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भारतीय अर्थव्यवस्था

अपरिवर्तित रेपो दर

  • 15 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आरबीआई, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, मौद्रिक नीति, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)।

मेन्स के लिये:

मौद्रिक नीति, वृद्धि एवं विकास, आरबीआई और इसके मौद्रिक नीति उपकरण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने प्रमुख नीतिगत दरों- रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और बैंक दर को अपरिवर्तित रखते हुए उदार नीतिगत दृष्टिकोण को जारी रखा।

  • यह लगातार दसवीं बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक ने पिछली बार 22 मई, 2020 को नीतिगत दर में संशोधन किया था।
  • यूएस फेडरल रिज़र्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) सहित वैश्विक केंद्रीय बैंकों की दरों में जल्द ही बढ़ोतरी की उम्मीद है। 

मौद्रिक नीति समिति:

  • यह विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत एक वैधानिक और संस्थागत ढाँचा है।
  • आरबीआई का पूर्व गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है।
  • एमपीसी मुद्रास्फीति लक्ष्य (4%) को प्राप्त करने के लिये आवश्यक नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2014 में तत्कालीन डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में आरबीआई द्वारा नियुक्त समिति ने मौद्रिक नीति समिति की स्थापना की सिफारिश की थी।

प्रमुख घोषणाएंँ:

  • रेपो रेट:
    • ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिये इसे 4% पर बरकरार रखा गया है।
    • इसका मतलब है कि बैंक उधार और जमा दरों में वृद्धि नहीं करेंगे तथा ऋण पर EMIs अपरिवर्तित रहेंगी।
      • रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में आरबीआई) वाणिज्यिक बैंकों के पास धन की कमी होने पर उन्हें पैसा उधार देता है। यहांँ केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों की खरीद करता है।
  • रिवर्स रेपो रेट:
    • इसे 3.35% पर बरकरार रखा गया है।
      • रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई देश के वाणिज्यिक बैंकों से पैसा उधार लेता है।
  • बैंक दर:
    • बैंक दर 4.25% पर अपरिवर्तित।
      • यह वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार देने के लिये आरबीआई द्वारा वसूल की जाने वाली दर है।
  • सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर:
    • इस दर को भी 4.25% पर बरकरार रखा गया है।
      • सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) अनुसूचित बैंकों के लिये आपातकालीन स्थिति में रिज़र्व बैंक से उधार लेने हेतु एक विकल्प है, जब इंटरबैंक तरलता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
  • मुद्रास्फीति:
    • कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) के लिये 5.3% उपभोक्ता मूल्य (खुदरा) मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है।
      • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) किसी विशेष वस्तु के लिये एक निश्चित स्तर पर खुदरा कीमतों और ग्रामीण, शहरी एवं अखिल भारतीय स्तरों पर वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव की निगरानी करता है। समय की एक निश्चित अवधि में मूल्य सूचकांक में परिवर्तन को सीपीआई-आधारित मुद्रास्फीति या खुदरा मुद्रास्फीति के रूप में जाना जाता है।
    • अगले वित्त वर्ष (FY23) के लिये खुदरा मुद्रास्फीति पहले के अनुमानों से कम 4.5% रहने का अनुमान है।
      • MPC ने कहा कि वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति के कम होने और लक्ष्य दर के करीब जाने की संभावना है, इसके बाद समायोजन हेतु बेहतर विकल्प मौजूद होंगे। सरकार द्वारा समय पर किये गए आपूर्ति उपायों ने मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित करने में काफी मदद की है।
      • उदार रुख का अर्थ है कि एमपीसी, दरों को कम करने या उन्हें अपरिवर्तित रखने हेतु तैयार है।
  • संभावित वृद्धि:
    • केंद्रीय बैंक ने अगले वित्तीय वर्ष (2022-23) के लिये वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.8% रहने का अनुमान लगाया है।
      • वास्तविक जीडीपी आर्थिक उत्पादन का एक माप है जो मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों के लिये ज़िम्मेदार है।
      • सांकेतिक जीडीपी और वास्तविक जीडीपी के बीच का अंतर मुद्रास्फीति के लिये एक समायोजन है। चूँकि सांकेतिक जीडीपी की गणना मौजूदा कीमतों का उपयोग करके की जाती है, इसलिये इसे मुद्रास्फीति के लिये किसी समायोजन की आवश्यकता नहीं होती है।

अपरिवर्तित दरें: 

  • MPC का विचार मुद्रास्फीति और विकास के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से मुद्रास्फीति दृष्टिकोण में सुधार, ओमीक्राॅन से संबंधित अनिश्चितताओं और वैश्विक स्पिल-ओवर द्वारा प्रदान की गई सुविधा का नीतिगत समर्थन जारी रखना था।

स्रोत: हिंदू

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