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भारतीय अर्थव्यवस्था

सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी योजना

  • 31 Jul 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

सुधार-आधारित और परिणाम-लिंक्ड पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना

मेन्स के लिये

योजना का महत्त्व और आवश्यकता, डिस्कॉम कंपनियों के पुर्नोत्थान का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक सुधार-आधारित और परिणाम-लिंक्ड पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंज़ूरी दी है।

  • यह योजना डिस्कॉम कंपनियों (विद्युत वितरण कंपनियों) के लिये इस बात को लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाती है कि वे वित्तपोषण का लाभ उठाने हेतु अपने परिचालन घाटे को कम करने की योजना किस प्रकार बनाती हैं।
  • प्रारंभ में डिस्कॉम को दी गई प्रारंभिक समयसीमा 31 अक्तूबर, 2021 थी। अब इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2021 कर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

योजना का उद्देश्य

  • वर्ष 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर AT&C (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) हानियों को 12-15% तक कम करना।
  • वर्ष 2024-25 तक ACS-ARR अंतर (यानी बिजली की कुल लागत और बिजली की आपूर्ति से उत्पन्न राजस्व के बीच के अंतर) को शून्य करना।
  • आधुनिक डिस्कॉम के लिये संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
  • वित्तीय रूप से सतत् और परिचालन कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिये बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं सामर्थ्यता में सुधार करना।
  • योजना का कार्यान्वयन ‘वन-साइज़ फिट ऑल’ दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिये तैयार की गई विशिष्ट कार्ययोजना पर आधारित होगा।

विशेषताएँ

  • प्रतिबंधात्मक/सशर्त वित्तीय सहायता: योजना आपूर्ति बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये डिस्कॉम को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करके सभी डिस्कॉम (निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना चाहती है।
  • विभिन्न योजनाओं का समावेशन: यह प्रस्तावित है कि निम्नलिखित योजनाओं के तहत वर्तमान में चल रही अनुमोदित परियोजनाओं को सम्मिलित किया जाएगा:
    • एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS)
    • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY)
    • उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY)
    • जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों के लिये प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) 2015।
  • कृषि फीडरों का सौरीकरण: इस योजना में किसानों के लिये बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने तथा कृषि फीडरों के सौरीकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है। 
  • स्मार्ट मीटरिंग: इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (PPP) मॉडल को लागू करने के लिये उपभोक्ता का सशक्तीकरण कर उन्हें सक्षम बनाना है।
    • इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता, मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी ज़रूरतों के अनुसार तथा उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।
    • इसके पहले चरण में दिसंबर 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव है। 
  • उत्तोलन प्रौद्योगिकी: सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाया जाएगा। 
    • इस डिस्कॉम ( DISCOM) को नुकसान में कमी, मांग का पूर्वानुमान, दिन के समय (ToD), टैरिफ, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) एकीकरण और अन्य संभावित विश्लेषण पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सकेगा।  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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