भारतीय अर्थव्यवस्था
संशोधित प्राथमिकता क्षेत्र ऋण दिशानिर्देश
- 28 Mar 2025
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमाणपत्र, ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि मेन्स के लिये:प्राथमिकता क्षेत्र ऋण विकास, प्रभाव और चुनौतियाँ, PSL के माध्यम से वित्तीय समावेशन |
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत संशोधित प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) दिशानिर्देश जारी किये हैं। इन अद्यतनों का उद्देश्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण प्रवाह और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
संशोधित PSL दिशानिर्देश 2025 क्या हैं?
- शिक्षा के लिये उच्च ऋण सीमा: RBI ने शिक्षा के लिये PSL के तहत ऋण सीमा को 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया है।
- नवीकरणीय ऊर्जा ऋण: सौर ऊर्जा, बायोमास और सूक्ष्म जल विद्युत संयंत्रों जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये ऋण सीमा प्रति उधारकर्त्ता 30 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपए कर दी गई।
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिये व्यक्तिगत परिवारों के लिये ऋण की सीमा प्रति उधारकर्त्ता 10 लाख रुपए तक बनी रहेगी।
- शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के लिये PSL लक्ष्य: UCB के लिये संशोधित PSL लक्ष्य को समायोजित निवल बैंक ऋण (ANBC) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (CEOBE) के समतुल्य ऋण के 60% (75% से) तक घटा दिया गया है, जो भी अधिक हो।
- आवास क्षेत्र: किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिये ऋण सीमा बढ़ाई गई है, विशेष रूप से टियर-III से टियर-VI शहरों में।
- 'कमज़ोर वर्ग' श्रेणी का विस्तार: 'कमज़ोर वर्ग' श्रेणी के अंतर्गत पात्र उधारकर्त्ताओं की सूची का विस्तार किया गया है, इसमें अब ट्रांसजेंडर को भी शामिल किया गया है, जिससे वंचित समूहों के लिये वित्तीय समावेशन और बेहतर ऋण पहुँच को बढ़ावा मिलेगा।
नोट: ANBC आवश्यक कटौती और समायोजन के बाद कुल शुद्ध बैंक ऋण है, और CEOBE वह राशि है जो गारंटी और ऋण पत्र जैसे ऑफ-बैलेंस शीट मदों के ऋण जोखिम जोखिम का प्रतिनिधित्व करती है।
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण क्या है?
- परिचय: PSL RBI द्वारा निर्धारित एक अनिवार्य शर्त है जिसके तहत बैंकों को अपने ऋणों का एक निश्चित हिस्सा उन प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आवंटित करना होता है, जो ऋण की कमी का सामना कर रहे हैं, लेकिन समावेशी आर्थिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमाणपत्र (PSLC) प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों के बदले जारी किये जाने वाले व्यापार योग्य प्रमाणपत्र हैं।
- PSL का विकास: गाडगिल समिति (वर्ष 1969) ने 'क्षेत्रीय दृष्टिकोण' का प्रस्ताव रखा, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय ऋण योजना के लिये अग्रणी बैंक योजना (LBS) का विकास हुआ।
- नरीमन समिति (वर्ष 1969) ने गाडगिल समिति की सिफारिशों का समर्थन किया और सिफारिश की कि सार्वजनिक क्षेत्र के प्रत्येक बैंक को PSL को बढ़ावा देने के लिये कुछ ज़िलों को 'अग्रणी बैंक' के रूप में अपनाना चाहिये।
- PSL को वर्ष 1972 में RBI के अनौपचारिक अध्ययन समूह की रिपोर्ट (वर्ष 1971) के आधार पर औपचारिक रूप दिया गया था। प्रारंभ में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया था, लेकिन वर्ष 1974 में बैंकों को वर्ष 1979 तक PSL को 33.3% तक बढ़ाने की सलाह दी गई।
- कृष्णास्वामी समिति (वर्ष 1980) ने वर्ष 1985 तक 40% PSL लक्ष्य की सिफारिश की, जिसमें कृषि और कमज़ोर वर्गों के लिये उप-लक्ष्य भी शामिल थे।
- उषा थोराट समिति (2009) ने PSL के विस्तार में इसकी भूमिका के लिये LBS को जारी रखने का समर्थन किया।
बैंकों के लिये PSL लक्ष्य:
बैंक श्रेणी |
लक्ष्य |
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB) और विदेशी बैंक (भारत में 20+ शाखाओं के साथ) |
ANBC या CEOBE का 40%, जो भी अधिक हो |
विदेशी बैंक (20 से कम शाखाएँ) |
ANBC या CEOBE का 40% (निर्यात ऋण: न्यूनतम 32%, और गैर-निर्यात क्षेत्र 8%) |
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) और लघु वित्त बैंक (SFB) |
ANBC या CEOBE का 75%, जो भी अधिक हो |
- लक्ष्य पूरा न कर पाने की स्थिति में बैंकों के लिये प्रावधान: यह सुनिश्चित करने के लिये कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों तक धनराशि की उपलब्धता बनी रही, PSL लक्ष्य पूरा करने में विफल रहने वाले बैंकों को ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (RIDF) और अन्य निर्दिष्ट निधियों में निश्चित ब्याज दरों पर योगदान करना होगा।
नोट: विदेशी बैंक (भारत में 20 से कम शाखाओं के साथ) गैर-निर्यात क्षेत्रों के लिये अपने 8% लक्ष्य को पूरा करने के लिये PSLC जनरल का क्रय नहीं कर सकते हैं, लेकिन कृषि, MSME और लघु तथा सीमांत किसानों के लिये PSLC का क्रय कर सकते हैं।
PSL से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- क्षेत्रीय असंतुलन: बैंक सामान्यतः PSL के अंतर्गत MSME या आवास क्षेत्रों को ऋण प्रदान करने को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि वे व्यावसायिक रूप से अधिक व्यवहार्य होते हैं।
- लघु एवं सीमांत कृषि जैसे क्षेत्र, PSL का मुख्य घटक होने के बावजूद, वर्तमान में भी अपर्याप्त वित्त-पोषित क्षेत्र हैं।
- उच्च अनर्जक परिसंपत्तियाँ (NPA): बैंकों को विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में PSL ऋणों की वसूली में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उच्च NPA और वित्तीय तनाव उत्पन्न होता है।
- अध्ययनों के अनुसार PSL के कारण उधारकर्त्ताओं की सुभेद्यता के कारण चूक में वृद्धि होती है तथा राजनीतिक हस्तक्षेपों (ऋण माफी जैसी पहलों के साथ) के कारण बैंक ऋण प्रदान करने हेतु निरुत्साहित होते हैं।
- बैंकों के लिये अल्प लाभप्रदता: PSL ऋणों में प्रायः ब्याज दरें कम होती हैं और चूक का जोखिम अधिक होता है, जिससे वे बैंकों के लिये अल्प लाभदायक होते हैं।
- लक्ष्य-संचालित दृष्टिकोण: PSL परिणाम-उन्मुख होने के बजाय लक्ष्य-संचालित हो गया है। बैंक प्रायः अप्रत्यक्ष या गैर-प्राथमिकता वाले तरीकों से कोटा पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे वास्तविक विकासात्मक प्रभाव कम हो जाता है।
PSL का वर्द्धन करने हेतु क्या किया जा सकता है?
- निष्पादन-आधारित प्रोत्साहन: कोटा-आधारित ऋण प्रदान किये जाने के स्थान पर निर्धनता निवारण, आजीविका सृजन और सामाजिक परिणामों पर केंद्रित प्रभाव-संचालित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- केवल ऋण वितरण आँकड़ों के बजाय सामाजिक प्रभाव लेखापरीक्षा और विकास संकेतकों के माध्यम से निष्पादन आकलन शुरू किया जाना चाहिये।
- जोखिम न्यूनीकरण को बढ़ावा देना: PSL के अंतर्गत उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के लिये समर्पित ऋण गारंटी योजनाओं के माध्यम से, जैसे कि सूक्ष्म और लघु उद्यमों योजना हेतु संशोधित क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) की स्थापना, NPA के जोखिम को व्यापक स्तर तक कम किया जा सकता है।
- डिजिटल और तकनीकी एकीकरण: उधारकर्त्ताओं की प्रोफाइल बनाने, जोखिमों की पूर्वानुमान करने और ऋण उत्पादों को वैयक्तिकृत करने के लिये बिग डेटा को उपयोग में लाया जाना चाहिये। कृषि-ऋण विश्वसनीयता को बढ़ाते हुए कृषि उत्पादन का आकलन करने के लिये जियोटैगिंग का उपयोग किया जाना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL) का वित्तीय समावेशन और आर्थिक विकास में किस प्रकार योगदान होता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. प्रधानमंत्री जन धन योजना (पी.एम.जे.डी.वाई.) बैंकरहितों को संस्थागत वित्त में लाने के लिये आवश्यक है। क्या आप सहमत हैं कि इससे भारतीय समाज के गरीब तबके का वित्तीय समावेश होगा? अपने मत की पुष्टि के लिये तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2016) |