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आंतरिक सुरक्षा

भारत में रोहिंग्या मुस्लिम

  • 15 Mar 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जांँच एजेंसी, रोहिंग्या मुस्लिम, संयुक्त राष्ट्र, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क), 1951 का शरणार्थी सम्मेलन और इसका 1967 का प्रोटोकॉल।

मेन्स के लिये:

भारत और उसके पड़ोसी देशों से संबंधित सुरक्षा चिंता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है जो कथित रूप से रोहिंग्या मुस्लिमों की भारतीय क्षेत्र में अवैध तस्करी में शामिल एक सिंडिकेट का हिस्सा थे।

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प्रमुख बिंदु

रोहिंग्या मुस्लिम:

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को दुनिया में सबसे अधिक सताए गए अल्पसंख्यक के रूप में वर्णित किया गया है।
  • वर्ष 2017 में ये म्यांँमार सेना की कथित कार्रवाई से बचने के लिये अपने घर छोड़कर भाग गए थे।
  • दशकों से बौद्ध-बहुल देश म्यांँमार में भेदभाव और हिंसा से बचने के लिये अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश और भारत सहित अन्य देशों में भाग गए।

भारत की सुरक्षा से संबंधी मुद्दे और चिंताएँ

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा: भारत में रोहिंग्याओं के अवैध अप्रवास की निरंतरता और उनके भारत में रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा करता है।
  • हितों का टकराव: यह उन क्षेत्रों में स्थानीय आबादी के हितों को प्रभावित करता है जो बड़े पैमाने पर अप्रवासियों के अवैध रूप से प्रवेश का सामना करते हैं।
  • राजनीतिक अस्थिरता: यह राजनीतिक अस्थिरता को भी बढ़ाता है जब नेता राजनीतिक सत्ता हथियाने के लिये अभिजात वर्ग द्वारा प्रवासियों के खिलाफ देश के नागरिकों की धारणा को लामबंद करना शुरू करते हैं।
  • उग्रवाद का उदय: अवैध प्रवासियों के रूप में माने जाने वाले मुस्लिमों के खिलाफ लगातार होने वाले हमलों ने कट्टरपंथ का मार्ग प्रशस्त किया है।
  • मानव तस्करी: हाल के दशकों में सीमाओं पर महिलाओं और मानव तस्करी की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी गई है।
  • कानून-व्यवस्था में गड़बड़ी: अवैध और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त अवैध प्रवासियों द्वारा देश की कानून व्यवस्था और अखंडता को कमज़ोर किया जाता है।

‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ क्या है?

  • इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था। यह ऐसे अपराधों की जाँच करने और मुकदमा चलाने हेतु एक केंद्रीय एजेंसी है, जो अपराध हैं:
    • भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध।
    • परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध।
    • उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों (Conventions) और संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों ​​तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है।
  • इसका उद्देश्य भारत में आतंकवाद का मुकाबला करना भी है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

आगे की राह

  • शरणार्थी संरक्षण ढाँचे की आवश्यकता: वर्ष 1951 के शरणार्थी अभिसमय और इसके 1967 के प्रोटोकॉल का एक पक्ष नहीं होने के बावजूद भारत दुनिया में शरणार्थियों के सबसे बड़े प्राप्तकर्त्ताओं में से एक रहा है।
    • इसलिये यदि भारत में शरणार्थियों के संबंध में घरेलू कानून होता, तो यह पड़ोस में किसी भी दमनकारी सरकार को उनकी आबादी को सताने और उन्हें भारत में पलायन करने से रोक सकता था।
  • शरणार्थियों पर सार्क ढाँचा: भारत को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) में अन्य देशों को सार्क सम्मेलन या शरणार्थियों पर घोषणा के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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