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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स का भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अनुमान

  • 19 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स

मेन्स के लिये:

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एजेंसी द्वारा वर्ष 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाने का कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (Standard & Poor's - S&P) ने वर्ष 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.2% कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • इससे पहले S&P ने वर्ष 2020 के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
  • S&P के अनुसार, वर्ष 2020 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक विकास 3 प्रतिशत से भी कम हो जाएगा क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में प्रवेश कर रही है।
  • चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में शटडाउन और COVID-19 वायरस संचरण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मंदी की स्थितियों को जन्म देता है।
  • S&P के अनुसार, मंदी के कारण कम से कम दो तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर के गिरने की प्रवृत्ति में वृद्धि से बेरोज़गारी बढ़ सकती है।
  • S&P के अनुसार वैश्विक वायरस के प्रसार से भारत में अमेरिका और यूरोप से आने वाले व्यक्तियों की संख्या कम हो जाएगी जिससे पर्यटन उद्योग पर अधिक दबाव पड़ेगा।
  • इस वायरस के प्रसार से यदि अमेरिकी डॉलर की स्थिति में अनिश्चितता उत्पन्न होती है, तो एशिया के उभरते बाजारों को तथा नीति-निर्माताओं को अर्थव्यवस्था की चक्रीय नीति के कठोर दौर से सामना करना पड़ सकता है।
  • पूंजी बहिर्वाह के संदर्भ में सबसे कमज़ोर देश भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस हैं।

भारत, चीन और जापान की आर्थिक वृद्धि दर:

  • S&P ने वर्ष 2020 में चीन,भारत और जापान की आर्थिक वृद्धि दर के लिये 2.9 प्रतिशत, 5.2 प्रतिशत और -1.2 प्रतिशत के पूर्वानुमान संबंधी आँकड़े जारी किये हैं, जो कि पहले जारी किये गए (4.8 प्रतिशत से 5.7 प्रतिशत और पूर्व में -0.4 प्रतिशत) आँकड़ों से काफी कम हैं।
  • कमज़ोर क्षेत्रों और श्रमिकों का समर्थन करने के उद्देश्य से स्थानीय उपाय मदद कर सकते हैं लेकिन उनका प्रभाव संकट को लंबे समय तक दूर करने में सहायक सिद्ध नहीं हो सकेगा।
  • यह स्थिति इस वायरस के प्रसार को रोकने की प्रगति पर निर्भर करती है।
  • भले ही दूसरी तिमाही के दौरान प्रमुख प्रगति हुई हो पर वायरस के प्रसार के कारण नकदी प्रवाह की एक निरंतर अवधि के बाद कई फर्म जल्दी से निवेश करने की स्थिति में नहीं होगी।

आगे की राह:

  • स्पष्ट है कि कोरोनावायरस (COVID-19) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस वायरस के कारण हवाई यात्रा, शेयर बाज़ार, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं सहित लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
  • हाल में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, यह वायरस अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, जबकि इसके कारण चीनी अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल स्थिति में है। उक्त दो अर्थव्यस्थाएँ, जिन्हें वैश्विक आर्थिक इंजन के रूप में जाना जाता है, संपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा आगे जाकर मंदी का कारण बन सकती हैं।
  • आवश्यक है कि संपूर्ण वैश्विक समाज इस महामारी से निपटने के लिये एकजुट हो और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके न्यून प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके।
  • हाल ही में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भी भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोनोवायरस प्रभाव के कारण भारत की वर्ष 2020 के लिये भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 5.3 प्रतिशत (5.4 प्रतिशत से) कर दिया था।

स्रोत: द हिंदू

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