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भारतीय विरासत और संस्कृति

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2021

  • 02 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2021 का तीसरा और अंतिम संस्करण 27 फरवरी, 2021 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में आरंभ हुआ। 

  • इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए, जिनमें ‘बाउल गान’, ‘अल्कुप गान’, ‘लेटो गान’, ‘झुमुरिया’ और रंपा लोकनृत्य शामिल थे।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव संस्कृति मंत्रालय का प्रमुख उत्सव है।
  • इसका आयोजन वर्ष 2015 से सात क्षेत्रीय संस्कृति केंद्रों (Zonal Culture Centres) की सक्रिय भागीदारी के साथ किया जा रहा है।
  • इसकी शुरुआत देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अपने सभी समृद्ध और विविध आयामों जैसे- हस्तशिल्प, भोजन, चित्रकला, मूर्तिकला और प्रदर्शन कला- लोक, जनजातीय, शास्त्रीय एवं समकालीन सभी को एक ही स्थान पर प्रदर्शित करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • महत्त्व:
    • यह भारत की जीवंत संस्कृति को रंगभवनों (Auditorium) और दीर्घाओं (Galleries) तक सीमित रखने के बजाय इसे जन-जन तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
    • यह अलग-अलग राज्यों में अन्य राज्यों की लोक और जनजातीय कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति को प्रदर्शित करने में मददगार रहा है, जो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ (Ek Bharat Shreshtha Bharat)  के लक्ष्य को सुदृढ़ बनाता है 
    • इसके अलावा यह कलाकारों और कारीगरों को उनकी आजीविका में सहायता करने हेतु  एक प्रभावी मंच उपलब्ध कराता है।
    • यह लोगों (विशेष रूप से युवाओं) को उनकी स्वदेशी संस्कृति, इसकी बहुआयामी प्रकृति, भव्यता और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ सहस्राब्दि से भारत को एक राष्ट्र के रूप में जोड़े हुए है।
  • अब तक राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन दिल्ली, वाराणसी, बंगलूरू, तवांग, गुजरात, कर्नाटक, टिहरी और मध्य प्रदेश आदि विभिन्न स्थानों पर किया जाता रहा है।

एक भारत श्रेष्ठ भारत

  • इस अभियान को वर्ष 2015 में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के मध्य जुड़ाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था ताकि विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच आपसी समझ और संबंधों को बढ़ाया जा सके तथा भारत की एकता और अखंडता को मज़बूत किया जा सके।
  • यह शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है।
  • इस पहल के व्यापक उद्देश्य इस प्रकार हैं:
    • राष्ट्र की विविधता में एकता कायम करना तथा लोगों के मध्य पारंपरिक रूप से विद्यमान भावनात्मक बंधन को बनाए रखना और उसे मज़बूती प्रदान करना
    • सभी भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच एक वार्ता तथा बेहतर संबंध स्थापित कर राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देना।
    • लोगों को भारत की विविधता को समझने, उसकी सराहना करने, विभिन्न राज्यों की समृद्ध विरासत और संस्कृति, रीति-रिवाजों तथा परंपराओं को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से सामान्य पहचान की भावना को बढ़ावा देना
    • लंबे समय तक काम में संलग्न होने के लिये एक ऐसा वातावरण निर्मित करना जो सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों को साझा कर विभिन्न राज्यों के मध्य सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता हो।
  • देश के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को एक समय अवधि हेतु किसी अन्य राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के साथ जोड़ा जाएगा, इस दौरान वे भाषा, साहित्य, भोजन, त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्यटन आदि के क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे ।
  • क्षेत्रीय संस्कृति केंद्र:
  • इन केंद्रों का लक्ष्य प्राचीन भारतीय संस्कृति को मज़बूत करना और समग्र राष्ट्रीय संस्कृति को विकसित और समृद्ध करना है
  • भारत में सात क्षेत्रीय संस्कृति केंद्र (ZCC) विद्यमान हैं: 
    • पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता
    • उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहाबाद
    • उत्तर-पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, दीमापुर
    • उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला
    • दक्षिण-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर
    • दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावुर
    • पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर
  • ये केंद्र  नियमित रूप से पूरे देश में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। 
  • इन केंद्रों द्वारा संचालित कुछ अन्य योजनाएंँ इस प्रकार है:
    • युवा प्रतिभाशाली कलाकारों को पुरस्कार
    • गुरु शिष्य परंपरा
    •  रंगमंच कायाकल्प
    •  शिल्पग्राम
    • ऑक्टेव और राष्ट्रीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम (NCEP)

स्रोत: पी.आई.बी

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