खुदरा मुद्रास्फीति में 6% की गिरावट | 14 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:RBI, CPI, WPI, कोर इन्फ्लेशन, MPC। मेन्स के लिये:खुदरा मुद्रास्फीति में 6% की गिरावट। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर मार्च 2023 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के निर्धारित 6% के ऊपरी लक्ष्य से नीचे गिरकर 5.66% तक रही है ऐसा मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में कमी (विशेष रूप से सब्जियों) के कारण हुआ है।
- कोर मुद्रास्फीति (जिसमें खाद्य और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं होती हैं) फरवरी के 6.12% से गिरकर मार्च में 5.95% रही थी।
इस गिरावट का महत्त्व:
- खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आना अर्थव्यवस्था के लिये एक सकारात्मक पहलू है। यह उन उपभोक्ताओं को कुछ राहत प्रदान करता है जो आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों से प्रभावित हैं। इसके अलावा यह RBI को मौद्रिक नीति के निर्धारण में अधिक लचीलापन प्रदान करेगी।
- हालाँकि यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और क्या आरबीआई इसी अनुसार ब्याज दरों को समायोजित करेगी।
खुदरा मुद्रास्फीति:
- खुदरा मुद्रास्फीति [जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति के रूप में भी जाना जाता है] वह दर है जिस पर उपभोक्ताओं द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिये खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ वृद्धि होती है।
- इसमें खाद्य पदार्थ, कपड़े, आवास, परिवहन और चिकित्सा देखभाल सहित आमतौर पर लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत में परिवर्तन को मापा जाता है।
- यह भोजन, कपड़े, आवास, परिवहन और चिकित्सा देखभाल सहित आमतौर पर परिवारों द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं की संपूर्ण लागत में परिवर्तन को मापता है।
- CPI के चार प्रकार निम्न हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (IW)
- कृषि मज़दूरों के लिये CPI (AL)
- ग्रामीण मज़दूरों के लिये CPI (RL)
- शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों (UNME) के लिये CPI
- इनमें से पहले तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित किया गया है। चौथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में NSO द्वारा संकलित किया गया है।
- CPI के लिये आधार वर्ष 2012 है।
- वर्ष 2020 में श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने आधार वर्ष 2016 के साथ औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) की नई शृंखला जारी की।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है। अप्रैल 2014 में RBI ने CPI को मुद्रास्फीति के अपने प्रमुख उपाय के रूप में अपनाया।
अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की निगरानी की आवश्यकता:
- मूल्य स्थिरता:
- मुद्रास्फीति की निगरानी कर नीति निर्माता मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये कदम उठा सकते हैं, जो आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
- उपभोक्ता और व्यापार हेतु विश्वनीय:
- जब मुद्रास्फीति कम और स्थिर होती है, तो इससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों का अर्थव्यवस्था में विश्वास मज़बूत होता है, यह उन्हें खर्च करने एवं निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- ब्याज दर:
- मुद्रास्फीति ब्याज दरों को प्रभावित करती है, जो बदले में उधार लेने और देने के निर्णयों, निवेश निर्णयों तथा समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित करती है।
- मुद्रास्फीति की निगरानी करके नीति निर्माता यह सुनिश्चित करने के लिये ब्याज दरों को समायोजित कर सकते हैं कि अर्थव्यवस्था स्थायी रूप से बढ़ रही है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मकता:
- उच्च मुद्रास्फीति की दर किसी देश के निर्यात को और अधिक महँगा बना सकती है, जिससे इसकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो सकती है।
- मुद्रास्फीति की निगरानी नीति निर्माताओं को मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती है, जो देश की आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता का समर्थन कर सकती है।
थोक मूल्य सूचकांक:
- यह थोक व्यवसायों द्वारा अन्य व्यवसायों को बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है।
- इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार (Office of Economic Adviser) के कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
- इस सूचकांक की सबसे प्रमुख आलोचना यह की जाती है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मांग-जन्य मुद्रास्फीति निम्नलिखित में से किसके कारण बढ़ सकती है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |