राजस्व गिरावट एवं जीएसटी परिषद | 13 Jun 2020
प्रीलिम्स के लिये:गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, उपकर मेन्स के लियेवर्तमान परिदृश्य में जीएसटी अधिनियम का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स काउंसिल’ ( Goods and Services Tax- GST Council) द्वारा केंद्र तथा राज्यों के मध्य बड़े पैमाने पर आई राजस्व में कमी को लेकर जुलाई में ‘एकल-बिंदु एजेंडा’ (Single-Point Agenda) बैठक को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस बैठक में परिषद द्वारा धन जुटाने तथा गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स के नुकसान की भरपाई करने के तरीकों में से एक, बाज़ार ऋण को लेने पर चर्चा की जाएगी।
- ‘जीएसटी अधिनियम’ में इस बात की गारंटी दी गई है कि जीएसटी कार्यान्वयन (2017-2022) के पहले पाँच वर्षों में राजस्व में किसी भी नुकसान की भरपाई को उपकर (Cess) के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
- उपकर कर के ऊपर लगाया जाने वाला कर है। सामान्यत: इसे किसी विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिये लगाया जाता है।
- जीएसटी अधिनियम के तहत यदि राज्यों का वास्तविक राजस्व अनुमानित राजस्व से कम संग्रहित होता है, तो इस अंतर की भरपाई की जाएगी।
- आधार वर्ष 2015-16 पर राज्यों के लिये अनुमानित राजस्व में हर वर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
- चालू वित्त वर्ष (2020-21) के पहले दो माह में, राज्यों तथा केंद्र द्वारा जीएसटी द्वारा कुल राजस्व संग्रह मासिक लक्ष्य का केवल 45 प्रतिशत ही रहा है।
- राज्यों द्वारा संग्रहित राजस्व लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2020-21 के लिये, संयुक्त मासिक जीएसटी राजस्व लक्ष्य अनुमानित बजट अनुमान का 1.21 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
- वर्ष 2017 में आयोजित GST काउंसिल की 8 वीं बैठक में राज्यों द्वारा ऋण लेने के विकल्प पर चर्चा की गई।
- इस बैठक में राज्यों द्वारा बाज़ार से उधार लेने तथा अतिरिक्त संसाधन जुटाने के तरीकों को जीएसटी परिषद द्वारा निश्चित किया जाना तय किया गया। जिसकी वापसी छठे वर्ष या उसके बाद के वर्षों में उपकर के संग्रह द्वारा की जा सकती है।
- जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून में प्रावधान है कि परिषद द्वारा अनुशंसित अन्य राशियों को उपकर की कमी के लिये प्रदान किया जाएगा।
- राज्यों को मुआवज़ा उस उपकर राशि से प्रदान किया जाना है जो क्षतिपूर्ति कोष में जमा होती है।
वर्तमान परिदृष्य में जीएसटी परिषद का निर्णय:
- जीएसटी परिषद द्वारा 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले छोटे करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने से संबंधित राहत प्रदान की गई है।
- छोटे करदाताओं द्वारा फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में हुई देरी के बावज़ूद 9 प्रतिशत तक कम दर पर किया गया है, बशर्ते रिटर्न सितंबर 2020 तक दाखिल किया जाना चाहिये।
- बिना किसी ब्याज या विलंब शुल्क के मई, जून और जुलाई माह के लिये रिटर्न भरने की समय सीमा को सितंबर तक बढ़ा दिया गया है।
आगे की राह:
वर्तमान समय में राज्यों के राजस्व संग्रह में आई कमी परिस्थितिजन्य अधिक है अतः इस क्षतिपूर्ति के समाधान पर चर्चा जुलाई में होने वाली बैठक का मुख्य मुद्दा होगा।
हालांकि सरकार द्वारा राज्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए है जिनके चलते सरकार द्वारा जीएसटी के मोर्चे पर कुछ राहत प्रदान की गई है जैसे-.जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में ढील दी, बड़ी कंपनियों को विलंब शुल्क तथा जुर्माने से छूट इत्यादि।