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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के लिये क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का पुनर्मूल्यांकन

  • 17 Apr 2021
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सिंगापुर के विदेश मंत्री ने रायसीना डायलॉग के 6वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) और वृहद एवं प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी (CPTPP) जैसे क्षेत्रीय व्यापारिक समझौतों (RTA) पर अपने दृष्टिकोण का ‘पुनर्मूल्यांकन’ करेगा।

  • रायसीना डायलॉग भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक वार्षिक सम्मेलन है जिसका आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation- ORF) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।

प्रमुख बिंदु: 

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP)

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  • परिचय:
    • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापारिक समझौता है, जिसमें चीन, जापान ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड और आसियान (ASEAN) के दस देश, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओस, म्याॅमार और फिलीपींस शामिल है। यह नवंबर 2020 में RCEP के चौथे सम्मेलन में लागू हुआ था तथा इसमें भारत शामिल नहीं है।
    •  RCEP के अंतर्गत किसी भी देश को लाभ देने से पहले कुछ अवधि की पुष्टि करनी होगी तथा RCEP को पहले कम-से-कम छह आसियान और तीन गैर-आसियान सदस्य राज्यों द्वारा प्रभावी होना चाहिये।
      • देशों के बीच व्यापार विरोधी और चीन विरोधी भावनाओं के कारण राष्ट्रीय संसदों में अनुसमर्थन  मुश्किल हो जाएगा।
      • हाल ही में आधिकारिक अनुसमर्थन प्रक्रिया को पूरा करने और अपने अनुसमर्थन उपकरण को मज़बूत करने वाला सिंगापुर पहला RCEP में भाग लेने वाला देश (RPC) है।
  • महत्त्व:
    • शुल्क समाप्त करना:
      • उम्मीद के अनुसार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) आगामी 20 वर्ष के भीतर आयात पर लगने वाले शुल्क को पूर्णतः समाप्त कर देगी। इस समझौते में बौद्धिक संपदा, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, ई-कॉमर्स और पेशेवर सेवाओं से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।
    • समानता :
      • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के तहत सभी सदस्य राष्ट्रों के साथ एक समान व्यवहार किया जाएगाजो RCEP में शामिल देशों में कंपनियों को आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये व्यापार क्षेत्र की ओर उन्मुख होने के लिये प्रोत्साहन दे सकता है।
        • वैश्विक आपूर्ति शृंखला वाले व्यवसायों को एक FTA के साथ-साथ शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके उत्पादों में ऐसे घटक शामिल होते हैं जो कहीं और बनाए जाते हैं।
    • बढ़ी हुई वैश्विक आय:
      • इस समझौते के कारण वर्ष 2030 तक वैश्विक आय में 186 बिलियन डॉलर तक की बढ़ोतरी हो सकती है, साथ ही यह समझौता सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था में 0.2% की बढ़ोतरी कर सकता है।
      • हालाँकि कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि इस समझौते से चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को अन्य सदस्य देशों की तुलना में अधिक लाभ होने की संभावना है।
  • भारत का रुख:
    • भारत, ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (RCEP) से मुख्यतः चीन द्वारा उत्पादित सस्ते सामान के देश में प्रवेश करने संबंधी चिंताओं के कारण अलग हो गया था। चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन पहले से काफी अधिक है। इसके अलावा यह समझौता सेवाओं को पर्याप्त रूप से खुला रखने में विफल रहा था।

वृहद एवं प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी समझौता (CPTPP):

CPTPP

  • परिचय:
    • CPTPP प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के चारों ओर अवस्थित 11 राष्ट्रों का एक मुक्त व्यापार समझौता है जिनमें शामिल है: 
    • कनाडा, मैक्सिको, पेरू, चिली, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और जापान।
    • ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TTP) से अमेरिका के हटने के बाद शेष 11 प्रतिभागियों ने समझौते में संशोधन करने की मांग की और बाकी देशों ने  मार्च 2018 में ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप के लिये एक नए व्यापक और प्रगतिशील समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
      • यह दिसंबर 2018 में लागू हुआ।
  • महत्त्व :
    • शुल्क  समाप्त : 
      • मूल TPP के समान CPTPP भी  वस्तु और सेवाओं पर 99% प्रशुल्क समाप्त करता है।
    • व्यापक विस्तार:
      • CPTPP वस्तु और सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। इनमें वित्तीय सेवाएँ, दूरसंचार और खाद्य सुरक्षा मानक शामिल हैं।
    • पर्यावरणीय दुर्व्यवहार को कम करना:
      • सभी देशों ने वन्यजीवों की तस्करी को कम करने के लिये समझौता किया है। इससे हाथियों, गैंडों और समुद्री प्रजातियों को सर्वाधिक संरक्षण प्राप्त होगा।
      • यह पर्यावरणीय दुर्व्यवहारों जैसे-अस्थिर लॉगिंग ( unsustainable logging) और मछली पकड़ना आदि को प्रतिबंधित करता है। इस प्रावधान का अनुपालन न करने वाले देशों को व्यापार दंड का सामना करना पड़ेगा।
  • भारत का रुख:
    • भारत CPTPP में शामिल नहीं हुआ क्योंकि वह अपने अन्य भागीदारों की अपेक्षा अधिक श्रम और पर्यावरणीय मानकों को स्थान देना चाहता हैI इसके CPTPP के मसौदे में निवेश संरक्षण के लिये मानकों पर आधारित विस्तृत योग्यताएँ, मेज़बान देश के विनियमन के अधिकार की रक्षा करने के प्रावधान और विस्तृत पारदर्शिता आवश्यकताओं को लागू करना शामिल है।

भारत को RCEP और CPTPP के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता:

  •  विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये:
    • RCEP और CPTPP क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके द्वारा भारत को शुल्क मुक्त, कोटा मुक्त व्यापार तक पहुँच स्थापित करने के साथ प्रशांत क्षेत्र के लिये विनिर्माण केंद्र (HUB) और निर्यात मंच प्रदान करने की संभावना  है ।
  • व्यक्तिगत संबंधों को मज़बूत करने के लिये:
    • भारत के पास पहले से ही स्थिर व्यापार संबंध हैं या वह कनाडा, मैक्सिको और चिली जैसे विभिन्न  RCEP और  CPTPP देशों के साथ नए समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
  • क्षेत्रीय विकास में भूमिका: 
    • बढ़ती वैश्विक अस्थिरता के समय इस क्षेत्र में भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका है ।
    • इसके अतिरिक्त महामारी के साथ अमेरिका-चीन के मध्य बढ़ते तनाव इस क्षेत्र के लिये  "गहरी चिंता" है, जिसके परिणामस्वरूप "तनाव अधिक बढ़ गया" है।
  • भारतीय कंपनियों को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना:
    • इस तरह के व्यापार समझौते भारतीय कंपनियों को बड़े बाजारों में भी अपनी क्षमता स्थापित करने के लिये एक मंच प्रदान करेंगे ।

आगे की राह: 

  • एक बाज़ार के रूप में भारत की आर्थिक स्थिति और महत्त्व को स्वीकार करते हुए RCEP और CPTPP सदस्यों ने भारत के लिये रास्ते खोल रखे है। वर्तमान समय और निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए RCEP और CPTPP पर अपनी स्थिति की विवादास्पद रूप से समीक्षा करना और संरचनात्मक सुधार करना भारत के हित में होगा , जो RCEP और CPTPP से उत्पन्न होने वाले कुछ नतीजों को कम करने में भारत की मदद करेंगे।

स्रोत-द हिंदू

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