नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 जून, 2020

  • 22 Jun 2020
  • 8 min read

GI टैग

मलीहाबादी दशहरी आम की बिक्री में भौगोलिक संकेतक अथवा जीआई (Geographical Indication-GI) टैग के महत्त्वपूर्ण योगदान को देखते हुए सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (Central Institute for Subtropical Horticulture-CISH) ने आम की अन्य किस्मों जैसे गौरजीत, बनारसी लंगड़ा, चौसा तथा रटौल आदि के लिये GI टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ध्यातव्य है कि यदि आम की इन किस्मों को आगामी समय में GI टैग प्राप्त हो जाता है तो इससे इनके लिये एक विशिष्ट बाज़ार के निर्माण में मदद मिलेगी। GI टैग प्राप्त करने के पश्चात् इस प्रकार की किस्मों के आम उत्पादकों को अपनी उपज की अच्छी कीमत मिल सकेगी और अन्य क्षेत्रों के किसान किस्म के नाम का दुरुपयोग कर अपनी फसल का विपणन नहीं कर सकेंगे। ध्यातव्य है कि मलीहाबादी दशहरी आम को सितंबर 2009 में GI टैग प्राप्त हुआ था। एक भौगोलिक संकेतक अथवा जीआई (Geographical Indication-GI) टैग का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI टैग का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। GI टैग प्राप्त करने का अर्थ होता है कि कोई भी व्यक्ति, संस्था या सरकार अधिकृत उपयोगकर्त्ता के अतिरिक्त इस उत्पाद के प्रसिद्ध नाम का उपयोग नहीं कर सकती है। 

मुख्यमंत्री श्रमिक योजना 

भारत सरकार के सामाजिक कल्याण कार्यक्रम मनरेगा (MGNREGA) की तर्ज पर झारखंड सरकार भी शहरी अकुशल श्रमिकों के लिये 100-दिवसीय रोज़गार योजना लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। जहाँ एक ओर मनरेगा का मुख्य लक्ष्य अकुशल श्रम करने के इच्छुक ग्रामीण वयस्क सदस्यों को कम-से-कम 100 दिन का रोज़गार उपलब्ध कराना है, वहीं इसके विपरीत झारखंड सरकार की इस योजना में मुख्य रूप से शहरी गरीबों को लक्षित किया गया है। शहरी गरीबों के लिये आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही इस योजना का नाम मुख्यमंत्री श्रमिक (SHRAMIK- Shahri Rozgar Manjuri For Kamgar) योजना रखा जाएगा। इस योजना के कार्यान्वयन के साथ ही शहरी गरीबों के लिये रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने वाला झारखंड देश का दूसरा राज्य बन जाएगा, जबकि इससे पूर्व केवल केरल सरकार द्वारा इस प्रकार की व्यवस्था की गई थी। ध्यातव्य है कि केरल में ‘अय्यनकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना’ (Ayyankali Urban Employment Guarantee Scheme) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। संबंधित सूचना के अनुसार, मनरेगा के समान ही झारखंड की इस योजना में भी बेरोज़गारी भत्ते का प्रावधान किया गया है। यह योजना शहरी विकास एवं आवास विभाग (Urban Development & Housing Department) द्वारा राज्य शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से संचालित की जाएगी। विभिन्न विशेषज्ञों ने झारखंड सरकार की इस योजना को प्रवासी श्रमिकों को रोज़गार उपलब्ध कराने की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण योजना बताया है।

विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस (World Hydrography Day) का आयोजन किया जाता है, इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य मौजूदा समय में हाइड्रोग्राफी के महत्त्व और उसकी प्रासंगिक को रेखांकित करना है। हाइड्रोग्राफी (Hydrography) का अभिप्राय विज्ञान की उस शाखा से है, जिसमें पृथ्वी की सतह के नौगम्य भाग और उससे सटे तटीय क्षेत्रों की भौतिक विशेषताओं को मापा जाता है एवं उसका वर्णन किया जाता है। इसके अंतर्गत महासागरों, समुद्रों, तटीय क्षेत्रों, झीलों और नदियों आदि को मापने के साथ-साथ आगामी समय में इनमें आने वाले विभिन्न परिवर्तनों की व्याख्या की जाती है। ध्यातव्य है कि हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के अभाव में जहाज़ों या मछली पकड़ने वाली नौकाओं के लिये नेवीगेशन काफी कठिन हो जाता है। विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस मोनाको (Monaco) स्थित अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन (International Hydrographic Organization-IHO) की पहल पर मनाया जाता है। यह दिवस सर्वप्रथम वर्ष 2006 में आयोजित किया गया था। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस का थीम ‘स्वायत्त प्रौद्योगिकियों को सक्षम करती हाइड्रोग्राफी’ (Hydrography enabling autonomous technologies) रखा गया है। अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन (IHO) वर्ष 1921 में गठित एक अंतर-सरकारी संगठन है जो विश्व के सभी समुद्रों, महासागरों और नौगम्य जल क्षेत्रों के सर्वेक्षण का कार्य करता है।

विश्व संगीत दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व संगीत दिवस (World Music Day) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संगीत के माध्यम से शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है। विश्व संगीत दिवस सर्वप्रथम 21 जून, 1982 को फ्रांँस में मनाया गया था। इस दिवस के आयोजन की कल्पना सर्वप्रथम वर्ष 1981 में फ्रांँस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा की गई थी। तभी से इस दिन को प्रत्येक वर्ष विश्व संगीत दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत समेत विश्व के तमाम देशों में इस अवसर पर जगह-जगह संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया है, जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति को मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करने के लिये किया जा रहा है। ध्यातव्य है कि एक कैरियर के रूप में भी संगीत का क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा हुआ है और मौजूदा समय में विभिन्न युवा संगीत को अपना रहे हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow