लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सार्क एवं CICA बैठक

  • 28 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये  

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, काॅन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मीज़र्स इन एशिया

मेन्स के लिये 

दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सार्क की घटती प्रासंगिकता एवं उभरते नए संगठन  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आभासी तरीके से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के विदेश मंत्रियों की बैठक और ‘काॅन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मीज़र्स इन एशिया’ (Conference on Interaction and Confidence-Building Measures in Asia- CICA) पर एक सम्मेलन का आयोजन हुआ।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत-पाकिस्तान गतिरोध:
    • भारत ने आतंकवाद संकट से निपटने के लिये सार्क देशों से सामूहिक रूप से हल करने का आह्वान किया। आतंकवाद संकट में आतंक एवं संघर्ष के वातावरण का पोषण, समर्थन एवं प्रोत्साहित करना शामिल है।
      • भारत का यह कथन स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान की आलोचना को संदर्भित करता है जो सीमापार आतंकवाद में संलिप्त है।   
    • पाकिस्तान ने ‘लंबे समय से चले आ रहे विवादों’ के समाधान पर एक विस्तृत बयान दिया जो जम्मू-कश्मीर के बारे में और भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने से संबंधित था।
  • पृष्ठभूमि:
    • हाल ही में भारत ने कहा कि सामूहिक रूप से COVID-19 महामारी से लड़ने में सार्क के प्रत्येक सदस्य-राष्ट्र की गंभीरता का अंदाजा उनके व्यवहार से लगाया जा सकता है। भारत का यह बयान दक्षिण एशियाई क्षेत्र में COVID-19 संकट से निपटने में भारत के नेतृत्त्व के लिये पाकिस्तान के विरोध से संबंधित था।
    • पाकिस्तानी समकक्ष द्वारा अपने मानचित्र में भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के कारण सितंबर, 2020 में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक आभासी बैठक को बीच में ही छोड़कर चले गए थे।
    • वर्ष 2019 में सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने एक-दूसरे के भाषणों का बहिष्कार किया था।
    • उरी हमलों के मद्देनज़र आतंकी समूहों को पाकिस्तान के निरंतर समर्थन के मुद्दे पर वर्ष 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले सार्क सम्मेलन के 19वें संस्करण में भारत के प्रधानमंत्री ने भाग लेने से भी मना कर दिया था।
  • COVID-19 संकट: सभी सार्क देशों ने COVID-19 महामारी से निपटने में सहयोग करने की आवश्यकता पर एक साझा रुख अपनाया।  
    • COVID-19 से निपटने के लिये सार्क पहल: सार्क COVID-19 सूचना विनिमय मंच (Covid-19 Information Exchange Platform- COINEX), सार्क फूड बैंक तंत्र (SAARC Food Bank Mechanism), सार्क COVID-19 आपातकालीन कोष (SAARC Covid-19 Emergency Fund)।
    • भारत का योगदान: सार्क देशों के लिये भारत ने ‘सार्क COVID-19 आपातकालीन कोष’ में 10 मिलियन अमरीकी डालर और आवश्यक दवाओं, COVID संरक्षण एवं परीक्षण किट का योगदान दिया है। 
  • सार्क की प्रासंगिकता: वर्ष 2016 के बाद से सार्क बहुत प्रभावी नहीं रहा है क्योंकि वर्ष 2014 में काठमांडू (नेपाल) में इसके द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद से कोई शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।
    • वर्ष 2016 में भारत, बांग्लादेश, भूटान एवं अफगानिस्तान ने योजनाबद्ध तरीके से इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था।
  • सार्क के अप्रासंगिक होने के कारण: 
    • यद्यपि सार्क में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा नहीं की जा सकती है किंतु चूँकि सार्क संगठन सभी प्रमुख निर्णयों के लिये सर्वसम्मति के सिद्धांत पर निर्भर करता है इसलिये पाकिस्तान ने अक्सर सार्क में प्रस्तावित प्रमुख पहलों पर वीटो कर दिया। उदाहरण के लिये वर्ष 2014 में काठमांडू शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित सार्क मोटर वाहन समझौता
    • भारत-पाकिस्तान संघर्ष के कारण सार्क की प्रासंगिकता घटी है। भारत के लिये विदेश नीति के एक साधन के रूप में पाकिस्तान द्वारा आतंक के उपयोग ने दोनों देशों के मध्य सामान्य व्यापार को असंभव बना दिया है।
    • डूरंड रेखा पर पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के बीच विवाद भी इसका एक कारण है।
    • भारत की आर्थिक स्थिति सार्क देशों की तुलना में एक रणनीतिक साझेदार के बजाय  ‘बिग इकॉनोमिक पावर’ (Big Economic Power) रूप में दर्शाती है।
    • सार्क, इस क्षेत्र की सामूहिक चेतना एवं अन्य संगठनों जैसे-बिम्सटेक (BIMSTEC) के लिये लगभग सीमांत हो गया है।

काॅन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मीजर्स इन एशिया’ (CICA): 

  • भारत ने CICA के माध्यम से एशिया में एक बहुलवादी सहकारी सुरक्षा व्यवस्था के लिये अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। इसने अफगान शांति प्रक्रिया के लिये अपने समर्थन की भी पुष्टि की है।

CICA के बारे में:

CICA

  • CICA एशिया में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में सहयोग बढ़ाने के लिये एक बहु-राष्ट्रीय मंच है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा के 47वें सत्र में, 5 अक्तूबर, 1992 को कज़ाकिस्तान गणराज्य के पहले राष्ट्रपति द्वारा CICA के आयोजन का विचार पहली बार प्रस्तावित किया गया था।
  • CICA की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक सितंबर, 1999 में हुई थी।
  • इसमें एशिया महाद्वीप से 27 सदस्य राष्ट्र जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, मिस्र, भारत आदि शामिल हैं जबकि जापान, इंडोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि इसके कुछ पर्यवेक्षक राष्ट्र हैं।
  • तज़ाकिस्तान गणराज्य वर्ष 2018-2020 की अवधि के लिये CICA का अध्यक्ष है।

आगे की राह: 

  • गौरतलब है कि सार्क को पाकिस्तान की वजह से अप्रासंगिक बनाना किसी के हित में नहीं है। सार्क की हालिया अप्रासंगिकता के बावजूद इसका पुनरुद्धार भारत को अपनी ‘पड़ोसी पहले की नीति’ के तहत चीन द्वारा शुरू की गई ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से क्षेत्रीय रणनीतिक अतिक्रमण की चुनौती से निपटने की सुविधा प्रदान करेगा। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2