शासन व्यवस्था
रिवर सिटीज एलायंस
- 26 Nov 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान, नमामि गंगे कार्यक्रम, गंगा एक्शन प्लान मेन्स के लिये:रिवर सिटीज़ एलायंस के उद्देश्य एवं महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर रिवर सिटीज़ एलायंस (River Cities Alliance- RCA) लॉन्च किया है।
- यह भारत में नदियों के किनारे बसे शहरों के सतत् प्रबंधन को लेकर भारत में एक समर्पित विचार मंच है।
प्रमुख बिंदु
- रिवर सिटीज़ एलायंस:
- गठबंधन तीन व्यापक विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा- नेटवर्किंग, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता।
- हालांँकि गठबंधन की शुरुआत गंगा बेसिन शहरों के साथ हुई थी, लेकिन इसे बेसिन से बाहर के शहरों को भी शामिल करने के लिये विस्तारित किया गया था। रिवर सिटीज़ एलायंस में निम्नलिखित शहर शामिल हैं:
- देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, पटना, बरहामपुर, हुगली-चिनसुराह, हावड़ा, जंगीपुर, महेशतला, राजमहल, साहिबगंज, अयोध्या, बिजनौर, फर्रुखाबाद, कानपुर, मथुरा-वृंदावन, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज, वाराणसी, औरंगाबाद, चेन्नई, भुवनेश्वर, हैदराबाद, पुणे, उदयपुर और विजयवाड़ा हैं।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga- NMCG) और शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान ( National Institute for Urban Affairs- NIUA) ने RCA को शुरू करने के लिये गठबंधन किया है।
- उद्देश्य:
- सदस्य शहरों को शहरी नदियों के सतत् प्रबंधन हेतु महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये एक मंच प्रदान करना।
- नदी से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों और उपकरणों को अपनाने की दिशा में काम करना।
- शहरों के लिये शहरी नदी प्रबंधन योजनाएँ तैयार करना और शहर-विशिष्ट क्षेत्रीय रणनीतियाँ विकसित करना जो स्थायी शहरी नदी प्रबंधन के लिये आवश्यक हैं।
- महत्त्व:
- यह शहरों को एक-दूसरे की सफलताओं और असफलताओं से सीखने के साथ-साथ लोगों को नदियों से जोड़ने में सक्षम बनाएगा।
- यह शहरों को उनकी नदियों से जोड़ने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और यह बेसिन तथा उससे आगे के सभी शहरों के अनुकरण के लिये एक मॉडल हो सकता है।
- यह नगर निगम के प्रशासकों और उनकी टीमों को पथ-प्रदर्शक पहल और एक-दूसरे से सीखने व प्रेरित करने का अवसर देगा।
- यह शहरों को नदी के शासन संबंधी पहलुओं को मज़बूत करने का अवसर प्रदान करता है और बाहरी आर्थिक निवेशों को आकर्षित करने हेतु उनकी जीवंतता में सुधार करता है, अत्याधुनिक ज्ञान और अवसंरचना के साथ-साथ अद्वितीय परियोजनाओं के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।
- सिफारिशें
- शहरों को अपनी नदियों के कायाकल्प के लिये उत्तरदायी होना चाहिये। इसे न केवल एक नियामक मानसिकता के साथ बल्कि एक विकासात्मक और सुविधाजनक दृष्टिकोण के साथ भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- शहरी जल चक्र तथा शहरी निर्माण के बीच एकीकरण के लिये एक रूपरेखा की आवश्यकता है।
- नदियों की बिगड़ती स्थिति के लिये बड़े पैमाने पर शहरों को उत्तरदायी ठहराया गया है और इसलिये कायाकल्प के प्रयासों में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता होगी।
- शहरों के लिये योजना बनाते समय नदी संवेदनशील दृष्टिकोण को मुख्यधारा में अपनाने की आवश्यकता है।
संबंधित पहल
- नमामि गंगे कार्यक्रम: यह राष्ट्रीय नदी ‘गंगा’ के संरक्षण और कायाकल्प तथा प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिये एक एकीकृत संरक्षण मिशन के रूप में प्रारंभ किया गया था।
- गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो 1985 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लाई गई थी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न और घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा पानी की गुणवत्ता में सुधार करना था।
- राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण (NRGBA): इसका गठन भारत सरकार ने वर्ष 2009 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-3 के तहत किया था।
- स्वच्छ गंगा कोष: इसे वर्ष 2014 में गंगा की सफाई, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना और नदी की जैविक विविधता के संरक्षण के लिये बनाया गया था।
- भुवन-गंगा वेब एप: यह गंगा नदी में प्रवेश करने वाले प्रदूषण की निगरानी में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
- अपशिष्ट निपटान पर प्रतिबंध: वर्ष 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गंगा में किसी भी प्रकार के कचरे के निपटान पर प्रतिबंध लगा दिया।