकीकृत स्वास्थ्य नीति के ढाँचे को प्रस्तावित करने के लिये एकीकृत स्वास्थ्य नीति के निर्माण पर एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है।
- 5 रेलवे ज़ोनल अस्पतालों में आयुष विंग्स की स्थापना के लिये आयुष मंत्रालय ने रेल मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- रक्षा मंत्रालय/सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय (DGAFMS) के स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के अंतर्गत आयुर्वेद के एकीकरण के लिये रक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने के क्रम में उठाए गए इन कदमों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुष विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति करने, आयुष चिकित्सा पद्धति का विदेशों में प्रचार-प्रसार करने और लोगों तक सस्ती तथा प्रभावी उपचार सेवाएँ पहुँचाने में मदद मिलेगी। वर्तमान में COVID-19 महामारी को देखते हुए इस प्रकार के प्रयासों की नितांत आवश्यकता है।