भारतीय अर्थव्यवस्था
मौद्रिक नीति रिपोर्ट : भारतीय रिज़र्व बैंक
- 10 Dec 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:मौद्रिक नीति रिपोर्ट,RBI, GDP, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय मेन्स के लिये:मौद्रिक नीति समीक्षा का उद्देश्य |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2021 के दिसंबर माह के लिये मौद्रिक नीति रिपोर्ट (Monetary Policy Report- MPR) जारी की है।
- इसने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखते हुए एक उदार रुख को बनाए रखा है।
प्रमुख बिंदु
- अपरिवर्तित रेट/दर:
- रेपो दर - 4%.
- रिवर्स रेपो दर - 3.35%.
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) - 4.25%.
- बैंक दर- 4.25%.
- GDP आकलन:
- वर्ष 2021-22 के लिये वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 9.5% पर बरकरार रखी गई है।
- मुद्रास्फीति:
- RBI ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3% पर बरकरार रखा है।
- परिवर्तनीय दर प्रतिवर्ती रेपो (Variable Rate Reverse Repos):
- इसने दिसंबर 2021 के अंत तक VRRR के तहत अवशोषित की जाने वाली राशि को 7.5 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया है।
- अगस्त 2021 में अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने के लिये RBI ने फिक्स्ड रेट ओवरनाइट रिवर्स रेपो की तुलना में अधिक यील्ड की संभावनाओं के कारण एक परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (VRRR) कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की।
- इसने दिसंबर 2021 के अंत तक VRRR के तहत अवशोषित की जाने वाली राशि को 7.5 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया है।
- अनुकूल रुख:
- RBI ने अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार होने तक एक उदार रुख जारी रखने का फैसला लिया है।
- एक उदार रुख का अर्थ है कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) या तो दरों को कम करने या उन्हें अपरिवर्तित रखने का निर्णय ले सकती है।
- महत्त्व:
- यह अल्पकालिक ब्याज दरों को कम करके उधार लेने के लिये धन को कम खर्चीला बनाकर उपभोक्ताओं और व्यवसायों द्वारा अधिक खर्च को प्रोत्साहित करता है।
- जब बैंकों के माध्यम से पैसा आसानी से उपलब्ध हो जाता है, तो अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति बढ़ जाती है, परिणामस्वरूप व्यय में वृद्धि होती है।
- यह राष्ट्रीय आय और धन/मुद्रा की मांग के सकारात्मक कार्य संबंध में राजकोषीय भंडार को बढ़ाने की अनुमति देता है।
- यह राष्ट्रीय मुद्रा भंडार को सक्रिय करने में मदद करता है और आर्थिक मंदी से बचने के लिये कमज़ोर समग्र मांग को रोकता है।
- इसलिये यह कहा जा सकता है कि एक उदार दृष्टिकोण भारत के विकास को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
- RBI ने अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार होने तक एक उदार रुख जारी रखने का फैसला लिया है।
- पूंजी लगाने की अनुमति नहीं:
- RBI ने बैंकों को अपनी विदेशी शाखाओं में पूंजी डालने के साथ-साथ कुछ नियामक पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के अंतर्गत अपनी पूर्व स्वीकृति के बिना मुनाफे को प्रत्यावर्तित करने की अनुमति दी।
- वर्तमान में भारत में निगमित बैंक अपनी विदेशी शाखाओं और सहायक कंपनियों में पूंजी लगा सकते हैं, इनमें अपने लाभ को बनाए रख सकते हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से मुनाफे को प्रत्यावर्तित/स्थानांतरित कर सकते हैं।
- बैंकों को परिचालनात्मक लचीलापन (Operational Flexibility) प्रदान करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि यदि बैंक विनियामक पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं तो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
- RBI ने बैंकों को अपनी विदेशी शाखाओं में पूंजी डालने के साथ-साथ कुछ नियामक पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के अंतर्गत अपनी पूर्व स्वीकृति के बिना मुनाफे को प्रत्यावर्तित करने की अनुमति दी।
मौद्रिक नीति रिपोर्ट
- मौद्रिक नीति रिपोर्ट को RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। MPC विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये RBI अधिनियम, 1934 के तहत एक वैधानिक और संस्थागत ढाँचा है।
- MPC, 4% के मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये आवश्यक नीति ब्याज़ दर (रेपो दर) निर्धारित करती है, जिसमें दोनों तरफ 2% अंक होते हैं। RBI का गवर्नर MPC का पदेन अध्यक्ष है।
प्रमुख शब्दावली
- रेपो और रिवर्स रेपो दर:
- रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक) किसी भी तरह की धनराशि की कमी होने पर वाणिज्यिक बैंकों को धन देता है। इस प्रक्रिया में केंद्रीय बैंक प्रतिभूति खरीदता है।
- रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर RBI देश के भीतर वाणिज्यिक बैंकों से धन उधार लेता है।
- बैंक दर:
- यह वाणिज्यिक बैंकों को निधियों को उधार देने के लिये RBI द्वारा प्रभारित दर है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF):
- MSF ऐसी स्थिति में अनुसूचित बैंकों के लिये आपातकालीन स्थिति में RBI से ओवरनाइट (रातों-रात) ऋण लेने की सुविधा है जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से कम हो जाती है।
- खुला बाज़ार परिचालन:
- ये RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री/खरीद के माध्यम से बाज़ार से रुपए की तरलता की स्थिति को समायोजित करने के उद्देश्य से किये गए बाज़ार संचालन हैं।
- सरकारी प्रतिभूति:
- सरकारी प्रतिभूतियाँ केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी की जाने वाली एक व्यापार योग्य साधन होती हैं। ये सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करती हैं।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक:
- यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है। यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
- CPI खाद्य, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिसे भारतीय उपभोक्ता उपभोग के लिये खरीदते हैं।