RBI की डिजिटल मुद्रा | 23 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, डिजिटल मुद्रा, क्रिप्टोकरेंसी मेन्स के लिये:भारत के लिये डिजिटल मुद्रा का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के लिये चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है और निकट भविष्य में इसे थोक एवं खुदरा क्षेत्रों में लॉन्च करने की प्रक्रिया में है।
- वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने आरबीआई अधिनियम सहित कानूनी ढाँचे में बदलाव के साथ केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की सिफारिश की थी, जो वर्तमान में आरबीआई को बैंक नोट जारी करने के विनियमन का अधिकार देता है।
प्रमुख बिंदु
डिजिटल करेंसी:
- यह एक भुगतान विधि है जो केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में मौजूद है और मूर्त नहीं है।
- इसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट जैसी तकनीक की मदद से संस्थाओं या उपयोगकर्त्ताओं के बीच स्थानांतरित किया जा सकता है।
- यद्यपि यह भौतिक मुद्राओं के समान है, डिजिटल मुद्रा स्वामित्व के सीमाहीन हस्तांतरण के साथ-साथ तात्कालिक लेनदेन की अनुमति देती है।
- डिजिटल करेंसी को डिजिटल मनी और साइबरकैश के नाम से भी जाना जाता है।
- जैसे-क्रिप्टोकरेंसी
आवश्यकता:
- कदाचार को संबोधित करना:
- एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी के अराजक डिज़ाइन से उत्पन्न होती है, जिसमें उनका निर्माण एवं रखरखाव जनता के हाथों में होता है।
- सरकारी पर्यवेक्षण और सीमा पार भुगतान में आसानी, कर चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि जैसे कदाचारों के लिये असुरक्षित हैं।
- डिजिटल मुद्रा को विनियमित करके केंद्रीय बैंक कदाचार पर रोक लगा सकता है
- एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी के अराजक डिज़ाइन से उत्पन्न होती है, जिसमें उनका निर्माण एवं रखरखाव जनता के हाथों में होता है।
- परिवर्तनशीलता/अस्थिरता को संबोधित करना:
- चूंँकि क्रिप्टोकरेंसी किसी संपत्ति या मुद्रा से जुड़ी नहीं हैं, इसका मूल्य पूरी तरह से सट्टेबाज़ी (मांग और आपूर्ति) द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- इसके कारण बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव आया है।
- CBDCs को किसी भी संपत्ति जैसे- सोना या फिएट मुद्रा से क्रिप्टोकरेंसी में देखी जा रही अस्थिरता के अनुसार नहीं जोड़ा जाएगा।
- डिजिटल छद्म युद्ध:
- भारत एक डिजिटल मुद्रा छद्म युद्ध के बवंडर में फंस सकता है क्योंकि अमेरिका और चीन नए जमाने के वित्तीय उत्पादों को पेश करके अन्य बाज़ारों में वर्चस्व हासिल करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
- वर्तमान में एक संप्रभु डिजिटल रुपया केवल वित्तीय नवाचार का मामला ही नहीं है बल्कि इसके माध्यम से होने वाले अपरिहार्य छद्म युद्ध को भी रोकने की आवश्यकता है जो हमारी राष्ट्रीय और वित्तीय सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
- भारत एक डिजिटल मुद्रा छद्म युद्ध के बवंडर में फंस सकता है क्योंकि अमेरिका और चीन नए जमाने के वित्तीय उत्पादों को पेश करके अन्य बाज़ारों में वर्चस्व हासिल करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
- डॉलर पर निर्भरता को कम करना:
- डिजिटल रुपया भारत को अपने रणनीतिक भागीदारों के साथ व्यापार के लिये एक बेहतर मुद्रा के रूप में प्रभुत्व स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
- निजी मुद्रा का आगमन:
- यदि निजी मुद्राओं को मान्यता मिलती है, तो ये सीमित परिवर्तनीयता वाली राष्ट्रीय मुद्राओं के समक्ष जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
महत्त्व:
- यह बिना किसी इंटर-बैंक सेटलमेंट के वास्तविक समय में भुगतान को सक्षम करते हुए मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगा।
- भारत का काफी उच्च मुद्रा-जीडीपी अनुपात सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडी) का एक और लाभ है, इससे काफी हद तक बड़े नकदी उपयोग (सीबीडीसी) द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा कागज़ी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- यह निजी आभासी मुद्राओं के उपयोग से जनता को होने वाले नुकसान को भी कम करेगा।
मुद्दे:
- आरबीआई की जाँच के अंतर्गत कुछ प्रमुख मुद्दों में सीबीडीसी का दायरा, अंतर्निहित तकनीक, सत्यापन तंत्र आदि शामिल हैं।
- साथ ही कानूनी परिवर्तन आवश्यक होंगे क्योंकि वर्तमान प्रावधान भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम (Reserve Bank of India Act) के अंतर्गत भौतिक रूप में मुद्रा को ध्यान में रखते हुए किये गए हैं।
- सिक्का अधिनियम (Coinage Act), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।
- तनाव के अंतर्गत बैंक से पैसे की अचानक निकासी चिंता का एक और मुद्दा है।
हाल में हुए परिवर्तन:
- मध्य अमेरिका का एक छोटा-सा तटीय देश अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी रूप में अपनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।
- ब्रिटेन भी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Britcoin) बनाने की संभावना तलाश रहा है।
- चीन ने वर्ष 2020 में अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा का परीक्षण शुरू किया जिसे अनौपचारिक रूप से "डिजिटल मुद्रा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान, डीसी/ईपी" (Digital Currency Electronic Payment, DC/EP) कहा जाता है।
- अप्रैल 2018 में धोखाधड़ी के लिये डिजिटल मुद्राओं का उपयोग किये जाने के बाद आरबीआई ने बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं के लिये क्रिप्टो में लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2020 में प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया।
आगे की राह
- डिजिटल मुद्रा का निर्माण भारत को अपने नागरिकों को सशक्त बनाने और हमारी लगातार बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में इसका स्वतंत्र रूप से उपयोग करने तथा पुरानी बैंकिंग प्रणाली से मुक्त होने में सक्षम बनाने का अवसर प्रदान करेगा।
- मैक्रोइकॉनमी, तरलता, बैंकिंग सिस्टम एवं मुद्रा बाज़ारों पर इसके प्रभाव को देखते हुए नीति निर्माताओं के लिये भारत में डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं पर विचार करना अनिवार्य हो गया है।