भारतीय अर्थव्यवस्था
मुद्रा विनिमय और COVID-19
- 14 Mar 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:मुद्रा विनिमय, COVID-19 मेन्स के लिये:वैश्विक अर्थव्यवस्था पर COVID-19 का प्रभाव, मुद्रा विनिमय से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा बाज़ार में तरलता प्रदान करने के उद्देश्य से 6 महीनों के लिये 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विनिमय (Swap) का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि RBI का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब विदेशी निवेशकों ने बीते तीन सत्रों में 13,500 करोड़ रुपए बाज़ार से निकाल लिये हैं।
- RBI के अनुसार, केंद्रीय बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था पर COVID-19 महामारी के न्यून प्रभाव तथा वित्तीय बाज़ार और संस्थाओं के सामान्य कार्य संचालन को सुनिश्चित करने के लिये सभी आवश्यक उपाय करने हेतु तैयार है।
- RBI एक खरीद/बिक्री विनिमय करेगा, जिसका अर्थ है कि सर्वप्रथम केंद्रीय बैंक बाज़ार में डॉलर बेचेगा और अंत में 6 महीने बाद उन्हें वापस खरीदेगा।
कारण
- RBI द्वारा इस संदर्भ में जारी अधिसूचना के अनुसार, दुनिया भर में COVID-19 संक्रमण के प्रसार के कारण वित्तीय बाज़ारों को गहन विक्रय दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- बाज़ार के आँकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने इस महीने भारतीय पूंजी बाज़ारों से 21,000 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की है।
- अतः कहा जा सकता है कि RBI ने यह निर्णय वित्तीय बाज़ार की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करते हुए और बाज़ार में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया है।
लाभ
- RBI के इस कदम से विदेशी मुद्रा बाज़ार में तरलता प्रदान करने में मदद मिलेगी। विदित हो कि COVID-19 के प्रसार के कारण भारत सहित विश्व भर के वित्तीय बाज़ार अशांति का सामना कर रहे हैं।
मुद्रा विनिमय
- मुद्रा विनिमय (Currency Swap) एक प्रकार का विदेशी विनिमय समझौता है जो दो पक्षों के बीच एक मुद्रा के बदले दूसरी मुद्रा प्राप्त करने हेतु एक निश्चित समय के लिये किया जाता है।
COVID-19 क्या है?
- COVID-19 वायरस मौजूदा समय में भारत समेत दुनिया भर में स्वास्थ्य और जीवन के लिये गंभीर चुनौती बना है। अब संपूर्ण विश्व में इसका प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखने लगा है।
- WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।
- कोरोनावायरस (COVID -19) का प्रकोप तब सामने आया जब 31 दिसंबर, 2019 को चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में अज्ञात कारण से निमोनिया के मामलों में हुई अत्यधिक वृद्धि के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया गया।
- ध्यातव्य है कि इस खतरनाक वायरस के कारण चीन में अब तक हज़ारों लोगों की मृत्यु हो चुकी है और यह वायरस धीरे-धीरे संपूर्ण विश्व में फैल रहा है।
आगे की राह
- स्पष्ट है कि कोरोनावायरस (COVID-19) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस वायरस के कारण हवाई यात्रा, शेयर बाज़ार, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं सहित लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
- हाल में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, यह वायरस अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, जबकि इसके कारण चीनी अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल स्थिति में है। उक्त दो अर्थव्यस्थाएँ, जिन्हें वैश्विक आर्थिक इंजन के रूप में जाना जाता है, संपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा आगे जाकर मंदी का कारण बन सकती हैं।
- इस संदर्भ में RBI का निर्णय काफी तर्कपूर्ण दिखाई देता है। आवश्यक है कि संपूर्ण वैश्विक समाज इस महामारी से निपटने के लिये एकजुट हो और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके न्यून प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके।