भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रौद्योगिकीय क्षेत्र में छँटनी
- 31 Jan 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक छँटनी, आर्थिक मंदी, GDP, रोज़गार, रूस-यूक्रेन संघर्ष, कोविड-19 मेन्स के लिये:वैश्विक छँटनी का भारत पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन कॉर्प (आईबीएम) ने घोषणा की है कि वह लगभग 3,900 कर्मचारियों की छँटनी करेगा।
- यह वर्ष 2022 में तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों की नवीनतम छँटनी शृंखला है; अकेले तकनीकी क्षेत्र ने 1,50,000 से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया है, साथ ही नए वर्ष की शुरुआत के बाद से कई और नौकरियों में कटौती की घोषणा की जा रही है, यह संख्या 40,000 से अधिक हो सकती है।
- अमेरिका की सबसे बड़ी टेक कंपनियों (अल्फाबेट, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक के स्वामित्त्व वाली मेटा) ने हाल के महीनों में 51,000 छँटनी की है।
छँटनी का कारण
- मंदी का खतरा:
- कोविड -19 महामारी ने पहले से ही विकास को धीमा कर दिया था और 2022 में जब महामारी का असर कम हो गया तो रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने आसन्न मंदी के बारे में सावधानी बरतनी शुरू कर दी।
- ये कंपनियाँ संभावित आर्थिक मंदी से आशंकित हैं तथा दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने महामारी और चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष को देखते हुए वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 दोनों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के पूर्वानुमान को निराशाजनक बताया है।
- निराशाजनक वृद्धि:
- अल्फाबेट ने अपनी तीसरी वित्तीय तिमाही के लिये अपेक्षा से कम संख्या पोस्ट की थी, जहाँ यह राजस्व और लाभ दोनों में उम्मीदों से पीछे रह गई।
- विश्लेषकों का यह भी अनुमान है कि एप्पल सहित पाँच बड़ी तकनीकी कंपनियाँ अक्तूबर से दिसंबर (2022) की अवधि के लिये निराशाजनक मुनाफे की रिपोर्ट करने की तरफ बढ़ रही हैं।
- रॉयटर्स के एक विश्लेषण में कहा गया है कि अमेज़न की रिपोर्ट से यह अनुमान है कि आय में 38% की गिरावट आई है तथा 22 से अधिक वर्षों में राजस्व सबसे कम गति से बढ़ा है।
- लागत में कटौती:
- छँटनी के प्रमुख कारणों में से एक लागत में कटौती है क्योंकि कंपनियाँ अपने बिलों का भुगतान करने के लिये पर्याप्त धन अर्जित नहीं कर पा रही हैं या फिर उन्हें ऋण चुकाने के लिये अतिरिक्त धन की एक बड़ी राशि की आवश्यकता है।
- मीडिया सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022 में भारतीय कंपनियों नए भी इस समस्या का सामना किया, जब उन्होंने मुख्य रूप से एडटेक और ई-कॉमर्स क्षेत्रों में 10,000 से अधिक कर्मचारियों की छँटनी की।
- छँटनी के प्रमुख कारणों में से एक लागत में कटौती है क्योंकि कंपनियाँ अपने बिलों का भुगतान करने के लिये पर्याप्त धन अर्जित नहीं कर पा रही हैं या फिर उन्हें ऋण चुकाने के लिये अतिरिक्त धन की एक बड़ी राशि की आवश्यकता है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर घटती निर्भरता:
- महामारी के प्रभाव में कमी आने के साथ-साथ लोगों ने इंटरनेट पर समय देना कम कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी तकनीकी कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है।
- महामारी के दौरान समग्र खपत में वृद्धि देखी गई, जिसके बाद कंपनियों ने बाज़ार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपने उत्पादन में वृद्धि की, जिसमें वर्तमान में काफी कमी आई है।
इस छँटनी का भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव:
- निकाले गए लोगों में से 30% से 40% के बीच भारतीय IT पेशेवर हैं, जिनमें से बड़ी संख्या H-1B और L1 वीज़ा वालों की है।
- H-1B वीज़ा एक गैर-आप्रवासी वीज़ा है जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशेष व्यवसायों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
- प्रौद्योगिकी कंपनियाँ भारत और चीन जैसे देशों से प्रतिवर्ष हज़ारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिये इस पर निर्भर होती हैं। उनमें से अब एक बड़ी संख्या निर्धारित कुछ महीनों में नई नौकरी खोजने और अमेरिका में रहने के विकल्पों की तलाश कर रही है, जो उन्हें नौकरी खोने के बाद इन विदेशी कार्य वीज़ा के तहत मिलती है।
भारत में तकनीकी कर्मचारियों के लिये रोज़गार की स्थिति:
- एडटेक और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में देश के स्टार्टअप्स में 20,000 से अधिक श्रमिकों को वर्ष 2022 में निकाल दिया गया था, क्योंकि निवेशकों ने सिर्फ एक वर्ष पहले बाज़ार में बड़ी मात्रा में पूंजी का निवेश किया था।
- स्विगी, 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक के मूल्यांकन वाली एक फर्म जैसे स्टार्टअप जो जनवरी में एक डेकाकॉर्न बन गए थे, वर्ष 2023 के शुरू में ही हम देख सकते हैं कि हाल ही में 380 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है तथा Google समर्थित शेयरचैट ने 20% या लगभग 400 कर्मचारियों को निकाल दिया।
- कैब सेवा देने वाली कंपनी ओला जिसने अपने क्विक कॉमर्स वर्टिकल का विस्तार करने में विफल बोली के कारण वर्ष 2022 तक 2,000 से अधिक कर्मचारियों को पहले ही निकाल दिया था, ने इस वर्ष की शुरुआत में 200 और कर्मचारियों को निकाल दिया।
छँटनी का प्रभाव:
- श्रमिकों को नुकसान:
- छंँटनी मनोवैज्ञानिक और साथ ही वित्तीय रूप से श्रमिकों को प्रभावित करने के साथ-साथ उनके परिवारों, समुदायों, सहयोगियों और अन्य व्यवसायों के लिये हानिकारक हो सकती है।
- संभावनाओं का नुकसान:
- जिन भारतीय श्रमिकों को नौकरी से निकाला गया है, उनकी चिंता बहुत बड़ी है। यदि वे 60 दिनों के भीतर एक नया नियोक्ता खोजने में असमर्थ रहता हैं, तो उन्हें अमेरिका छोड़ने और बाद में फिर से प्रवेश करने जैसी संभावनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- प्रतिकूल स्थिति के कारण इन भारतीय श्रमिकों की घर वापसी की संभावनाएंँ भी कम हैं।
- अधिकांश भारतीय आईटी कंपनियों ने नियुक्तियों को फ्रीज या धीमा कर दिया है क्योंकि अमेरिका में मंदी की आशंका और यूरोप में उच्च मुद्रास्फीति ने मांग को कम रखा है।
- ग्राहकों की संभाव्यता में कमी:
- जब कोई कंपनी अपने कर्मचारियों की छंँटनी करती है तो इससे ग्राहकों में यह संदेश जाता है कि वह किसी प्रकार से संकटग्रस्त है।
- भावनात्मक संकट:
- यद्यपि जिस व्यक्ति को नौकरी से निकाल दिया जाता है, वह सबसे अधिक संकट में होता है लेकिन शेष कर्मचारी भी भावनात्मक रूप से भी पीड़ित होते हैं। भय के साथ काम करने वाले कर्मचारियों का उत्पादकता स्तर कम होने की संभावना होती है।
आगे की राह
- भारतीय स्टार्टअप अपने पड़ोसी क्षेत्रों की तुलना में तेज़ गति से आगे बढ़े हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यदि एक स्टार्टअप ने विकास के क्रम में आसमान छू लिया है तो उसके कर्मचारियों की नौकरियाँ भी सुरक्षित होंगी।
- स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति कार्यक्रम व्यक्तियों को सुचारु रूप से सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ने में सक्षम बना सकते हैं।