संसद द्वारा केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 पारित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद द्वारा केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 [Central Educational Institutions (Reservation in Teachers’ Cadre) Bill, 2019] पारित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक "केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019" को प्रतिस्थापित करेगा ।
- केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 विश्वविद्यालय / कॉलेज को एक इकाई के रूप में मानकर आरक्षण प्रदान करता है, जबकि इससे पूर्ववर्ती अध्यादेश में 200 यूनिट के रोस्टर के आधार पर आरक्षण दिया जाता था।
अब विभाग / विषय को एक इकाई के रूप में नहीं माना जाएगा। इस निर्णय के निम्नलिखित प्रभाव होंगे:-
- इस विधेयक को मंज़ूरी मिलने के बाद केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में 7000 से अधिक रिक्तियों पर सीधी भर्ती प्रारंभ हो जाएगी तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों (केंद्रीय और राज्य) में अध्यापक संवर्ग के लगभग 3 लाख रिक्त पदों को भरने का मार्ग भी प्रशस्त होगा ।
- यह विधेयक अनुच्छेद 14, 16 और 21 के संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
- शिक्षक संवर्ग की सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (SCs/STs/SEBCs/EWS) का पूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो पायेगा ।
- यह विधेयक आरक्षित वर्गों के योग्य एवं प्रतिभावान उम्मीदवारों को आकर्षित कर उच्च शिक्षा संस्थानों के अध्यापन मानकों में सुधार करेगा।
- शिक्षकों के संवर्ग में सीधी भर्ती में पदों के आरक्षण की इकाई 'विश्वविद्यालय / शैक्षणिक संस्थान होगा न कि विभाग।
- सरकार द्वारा अनुमोदित यह विधेयक SC/ ST/SEBC से संबंधित व्यक्तियों द्वारा लंबे समय से की जा रही मांगों को संबोधित करेगा और संविधान के अंतर्गत परिकल्पित उनके अधिकारों को भी सुनिश्चित करेगा। यह आर्थिक रूप से कमज़ोर समुदायों (EWS) के लिये 10% आरक्षण को भी सुनिश्चित करेगा।