शासन व्यवस्था
आरक्षण पर सिफारिशें
- 19 Dec 2020
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (Indian Institutes of Technology- IITs) में छात्रों के प्रवेश और संकाय (Faculty) की भर्ती में आरक्षण के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सरकार द्वारा नियुक्त आठ सदस्यीय समिति ने सुझाव प्रस्तुत किया है।
प्रमुख बिंदु
समिति के विषय में:
- इस समिति की अध्यक्षता IIT दिल्ली के निदेशक ने की और इसमें आईआईटी कानपुर के निदेशक, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव, जनजातीय मामलों, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रतिनिधियों के अलावा IIT बॉम्बे तथा IIT मद्रास के सदस्य शामिल थे।
- यह जून 2020 में शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी, जिसे सूचना का अधिकार (Right to Information) अधिनियम, 2005 के तहत उपलब्ध कराया गया।
सुझाव:
- राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों के रूप में स्थापित और मान्यता प्राप्त होने के कारण IIT को केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 की अनुसूची में उल्लिखित "उत्कृष्टता के संस्थानों" (Institutions of Excellence) की सूची में शामिल किया जाना चाहिये।
- अधिनियम की धारा 4 "उत्कृष्टता, अनुसंधान, राष्ट्रीय और सामरिक महत्व के संस्थानों" को अनुसूची में उल्लिखित और "अल्पसंख्यक संस्थानों" को आरक्षण प्रदान करने से छूट देती है।
- अधिनियम की धारा 4 के तहत IIT संस्थानों को छोड़कर कई अनुसंधान संस्थान जैसे- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी आदि शामिल हैं।
- समिति ने सिफारिश की है कि यदि आरक्षण से पूर्ण छूट देना संभव न हो तो आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) सहित सभी श्रेणियों के लिये आरक्षण नीतियों को केवल सहायक प्रोफेसर ग्रेड I और ग्रेड II तक ही सीमित रखा जाना चाहिये।
- किसी विशेष वर्ष की अनुपलब्धता के कारण रिक्त पदों को बाद के वर्षों के लिये आरक्षित करना।
- आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को आकर्षित करने के लिये विशेष भर्ती अभियान संचलित करना।
- अनेक मुद्दों को संबोधित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि "एक निर्धारित समय में लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ज़ोर देने वाली प्रणाली" और "विशिष्ट कोटा" नीति का पालन नहीं किया जाना चाहिये ताकि IIT उत्कृष्टता, उत्पादन, अनुसंधान और शिक्षण के मामले में दुनिया के अन्य शीर्ष संस्थानों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके।
- पैनल PhD कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक आरक्षित वर्गों के छात्रों के लिये दो-वर्षीय अनुसंधान सहायता का प्रस्ताव करता है।
- पैनल ने इस बिंदु पर प्रकाश डाला कि PhD कार्यक्रम में आरक्षित श्रेणी के छात्रों का नामांकन कम होने के कारण IIT संस्थानों में संकाय के रूप में भर्ती के लिये उपलब्ध आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की संख्या गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019
- यह शिक्षक संवर्ग की सीधी भर्ती में अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (SCs/STs/SEBCs/EWS) के लिये पदों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- अधिनियम कुछ मामलों में लागू नहीं होता है:
- अधिनियम की अनुसूची में निर्दिष्ट उत्कृष्टता, अनुसंधान संस्थानों, राष्ट्रीय और सामरिक महत्त्व के संस्थानों पर।
- एक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान पर।
- फिर भी केंद्र सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा समय-समय पर इसकी अनुसूची में संशोधन कर सकती है।