भारतीय राजनीति
हड़ताल का अधिकार
- 07 Jan 2023
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:अनुच्छेद 19, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, मौलिक अधिकार। मेन्स के लिये:हड़ताल का अधिकार। |
चर्चा में क्यों ?
केरल उच्च न्यायालय ने इस बात को दोहराया है कि जो सरकारी कर्मचारी हड़तालों में भाग लेते हैं तथा सरकारी खजाने के साथ-साथ सामान्य जनता के जीवन को भी प्रभावित करते हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत सुरक्षा के हकदार नहीं हैं, साथ ही यह केरल सरकारी कर्मचारी आचरण नियम, 1960 के प्रावधानों के तहत नियमों का उल्लंघन है।
हड़ताल का अधिकार:
- परिचय:
- हड़ताल का आशय नियोक्ताओं द्वारा निर्धारित आवश्यक शर्तों के तहत काम करने से कर्मचारियों का सामूहिक रूप से इनकार करना है। हड़ताल के कई कारण हो सकते हैं, हालाँकि मुख्य तौर पर आर्थिक स्थितियों (आर्थिक हड़ताल के रूप में परिभाषित और मजदूरी एवं लाभ में सुधार के लिये) या श्रम प्रथाओं (कार्य स्थितियों में सुधार के उद्देश्य से) के संदर्भ में की जाती है।
- प्रत्येक देश में चाहे वह लोकतांत्रिक हो, पूंजीवादी या समाजवादी हो श्रमिकों को हड़ताल का अधिकार होना चाहिये लेकिन यह अधिकार अंतिम उपाय के रूप में उपयोग होना चाहिये क्योंकि यदि इस अधिकार का दुरुपयोग किया जाता है तो यह उद्योगों के उत्पादन और वित्तीय लाभ में समस्या उत्पन्न करेगा।
- यह अंततः देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
- भारत में विरोध का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
- लेकिन हड़ताल का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि एक कानूनी अधिकार है और इस अधिकार के साथ औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत वैधानिक प्रतिबंध जुड़ा हुआ है।
- औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 को औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के तहत समाहित किया गया है।
- भारत में स्थिति:
- अमेरिका के विपरीत भारत में हड़ताल का अधिकार कानून द्वारा स्पष्ट रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है।
- वाणिज्यिक विवाद के समर्थन में पंजीकृत ट्रेड यूनियन द्वारा की गई विशिष्ट कार्रवाइयों को मंज़ूरी देकर, जो अन्यथा सामान्य आर्थिक कानून का उल्लंघन कर सकती थी, ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 ने हड़ताल संबंधी पहला प्रतिबंधित अधिकार बनाया।
- वर्तमान में हड़ताल के अधिकार को ट्रेड यूनियनों के एक वैध हथियार के रूप में कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं के तहत सीमित मान्यता प्राप्त है।
- भारतीय संविधान हड़ताल करने का पूर्ण अधिकार नहीं प्रदान करता, लेकिन यह संघ का गठन करने की मौलिक स्वतंत्रता का पालन करता है।
- राज्य ट्रेड यूनियनों को संगठित करने और हड़तालों का आह्वान करने की क्षमता पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है, जैसा कि हर दूसरा मौलिक अधिकार उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत हड़ताल का अधिकार:
- हड़ताल के अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) के सम्मेलनों द्वारा भी मान्यता दी गई है।
- भारत ILO का संस्थापक सदस्य है।
- हड़ताल के अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) के सम्मेलनों द्वारा भी मान्यता दी गई है।
हड़ताल के अधिकार से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण निर्णय:
- दिल्ली पुलिस बनाम भारत संघ (1986) में सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस बल (अधिकारों का प्रतिबंध) अधिनियम, 1966 और संशोधन नियम, 1970 द्वारा संशोधित नियमों के प्रभावी होने के बाद गैर-राजपत्रित पुलिस बल के सदस्यों द्वारा संघ बनाने के प्रतिबंधों को बरकरार रखा।
- टी. के. रंगराजन बनाम तमिलनाडु सरकार (2003) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कर्मचारियों को हड़ताल का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इसके अलावा उनके हड़ताल पर जाने पर तमिलनाडु सरकारी सेवक आचरण नियम, 1973 के तहत रोक है।