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भारत में फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का विनियमन

  • 03 Jul 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी, सूचना का अधिकार, बायोमेट्रिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मेन्स के लिये:

फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी, भारत में FRT के प्रशासन की आवश्यकता, इसके निहितार्थ और उपयोग, FRT में चुनौतियाँ।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के प्रमुख सार्वजनिक नीति थिंक-टैंक नीति आयोग ने देश में फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (Facial Recognition Technology- FRT) के उपयोग को विनियमित करने के लिये व्यापक नीति और कानूनी सुधारों का आह्वान किया है।

  • गोपनीयता, पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच इस कदम को एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।

भारत में FRT के उपयोग को विनियमित करने हेतु क्या प्रस्ताव हैं?

  • भारत में विनियमन की स्थिति:
    • वर्तमान में भारत में फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) के उपयोग को विनियमित करने के लिये कोई व्यापक कानूनी ढाँचा मौजूद नहीं है।
  • FRT को विनियमित करने की आवश्यकता:
    • बहुआयामी चुनौतियाँ: FRT अन्य तकनीकों की तुलना में अलग-अलग चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, क्योंकि इसमें संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा को दूर से ही कैप्चर करने और प्रोसेस करने की क्षमता है। मौजूदा नियम इन विशिष्ट चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर सकते हैं।
    • उत्तरदायी विकास सुनिश्चित करना: इसका उद्देश्य एक व्यापक शासन ढाँचा तैयार करना है जो भारत में FRT के उत्तरदायी विकास और क्रियान्वयन को सुनिश्चित कर सके।
    • यह FRT के उपयोग से जुड़े जोखिमों और नैतिक चिंताओं को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, जैसे- गोपनीयता का उल्लंघन, एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह और निगरानी शक्तियों का दुरुपयोग।
    • अंतर्राष्ट्रीय विचार नेतृत्व: सक्रिय विनियमन से भारत FRT प्रशासन पर वैश्विक विचार नेता के रूप में उभरेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श और नीतियों को आकार देगा।
    • सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देना: प्रभावी विनियमन से प्रौद्योगिकी में सार्वजनिक विश्वास का निर्माण होगा और विभिन्न क्षेत्रों में इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने में सहायता मिलेगी।
    • नवाचार और सुरक्षा उपायों में संतुलन: सुधारों का उद्देश्य FRT नवाचार को बढ़ावा देने तथा व्यक्तिगत अधिकारों एवं सामाजिक हितों की रक्षा के लिये आवश्यक सुरक्षा उपाय लागू करने के बीच संतुलन बनाना है।
  • प्रमुख प्रस्ताव:
    • उत्तरदायित्व का मानकीकरण:
      • एक विधिक ढाँचा तैयार करना जो क्षतिपूर्ति के दायरे को परिभाषित करता है और FRT की खराबी या दुरुपयोग से होने वाले नुकसान के लिये दायित्व स्थापित करता है। इससे ज़िम्मेदार नियोजन और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
    • नैतिक निरीक्षण:
      • FRT कार्यान्वयन की देखरेख के लिये विविध विशेषज्ञता वाली एक स्वतंत्र नैतिक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा गया। यह समिति प्रणाली के भीतर पारदर्शिता, जवाबदेहिता और संभावित पूर्वाग्रह के मुद्दों का निराकरण करेगी।
    • नियोजन में पारदर्शिता:
      • FRT प्रणालियों के नियोजन के संबंध में स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश अनिवार्य करना। इसमें विशिष्ट क्षेत्रों में FRT के उपयोग के बारे में जनता को सूचित करना और जहाँ आवश्यक हो, वहाँ उनकी सहमति प्राप्त करना शामिल होगा।
    • विधिक अनुपालन:
      • यह सुनिश्चित करना कि FRT प्रणालियों में न्यायमूर्ति के.एस.पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ  मामले में दिये गए निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित विधिक सिद्धांतों का अनुपालन किया जाए।
      • इन सिद्धांतों में वैधता (मौजूदा कानूनों का अनुपालन), तर्कसंगतता (उद्देश्य के प्रति आनुपातिकता) और आनुपातिकता (वैयक्तिक अधिकारों के साथ सुरक्षा की आवश्यकता का संतुलन) शामिल हैं।

फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी क्या है?

  • परिचय:
    • फेशियल रिकग्निशन एक एल्गोरिथम-आधारित तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं की पहचान और मानचित्रण करके चेहरे का एक डिजिटल नक्शा बनाती है तथा उपलब्ध डेटाबेस से मिलान करती है।
    • ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (AFRS) में बड़े डेटाबेस (जिसमें लोगों के चेहरों की तस्वीरें और वीडियो होते हैं) का इस्तेमाल व्यक्ति के चेहरे का मिलान करने और उसकी पहचान करने के लिये किया जाता है।
    • सीसीटीवी फुटेज से ली गई एक अज्ञात व्यक्ति की छवि की तुलना मौजूदा डेटाबेस से की जाती है, जो पैटर्न-खोज और मिलान के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करती है।
  • कार्यप्रणाली:
    • चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली मुख्य रूप से कैमरे के माध्यम से चेहरे और उसकी विशेषताओं को कैप्चर करके तथा कैप्चर की गई विशेषताओं को पुनः बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है।
    • इसकी विशेषताओं के साथ कैप्चर किया गया चेहरा एक डेटाबेस में संग्रहीत किया जाता है जिसे किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा सकता है जिसका उपयोग सुरक्षा उद्देश्यों, बैंकिंग सेवाओं आदि के लिये किया जा सकता है।
  • उपयोग:
    • सत्यापन:
      • चेहरे का नक्शा किसी व्यक्ति की पहचान प्रामाणित करने के लिये डेटाबेस पर मौजूद उसकी तस्वीर से मिलान करने के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है। उदाहरण के लिये इसका उपयोग फोन को अनलॉक करने के लिये किया जाता है।

    • पहचान:

      • चेहरे का नक्शा किसी फोटो या वीडियो से प्राप्त किया जाता है और फिर फोटो या वीडियो में व्यक्ति की पहचान करने के लिये पूरे डेटाबेस से मिलान किया जाता है। उदाहरण के लिये, कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ आमतौर पर पहचान के लिये FRT प्राप्त करती हैं।

FRT प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • अशुद्धता, दुरुपयोग तथा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: FRT में गलत पहचान हो सकती है, विशेषरूप से जब अलग-अलग जातीय तथा लैंगिक समूहों की तुलना की जाती है। इसके परिणामस्वरूप योग्य उम्मीदवारों को गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया जा सकता है
  • निगरानी एवं डेटा संग्रहण के लिये FRT का व्यापक उपयोग, कानूनी ढाँचे की उपस्थिति में भी, डेटा गोपनीयता के साथ-साथ संरक्षण के उद्देश्यों के साथ टकराव उत्पन्न कर सकता है।
  • नस्लीय तथा लैंगिक पूर्वाग्रह: अध्ययनों से पता चलता है कि नस्लीय तथा लैंगिक आधार पर FRT सटीकता में असमानताएँ हैं, जो संभावित रूप से योग्य उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर देती हैं और सामाजिक पूर्वाग्रहों को मज़बूत करती हैं।
  • आवश्यक सेवाओं से बहिष्कार: आधार प्रणाली के अंतर्गत बायोमेट्रिक प्रामाणीकरण में विफलता के कारण लोग आवश्यक सरकारी सेवाओं की पहुँच से वंचित हो गए हैं।

  • डेटा संरक्षण कानूनों का अभाव: व्यापक डेटा संरक्षण कानूनों की कमी बायोमेट्रिक डेटा के संग्रह, भंडारण एवं उपयोग के लिये अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ, FRT प्रणाली को दुरुपयोग को अधिक संवेदनशील बनाती है।

  • नैतिक चिंताएँ: यह सार्वजनिक सुरक्षा तथा व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के साथ-साथ दुरुपयोग की संभावना के बारे में नैतिक प्रश्न भी उत्पन्न करता है। अनामिता के ह्रास के साथ-साथ इस बात की भी चिंता है कि FRT का उपयोग सामाजिक नियंत्रण एवं विपक्ष के दमन के लिये किया जाएगा।

अन्य देशों में FRT विनियमन

  • यूरोपीय संघ (EU): सामान्य डेटा संरक्षण विनियम (GDPR) एवं डेटा संरक्षण निर्देश के अतिरिक्त, EU के पास एक AI अधिनियम है जिसका उद्देश्य जोखिम-आधारित अनुपालन ढाँचे को निर्मित करना, FRT प्रणालियों को "उच्च जोखिम" के रूप में वर्गीकृत करना और साथ ही उन्हें कठोर अनुपालन आवश्यकताओं के अधीन करना है।
  • यूके, यूएस, कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया: इन देशों में FRT का विनियमन मुख्य रूप से उनके संबंधित डेटा संरक्षण एवं गोपनीयता कानूनों द्वारा नियंत्रित होता है।

आगे की 

  • मज़बूत कानूनी ढाँचा: सार्वजनिक और निजी दोनों ही तरह के लोगों द्वारा FRT के इस्तेमाल को नियंत्रित करने वाले समर्पित कानून या विनियमन स्थापित करना। इन कानूनों में FRT के इस्तेमाल के लिए वैध उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिये, आनुपातिकता पर ज़ोर दिया जाना चाहिये और जवाबदेही की स्पष्ट रेखाएँ स्थापित की जानी चाहिये।
  • नैतिक निरीक्षण और शासन: FRT की तैनाती के नैतिक निहितार्थों का आकलन करने, कार्यप्रणाली संहिता निर्धारित करने तथा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये स्वतंत्र नैतिक निरीक्षण समितियों के गठन की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा: सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं के लिये FRT तैनाती का सार्वजनिक प्रकटीकरण अनिवार्य बनाना तथा मज़बूत डेटा सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिये FRT प्रशासन को भारत के आगामी डेटा सुरक्षा ढाँचे के साथ संरेखित करना।
  • पूर्वाग्रह को विकसित करना: विशेष रूप से उच्च-दांव वाले अनुप्रयोगों में FRT के निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश विकसित करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक नेतृत्व: वैश्विक मानकों को आकार देने के लिये FRT शासन पर अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेना। विश्व मंच पर ज़िम्मेदार AI विकास को बढ़ावा देने के लिये एक तकनीकी नेता के रूप में भारत की स्थिति का लाभ उठाना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी प्रणालियों को स्थापित करने से जुड़ी प्रमुख चिंताओं पर चर्चा कीजिये तथा पारदर्शिता, जवाबदेही सुनिश्चित करने और संभावित पूर्वाग्रहों को दूर करने के उपाय सुझाइए

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3.  रोगों का निदान
  4.  टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  5.  विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2, 3 और 5
(b) केवल 1,3 और 4
(c) केवल 2,4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. पहचान प्लेटफॉर्म ‘आधार’ खुला (ओपेन) ‘‘एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस’’ (ए.पी.आई.) उपलब्ध कराता है। इसका क्या अभिप्राय है? (2018)

  1. इसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
  2. परितारिका (आईरिस) का प्रयोग कर ऑनलाइन प्रामाणीकरण संभव है।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)    केवल 1   
(b)    केवल 2
(c)    1 और 2 दोनों   
(d)    न तो 1, न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020)

प्रश्न: निषेधात्मक श्रम के कौन से क्षेत्र हैं जिन्हें रोबोट द्वारा स्थायी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है? उन पहलों पर चर्चा कीजिये जो प्रमुख शोध संस्थानों में शोध को वास्तविक और लाभकारी नवाचार के लिये प्रेरित कर सकती हैं। (2015)

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