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संशोधित औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना और UCPMP 2024

  • 13 Mar 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (PTUAS), फार्मास्युटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेस प्रमोशन एंड डेवलपमेंट स्कीम, फार्मास्युटिकल्स के लिये PLI योजना, अनुसूची M और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी मानक

मेन्स के लिये:

भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग (DoP) ने संशोधित औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (Revamped Pharmaceuticals Technology Upgradation Assistance Scheme- RPTUAS) की घोषणा की है।

  • इसका उद्देश्य वैश्विक मानकों के अनुरूप फार्मास्युटिकल उद्योग की तकनीकी क्षमताओं को उन्नत करना है।
  • इसके अतिरिक्त, DoP ने  यूनिफॉर्म कोड फॉर फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (UCPMP), 2024 जारी किया। कोड का उद्देश्य ज़िम्मेदार विपणन प्रथाओं को सुनिश्चित करना और भ्रामक प्रचार गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।

RPTUAS की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • उद्देश्य:
    • RPTUAS के माध्यम से औषध विभाग का लक्ष्य फार्मास्युटिकल/औषध उद्योग के विकास में योगदान देना और वैश्विक विनिर्माण मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • विस्तृत पात्रता मानदंड:
      • 500 करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाली किसी भी फार्मास्युटिकल विनिर्माण इकाई को शामिल करने के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से अलग विस्तारित पात्रता।
      • उच्च गुणवत्ता वाले विनिर्माण मानकों को प्राप्त करने में छोटे अभिकर्त्ता का समर्थन करते हुए, MSME को प्राथमिकता दी गई है।
    • अनुकूल वित्तपोषण विकल्प:
      • पारंपरिक क्रेडिट-लिंक्ड दृष्टिकोण की तुलना में अधिक लचीलेपन की पेशकश करते हुए, प्रतिपूर्ति के आधार पर सब्सिडी की शुरुआत की गई है।
    • अनुपालन के लिये व्यापक समर्थन:
      • संशोधित अनुसूची-M और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुरूप तकनीकी उन्नयन की एक विस्तृत शृंखला HVAC सिस्टम, परीक्षण प्रयोगशालाएँ, स्वच्छ कमरे की सुविधाएँ आदि सहित अच्छे विनिर्माण अभ्यास (GMP) मानक का समर्थन करता है।
    • गतिशील प्रोत्साहन संरचना:
      • 50 करोड़ रुपए से कम, 50 रुपए से 250 तक और 250 रुपए से 500 करोड़ रुपए से कम के टर्नओवर के लिये योग्य गतिविधियों में निवेश पर क्रमशः 20%, 15% एवं 10% तक टर्नओवर-आधारित प्रोत्साहन प्रदान करता है।
    • राज्य सरकार योजना एकीकरण:
      • अतिरिक्त टॉप-अप सहायता प्रदान करने के लिये राज्य सरकार की योजनाओं के साथ एकीकरण की अनुमति देता है।
    • उन्नत सत्यापन तंत्र:
      • यह योजना पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी के माध्यम से एक मज़बूत सत्यापन तंत्र लागू करती है।

औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता (PTUAS) योजना

  • PTUAS दवा कंपनियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप दवाओं के उत्पादन के लिये अपनी सुविधाओं को उन्नत करने में मदद करता है। इसे जुलाई 2022 में लॉन्च किया गया था।
  • योजना के तहत प्रोत्साहन:

संशोधित अनुसूची M और WHO-GMP मानक क्या हैं?

  • जनवरी 2024 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना में फार्मास्युटिकल और बायोफार्मास्युटिकल उत्पादों के लिये मज़बूत गुणवत्ता नियंत्रण उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की अनुसूची M में संशोधन प्रस्तुत किया गया।
    • अनुसूची M फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिये गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) निर्धारित करती है।
      • GMP को पहली बार वर्ष 1988 में औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की अनुसूची M में शामिल किया गया था तथा अंतिम संशोधन जून 2005 में किया गया था।
        • संशोधन के साथ, 'गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) शब्दों को 'गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिये परिसर, संयंत्र तथा उपकरण की आवश्यकताएँ' से प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
  • संशोधित अनुसूची M GMP के पालन पर ज़ोर देती है और परिसर, संयंत्र तथा उपकरण की आवश्यकताओं को शामिल करती है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) GMP मानकों के साथ संरेखण सुनिश्चित करता है।
    • GMP एक अनिवार्य मानक है जो सामग्री, विधियों, मशीनों, प्रक्रियाओं, कर्मियों, सुविधा/पर्यावरण आदि पर नियंत्रण के माध्यम से उत्पाद में गुणवत्ता बनाता है और लाता है।
  • अद्यतन अनुसूची M में एक फार्मास्युटिकल गुणवत्ता प्रणाली (PQS), गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन (QRM), उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा (PQR), उपकरणों की योग्यता और सत्यापन तथा सभी दवा उत्पादों के लिये एक कंप्यूटरीकृत भंडारण प्रणाली का परिचय दिया गया है।

भारतीय दवाओं में गुणवत्ता संबंधी हालिया मामले

  • दिसंबर 2023 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation- CDSCO) के आँकड़ों से पता चलता है कि 54 भारतीय निर्माताओं के कम-से-कम 6% कफ सिरप नमूने निर्यात के लिये अनिवार्य गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे।
    • गाम्बिया, उज्बेकिस्तान, कैमरून और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दवाओं को लेने वाले बच्चों की मौत के बाद चिंता व्यक्त की।
  • अप्रैल 2023 में, यूएस सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने कथित तौर पर भारत से आयातित आई ड्रॉप्स से जुड़े दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया स्ट्रेन पर चिंता जताई थी।

UCPMP 2024 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • प्रलोभनों पर प्रतिबंध:
    • चिकित्सा प्रतिनिधियों (Medical Representatives) को स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों तक पहुँच प्राप्त करने के लिये प्रलोभन का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • भुगतान और उपहार का निषेध:
    • कंपनियों को स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों या उनके परिवार के सदस्यों को नकद, मौद्रिक अनुदान या आर्थिक लाभ देने से रोक दिया गया है।
    • फार्मास्युटिकल कंपनियों को दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन या आपूर्ति करने के लिये योग्य व्यक्तियों को उपहार या कोई आर्थिक लाभ देने से मना किया गया है।
  • साक्ष्य-आधारित दावे:
    • किसी दवा के लाभ के दावों को अद्यतन साक्ष्य द्वारा समर्थित किया जाना चाहिये और "सुरक्षित" (Safe) तथा "नया" (New) जैसे शब्दों का समुचित उपयोग किया जाना चाहिये।
  • केवल पारदर्शी CME कार्यक्रम:
    • फार्मास्युटिकल कंपनियाँ केवल सुपरिभाषित, पारदर्शी और सत्यापन योग्य दिशा-निर्देशों के माध्यम से सतत् चिकित्सा शिक्षा (CME) के लिये स्वास्थ्य पेशेवरों (HCPs) के साथ जुड़ सकती हैं।
  • सख्त अनुपालन:
    • UCPMP को सभी फार्मास्युटिकल कंपनियों और एसोसिएशनों द्वारा सख्ती से अनुपालन के लिये प्रसारित किया जाएगा।
    • सभी एसोसिएशनों को फार्मास्युटिकल विपणन प्रथाओं के लिये एक आचार समिति का गठन करना होगा

भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में उल्लेख किया गया है कि भारत दुनिया भर में फार्मा उत्पादों के उत्पादन में मात्रा के अनुसार तीसरे स्थान पर और मूल्य के अनुसार से 14वें स्थान पर है
  • फार्मा उद्योग के वर्ष 2030 तक 130 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। भारत फार्मास्यूटिकल्स का एक प्रमुख निर्यातक है और 200 से अधिक देशों में भारतीय फार्मा उत्पादों का निर्यात होता है।
  • यह वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, मात्रा के अनुसार वैश्विक आपूर्ति में 20% हिस्सेदारी रखता है और विश्व स्तर पर अग्रणी वैक्सीन निर्माता है
    • भारत अफ्रीका की जेनरिक दवाओं की  मांग का 50%, अमेरिका में जेनेरिक मांग का 40% और ब्रिटेन में सभी दवाओं की 25% आपूर्ति करता है।
  • वैश्विक वैक्सीन मांग की लगभग 60% आपूर्ति भारत द्वारा की जाती है। WHO की 70% वैक्सीन भारत द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं।

फार्मा सेक्टर से संबंधित योजनाएँ:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

मेन्स:

प्रश्न. भारत सरकार दवा के पारंपरिक ज्ञान को दवा कंपनियों द्वारा पेटेंट कराने से कैसे बचा रही है? (2019)

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