भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक प्रेषण पर रिपोर्ट : विश्व बैंक
- 17 May 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी विश्व बैंक के माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ के नवीनतम संस्करण के अनुसार, कोविड-19 प्रसार के बावजूद वर्ष 2020 में प्रेषित धन का प्रवाह लचीला रहा, जो पूर्व-अनुमानित आँकड़ो में कमी को प्रदर्शित करता है।
प्रमुख बिंदु
भारत का प्रेषण प्रवाह:
- विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली कोविड महामारी के बावजूद वर्ष 2020 में भारत प्रेषित धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है जिसने प्रेषित धन के रूप में 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्राप्त किया, जो पिछले वर्ष (2019) की तुलना में केवल 0.2 प्रतिशत कम है।
- वर्ष 2020 में भारत को प्रेषित धन में केवल 0.2% की गिरावट आई है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात से प्रेषित धन में 17% की कमी के कारण सर्वाधिक गिरावट हुई, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य आयोजक देशों से लचीले प्रवाह को परिलक्षित करता है।
- वर्ष 2019 में भारत को प्रेषित धन का 83.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुआ था।
वैश्विक प्रेषित धन या प्रेषण
- वर्ष 2020 में चीन का वैश्विक प्रेषित धन प्रवाह में दूसरा स्थान है।
- वर्ष 2020 में चीन को प्रेषित धन के रूप में 59.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए।
- भारत और चीन के बाद क्रमशः मेक्सिको, फिलीपींस, मिस्र, पाकिस्तान, फ्राँस तथा बांग्लादेश का स्थान है।
प्रेषित धन का बहिर्वाह :
- संयुक्त राज्य अमेरिका (68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से प्रेषित धन का बहिर्वाह सर्वाधिक था, इसके बाद यूएई, सऊदी अरब, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी तथा चीन का स्थान है।
प्रेषित धन के स्थिर प्रवाह का कारण:
- राजकोषीय प्रोत्साहन के फलस्वरूप आयोजक देशों की आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अधिक बेहतर हुई।
- नकद या कैश से डिजिटल की ओर तथा अनौपचारिक से औपचारिक चैनलों के प्रवाह में बदलाव करना।
- तेल की कीमतों और मुद्रा विनिमय दरों में चक्रीय उतार-चढ़ाव।
प्रेषित धन या रेमिटेंस (Remittance):
- प्रेषित धन वह धन है जो किसी अन्य पार्टी ( सामान्यत: एक देश से दूसरे देश में) को भेजा जाता है।
- प्रेषक आमतौर पर एक अप्रवासी होता है और प्राप्तकर्त्ता एक समुदाय/परिवार से संबंधित होता है। दूसरे शब्दों में रेमिटेंस से आशय प्रवासी कामगारों द्वारा धन अथवा वस्तु के रूप में अपने मूल समुदाय/परिवार को भेजी जाने वाली आय से है।
- रेमिटेंस कम आय वाले और विकासशील देशों में लोगों के लिये आय के सबसे बड़े स्रोतों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। यह आमतौर पर प्रत्यक्ष निवेश और आधिकारिक विकास सहायता की राशि से अधिक होता है।
- रेमिटेंस परिवारों को भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं।
- विश्व में प्रेषित धन या रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता भारत है।रेमिटेंस भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करता है और इसके चालू खाते के घाटे के लिये धन जुटाने में मदद करता है।
विश्व बैंक
परिचय
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन (Bretton Woods Conference) के दौरान हुई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) को ही विश्व बैंक कहा जाता है।
- विश्व बैंक समूह गरीबी को कम करने और विकासशील देशों में साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्यान्वित पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
सदस्य:
- वर्तमान में 189 देश इसके सदस्य हैं।
- भारत भी इसका एक सदस्य है।
प्रमुख रिपोर्ट्स:
इसकी पाँच विकसित संस्थाएँ
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) : यह लोन, ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA): यह निम्न आय वाले देशों को कम या बिना ब्याज वाले ऋण प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC): यह कंपनियों और सरकारों को निवेश, सलाह तथा परिसंपत्तियों के प्रबंधन संबंधी सहायता प्रदान करता है।
- बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA): यह ऋणदाताओं और निवेशकों को युद्ध जैसे राजनीतिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है।
- निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID): यह निवेशकों और देशों के मध्य उत्पन्न निवेश-विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है।
विश्व बैंक की माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट :
- इसे विश्व बैंक की प्रमुख अनुसंधान और डेटा शाखा ‘डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स’ (Development Economics- DEC) की माइग्रेशन एंड रेमिटेंस यूनिट (Migration and Remittances Unit) द्वारा तैयार किया जाता है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य छह महीनों में माइग्रेशन और रेमिटेंस के प्रवाह तथा संबंधित नीतियों के क्षेत्र में प्रमुख विकास पर एक अद्यतन प्रदान करना है।
- यह विकासशील देशों को रेमिटेंस प्रेषण प्रवाह के लिये मध्यम अवधि का अनुमान भी प्रदान करता है।
- यह डेटा वर्ष में दो बार तैयार किया जाता है।