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सामाजिक न्याय

वन संरक्षण में PESA की भूमिका

  • 26 Jun 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996, अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (FRA), अनुच्छेद 244(1)

मेन्स के लिये:

पेसा अधिनियम से संबंधित मुद्दे, पेसा अधिनियम लागू करने के लाभ, पेसा अधिनियम की तुलना, भारत में जनजातीय नीति

स्रोत :द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल के एक अध्ययन में भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व तथा वन संरक्षण के बीच इनके संबंधोंक की जाँच की गई है।

  • यह पाया गया है कि PESA जैसे अधिनियमों के माध्यम से जनजातीय आबादी को राजनीतिक प्रतिनिधित्व के साथ ही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करने से वनों के संरक्षण में सहायता प्राप्त होती है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • परिचय:
    • लेखक पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA) पर डेटा-आधारित अध्ययन करके अपने निष्कर्ष पर पहुँचे, जो अनुसूचित जनजातियों (ST) को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
    • अध्ययन में स्थानीय स्वशासन में अनुसूचित जनजातियों के अनिवार्य प्रतिनिधित्व वाले गाँवों की तुलना उन गाँवों से की गई, जहाँ प्रतिनिधित्व अनिवार्य नहीं था, तथा जिन गाँवों ने PESA को पहले अपनाया था, उनकी तुलना उन गाँवों से की गई, जिन्होंने इसे बाद में अपनाया और साथ ही वनों की कटाई एवं वनीकरण पर नज़र रखी।
    • इससे उन्हें "डिफरेंस-इन-डिफरेंस" फ्रेमवर्क का उपयोग करके वन क्षेत्र पर PESA के प्रभाव को अलग करने में सहायता प्राप्त हुई।
    • इस अध्ययन में वर्ष 2001 से वर्ष 2017 तक वैश्विक स्तर पर वनीकरण परिवर्तनों का विश्लेषण करने के लिये उपग्रह डेटा का उपयोग किया गया, जो छोटे समुदायों में फील्डवर्क की पारंपरिक पद्धति से भिन्न है।
  • मुख्य निष्कर्ष:
    • PESA द्वारा अनुसूचित जनजातियों को अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया है, जिससे उन्हें वनों के प्रबंधन में अपनी बात कहने का अधिकार प्राप्त  हुआ।
      • PESA खनन जैसी बड़े पैमाने पर व्यावसायिक गतिविधियों का विरोध करने की ST की क्षमता को मज़बूत करता है जो वनों की कटाई का कारण बन सकता है जिससे खदानों के पास PESA गाँवों में वनों की कटाई में विशेष रूप से कमी आएगी।
      • PESA की शुरूआत से खनन क्षेत्र के आसपास संघर्ष की घटनाओं में भी वृद्धि हुई।
    • PESA अधिनियम के कारण वृक्षों की संख्या में प्रति वर्ष औसतन 3% की वृद्धि हुई तथा वनों की कटाई की दर में कमी आई।
    • PESA द्वारा वनों की सुरक्षा, गैर-लकड़ी वन उत्पादों (औषधीय पौधे, फल, आदि) तथा खाद्य सुरक्षा के लिये ST समुदायों का आर्थिक प्रोत्साहन में वृद्धि की।
    • अध्ययन में पाया गया कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 का संरक्षण पर PESA के कारण हुए प्रभावों के अतिरिक्त कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं पड़ा।
    • इस अध्ययन में एक ऐसी संस्था की वकालत की गई जो संरक्षण एवं विकास उद्देश्यों में संतुलन स्थापित कर सके।
      • ऐसी संस्था स्थानीय आर्थिक हितों एवं सतत् संरक्षण प्रथाओं के बीच संतुलन की जटिलताओं को बेहतर ढंग से हल कर सकेगी।

पेसा अधिनियम क्या है?

  • परिचय:
    • पेसा अधिनियम 24 दिसंबर, 1996 को आदिवासी क्षेत्रों, जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता है, में रहने वाले लोगों के लिये पारंपरिक ग्राम सभाओं, जिन्हें ग्राम सभा के रूप में जाना जाता है, के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने हेतु लागू किया गया था।
    • इस अधिनियम ने पाँचवीं अनुसूची के राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में स्व-जनजातीय शासन प्रदान करके पंचायतों के प्रावधानों का विस्तार किया।
  • विधान:
    • अधिनियम में अनुसूचित क्षेत्रों को अनुच्छेद 244(1) में उल्लिखित क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर लागू होती है।
    • भारत के अनुसूचित क्षेत्र, जो राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित क्षेत्र हैं, जहाँ मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय निवास करते हैं।
    • 10 राज्यों ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है, जो प्रत्येक राज्य के कई ज़िलों को (आंशिक या पूर्ण रूप से) कवर करते हैं।
      • इनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं।
  • महत्त्वपूर्ण प्रावधान:
    • ग्राम सभा: पेसा अधिनियम ग्राम सभा को विकास प्रक्रिया में सामुदायिक भागीदारी हेतु एक मंच के रूप में स्थापित करता है। यह विकास परियोजनाओं की पहचान करने, विकास योजनाएँ तैयार करने और इन योजनाओं को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।
    • ग्राम स्तरीय संस्थाएँ: अधिनियम में विकास गतिविधियों को संचालित करने और समुदाय को बुनियादी सेवाएँ प्रदान करने के लिये ग्राम पंचायत, ग्राम सभा तथा पंचायत समिति सहित ग्राम स्तरीय संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान है।
    • शक्तियाँ और कार्य: ग्राम सभा और ग्राम पंचायत को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और आर्थिक गतिविधियों के विनियमन से संबंधित महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ और कार्य प्रदान किये गए हैं।
    • परामर्श: अधिनियम के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में कोई भी विकास परियोजना या गतिविधि शुरू करने से पहले ग्राम सभा से परामर्श करना आवश्यक है।
    • फंड: यह ग्राम पंचायतों को निधियों के हस्तांतरण का प्रावधान करता है ताकि वे अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से निष्पादित कर सकें।
    • भूमि अधिकार: यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों के भूमि अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान करता है, जिसके तहत किसी भी भूमि के अधिग्रहण या हस्तांतरण से पहले उनकी सहमति लेना आवश्यक है।
    • सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाएँ: यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाओं की रक्षा करता है तथा इन प्रथाओं में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाता है।

भारत में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित प्रावधान क्या हैं?

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

पेसा कानून क्या है? इसका भारत में आदिवासी लोगों की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची में कुछ राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिये विशेष प्रावधान हैं?(2008) 

(a) तीसरा
(b) पाँचवाँ
(c) सातवाँ
(d) नौवाँ

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(a) तीसरी अनुसूची
(b) पाँचवी अनुसूची
(c) नौवीं अनुसूची
(d) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)


प्रश्न. सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (PESA) अधिनियम को 1996 में अधिनियमित किया। निम्नलिखित में से कौन-सा एक उसके उद्देश्य के रूप में अभिज्ञात नहीं है? (2013)

(a) स्वशासन प्रदान करना
(b) पारंपरिक अधिकारों को मान्यता देना
(c) जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्रों का निर्माण करना
(d) जनजातीय लोगों को शोषण से मुक्त कराना

उत्तर: (c)


प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा? (2013)

(a) राज्य वन विभाग
(b) ज़िला कलेक्टर / उपायुक्त
(c) तहसीलदार / खंड विकास अधिकारी / मंडल राजस्व अधिकारी
(d) ग्राम सभा

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत के संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची में किससे संबंधित प्रावधान हैं? (2015)

(a) अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा
(b) राज्यों के बीच सीमाओं का निर्धारण
(c) पंचायतों की शक्तियों, अधिकार और ज़िम्मेदारियों का निर्धारण
(d) सभी सीमावर्ती राज्यों के हितों की रक्षा

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244, अनुसूचित व आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। इसकी पाँचवीं सूची का क्रियान्वयन न हो पाने से वामपंथी पक्ष के चरमपंथ पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (2013)

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद से अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहल क्या हैं?  (2017)

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