भारतीय रक्षा बलों में बढ़ता तनाव | 19 Feb 2025

मेन्स के लिये:

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, किरण हेल्पलाइन

मेन्स के लिये:

सशस्त्र बलों में तनाव और मनोबल संबंधी मुद्दे, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

मणिपुर में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान ने पहले अपने दो सहकर्मियों की हत्या की और फिर आत्महत्या कर ली, जिससे भारत के सुरक्षा बलों में बढ़ते तनाव की ओर ध्यान आकर्षित हुआ।

  • सैन्य कर्मियों में त्यागपत्र और आत्महत्या की बढ़ती संख्या, बेहतर शिकायत समाधान और मानसिक स्वास्थ्य उपचार की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करती है।

रक्षा कार्मिकों में तनाव के क्या कारण हैं?

  • परिचालन तनाव:
    • उग्रवाद-रोधी/आतंकवाद-रोधी (CI/CT) अभियानों में लंबे समय तक तैनाती और उच्च जोखिम वाली स्थितियों (अत्यधिक मौसम, कठिन भू-भाग, तथा दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव) में लगातार रहने से तनाव में वृद्धि होती है।
      • यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) के एक अध्ययन में बताया गया है कि भारतीय सेना के 50% से अधिक जवान गंभीर तनाव में हैं और अधिकारी जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारियों (JCOs) और अन्य रैंकों (ORs) की तुलना में उच्च संचयी तनाव का अनुभव करते हैं।
    • युद्ध अभियानों और फील्ड पोस्टिंग के दौरान परिवार से बार-बार और लंबे समय तक अलग रहना प्रियजनों के साथ बातचीत को सीमित कर देता है तथा मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
    • अप्रत्याशित कार्य घंटे, अनियमित कार्य समय अवधि और उच्च परिचालन के कारण तनाव की स्थिति में निरंतर सतर्कता और त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, जिससे अधिकारियों पर दबाव बढ़ जाता है। 
      • गैर-अधिकारियों के लिये, अल्पकालिक रोज़गार (जैसा कि अग्निपथ योजना में देखा गया है) और अनिश्चित कैरियर की संभावनाएँ रोज़गार से संबंधित चिंताओं को बढ़ाती हैं।
    • हताहतों की संख्या और युद्ध आघात , साथी सैनिकों की चोटों या मौतों को देखना मनोवैज्ञानिक संकट का कारण बनता है।
    • युद्ध एवं साथी सैनिकों के घायल होने या उनकी मृत्यु को देखने से उत्पन्न आघात के कारण मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि होती है।
  • गैर-परिचालनीय तनावकारक (Non-Operational Stressor):
    • नेतृत्व और प्रशासनिक मुद्दे जैसे अनुचित पदोन्नति, मान्यता का अभाव और नेतृत्व अंतराल।
      • वरिष्ठों एवं अधीनस्थों के साथ संघर्ष, जिसमें अपमान, गरिमा की कमी और पारस्परिक तनाव के मामले शामिल हैं।
    • बार-बार स्थानांतरण और कम समय के कार्यकाल के कारण कैरियर में प्रगति और पारिवारिक जीवन में अस्थिरता उत्पन्न होती है।
    • वेतन एवं स्थिति संबंधी चिंताएँ जैसे रैंक समतुल्यता में गिरावट और वित्तीय असंतोष।
    • आपातकालीन स्थितियों के बावजूद अवकाश आवेदन में विलंब या अस्वीकृति के कारण अवकाश अस्वीकार्यता और अत्यधिक कार्यभार।
    • मोबाइल फोन के सीमित उपयोग और सख्त अनुशासन नियमों के कारण व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध।
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और सहायता जैसे कि राशन की खराब गुणवत्ता, मनोरंजन सुविधाओं की कमी और अकुशल प्रशासनिक सहायता। 
      • इसके अतिरिक्त, सैन्यकर्मियों के परिवारों के साथ उनके घर पर होने वाला उत्पीड़न उनके तनाव को और बढ़ा देता है।
    • मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा कलंक, जिससे कमज़ोर समझे जाने के भय से मनोवैज्ञानिक सहायता लेने में हिचकिचाहट होती है।
      • इसके अतिरिक्त तनाव से निपटने के लिये शराब का उपयोग करना, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

तनाव सैन्यकर्मियों पर किस प्रकार प्रभाव डालता है?

  • बढ़ती आत्महत्याएँ और सहकर्मी हत्या, जहाँ तनाव अनुचित कदम उठाने का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति और उसके सहयोगी दोनों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
    • वर्ष 2020 से 2024 तक, 55,555 CAPF कर्मियों ने या तो इस्तीफा दे दिया या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, जबकि 730 कर्मियों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई।
  • उच्च रक्तचाप, चिंता, अवसाद और अन्य तनाव-संबंधी रोगों के बढ़ते मामलों के साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट।
  • मनोबल और प्रेरणा में कमी, जिससे परिचालन प्रभावशीलता और कर्त्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता में कमी आती है।
  • तनाव के कारण युद्ध की तैयारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि तनाव के कारण महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता, सतर्कता और समग्र प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है।
  • अधिक कार्मिकों द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र या शीघ्र निकासी का विकल्प चुनने से कर्मचारियों के नौकरी छोडऩे की दर बढ़ गई है।
  • पारिवारिक और सामाजिक संघर्ष, जहाँ कार्य संबंधी तनाव रिश्तों पर असर डालता है, जिससे घरेलू विवाद और भावनात्मक कष्ट उत्पन्न होते हैं।
  • नेतृत्व में विश्वास में कमी के कारण प्रबंधन के निर्णयों, नीतियों और संगठनात्मक समर्थन के प्रति असंतोष उत्पन्न होता है।

सैन्य कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य हेतु भारत की पहल

  • सलाह और दिशानिर्देश: अगस्त 2023 में भारतीय सैन्य कर्मियों में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिये अधिकारियों, धार्मिक शिक्षकों एवं प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात करने के लिये दिशानिर्देश जारी किये।
  • प्रशिक्षण एवं परामर्श कार्यक्रम: अधिकारियों को रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (DIPR) में प्रशिक्षित किया जाता है।
    • इनकी सहायता के लिये प्रत्येक इकाई में धार्मिक शिक्षक (पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पादरी) तैनात किये गए हैं।
    • जूनियर और गैर-कमीशन अधिकारियों के लिये मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता पाठ्यक्रम (12 सप्ताह की अवधि) का प्रावधान है।
  • परामर्श सहायता: प्रमुख सैन्य स्टेशनों पर तैनात नागरिक परामर्शदाता तथा सभी कमांड मुख्यालयों में हेल्पलाइनें स्थापित की गई हैं।
  • मनोचिकित्सा केंद्र: इन्हें प्रमुख सैन्य स्टेशनों पर चिकित्सा सेवा महानिदेशालय के अधीन स्थापित किया गया है।
  • समग्र दृष्टिकोण: इसमें योग, ध्यान, खेल, मनोरंजन, बेहतर सुविधाएँ और सैनिकों के लिये अनुकूल प्रणाली की स्थापना शामिल है।

आगे की राह

  • समय-समय पर तनाव आकलन करना: उभरते तनाव कारकों का आकलन करने एवं उनका समाधान करने के लिये DIPR पहल जैसे चल रहे कार्यक्रमों का विस्तार करना चाहिये।
  • मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: AI-आधारित चैटबॉट, टेलीमेडिसिन सेवाएँ (राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और किरण हेल्पलाइन के तहत) और मोबाइल ऐप वास्तविक समय में मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  • पारिवारिक सहायता कार्यक्रम: परामर्श, वित्तीय नियोजन कार्यशालाएँ तथा कार्मिकों के परिवारों के लिये कल्याण कार्यक्रम से घरेलू तनाव में कमी आ सकती है।
    • स्थायी सेवा-पश्चात रोज़गार सुनिश्चित करने तथा भूतपूर्व सैनिकों एवं सैनिकों की विधवाओं के लिये स्व-रोज़गार योजना की पहुँच का विस्तार करने के क्रम में अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में सेवानिवृत्त सैनिकों के लिये लेटरल एंट्री की सुविधा प्रदान करनी चाहिये।
  • बेहतर शिकायत निवारण: सैनिकों की चिंताओं के कुशलतापूर्वक समाधान हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के समान समयबद्ध तंत्र स्थापित करना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत के सैन्य कर्मियों में बढ़ते तनाव का राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ इनकी परिचालन प्रभावशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन चिंताओं को दूर करने के उपाय बताइये। 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न: भारतीय समाज में नवयुवतियों में आत्महत्या क्यों बढ़ रही है? स्पष्ट कीजिये। (2023)

प्रश्न: निम्नलिखित उद्धरण का आपके विचार से क्या अभिप्राय है?

‘‘हम बाहरी दुनिया में तब तक शांति प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि हम अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं कर लेते।’’ -दलाई लामा (2021)