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भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात उत्पाद योजना पर शुल्क और करों की छूट

  • 18 Apr 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना,‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS)।

मेंन्स:

निर्यात संवर्धन, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने ‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना से लौह, इस्पात, रसायन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों को हटा दिया है।

इन क्षेत्रों को इस योजना से हटा दिया गया क्योंकि लौह और इस्पात 'पहले से ही उन्नत स्तर पर थे तथा महामारी के दौरान फार्मा उद्योग में भी वृद्धि हुई थी।

‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना:

  • परिचय
    • RoDTEP योजना निर्यातकों को ऐसे अंतर्निहित केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शुल्क या करों को वापस कर देगी, जिन पर अब तक या तो छूट नहीं दी जा रही थी या उन्हें वापस नहीं किया जा रहा था, जिससे भारत के निर्यातकों को नुकसान हो रहा था।
    • यह योजना उन करों या शुल्कों पर लागू नहीं होगी, जिन पर पहले ही छूट दी जा चुकी है या जिन्हें वापस किया जा चुका है। 
  • लॉन्च
    • इसे जनवरी 2021 में ‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया था, जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं थी।
      • MEIS योजना के तहत निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ (FOB) मूल्य पर 2% से 7% का अतिरिक्त लाभ प्रदान किया जा रहा था।
    • परिधान निर्यातकों के लिये ‘राज्य और केंद्रीय लेवी तथा कर’ (RoSCTL) योजना की छूट अलग से अधिसूचित की गई है।
  • दरें
    • विभिन्न क्षेत्रों के लिये कर रिफंड दरें 0.5% से 4.3% तक हैं।
    • यह छूट निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ मूल्य के प्रतिशत के रूप में दी जाएगी।
  • निर्गमन

महत्त्व:

  • भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना:
    • विद्युत् शुल्क पर कर, परिवहन में ईंधन पर मूल्यवर्द्धित कर, कृषि क्षेत्र आदि जैसे करों की प्रतिपूर्ति भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
    • अगले 5-10 वर्षों में भारत द्वारा प्रतिस्पर्द्धात्मकता, व्यापार प्रवाह और निर्यात संख्या को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की संभावना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों की बराबरी:
    • भारतीय निर्यातक, निर्यात के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने में सक्षम होंगे क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर निर्भर होने के बजाय देश के भीतर निर्यातकों को सस्ते परीक्षण और प्रमाणन उपलब्ध कराया जाएगा।
    • इससे देश के लिये अर्थव्यवस्था और उद्यमों हेतु कार्यशील पूंजी में वृद्धि होगी।
  • स्वचालित कर निर्धारण:
    • साथ ही इसके तहत निर्यातकों के लिये टैक्स असेसमेंट/कर मूल्यांकन पूरी तरह से स्वचालित हो जाएगा। व्यवसायों को एक स्वचालित धन वापसी-मार्ग के माध्यम से GST (वस्तु और सेवा कर) के तहत रिफंड तक पहुँच हो जाएगी।

फ्रेट ऑन बोर्ड:

  • इसे फ्री ऑन बोर्ड (FOB) भी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल यह इंगित करने के लिये किया जाता है कि शिपिंग के दौरान किसी भी वस्तु के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने पर कौन उत्तरदायी है।
    • "FOB ऑरिज़िन" का अर्थ है कि खरीदार जोखिम में है और विक्रेता द्वारा उत्पाद को शिप किये जाने के बाद माल पर खरीददार का स्वामित्व होता है।
    • "FOB डेस्टिनेशन" का अर्थ है कि जब तक माल खरीदार तक नहीं पहुँचता तब तक किसी भी प्रकार के नुकसान का जोखिम विक्रेता पर बना रहता है।
  • FOB की शर्तें खरीदार की माल सूची लागत (Inventory Cost) को प्रभावित करती हैं अर्थात् शिप किये गए माल में देयता को जोड़े जाने से माल सूची लागत बढ़ जाती है तथा शुद्ध आय कम हो जाती है।

स्रोत: द हिंदू

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