रैनसमवेयर हमले से बैंकों का परिचालन बाधित | 03 Aug 2024

प्रिलिम्स के लिये:

रैनसमवेयर, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली, मैलवेयर

मेन्स के लिये:

वित्तीय क्षेत्र पर रैनसमवेयर का प्रभाव, साइबर सुरक्षा उपाय, सरकारी पहलें

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में रैनसमवेयर हमले ने भारत में कम-से-कम 150-200 सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के परिचालन को गंभीर रूप से बाधित कर दिया।

रैनसमवेयर हमले का बैंकों पर क्या प्रभाव पड़ा है?

  • रैनसमवेयर हमले ने सी-एज टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड को निशाना बनाया, जिससे सहकारी बैंकों और RRB को सेवाएँ प्रदान करने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई।
  • भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के व्यापक निहितार्थ:
    • यह हमला प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं की भेद्यता और भुगतान अवसंरचना को बनाए रखने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को उज़ागर करता है।
    • यह घटना भविष्य में ऐसे हमलों से बचाव के लिये सुदृढ़ साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
    • इस प्रकार के व्यवधानों के प्रभावों को कम करने के लिये NPCI, बैंकों और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के बीच सहयोग महत्त्वपूर्ण है।

नोट: AePS एक बैंक-नेतृत्व वाला मॉडल है जो आधार प्रामाणीकरण का उपयोग करके किसी भी बैंक के बिज़नेस कॉरेस्पॉन्डेंट के माध्यम से पॉइंट ऑफ सेल (PoS) या माइक्रो-ATM पर ऑनलाइन इंटरऑपरेबल वित्तीय लेन-देन की अनुमति देता है।

  • इसे NPCI द्वारा प्रारंभ किया गया था, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य गरीबों तथा हाशिये पर पड़े लोगों, मूलतः ग्रामीण एवं दूर-दराज़ के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं तक आसान और सुरक्षित पहुँच प्रदान करना है।

रैनसमवेयर क्या है?

  • परिभाषा: रैनसमवेयर एक प्रकार का मैलवेयर है, जो पीड़ित के डेटा को एन्क्रिप्ट करता है या उनके डिवाइस को लॉक कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप एक्सेस वापस देने या फिर डिक्रिप्शन कुंजी के लिये फिरौती मांगी जाती है।
  • प्रारंभिक हमले: प्रारंभ में रैनसमवेयर हमले डेटा को एन्क्रिप्ट करने और डिक्रिप्शन कुंजी के लिये फिरौती मांगने पर केंद्रित थे।
  • आधुनिक रणनीति: हालिया रैनसमवेयर हमलों में डबल-एक्सटॉर्शन और ट्रिपल-एक्सटॉर्शन रणनीति शामिल हैं:
    • डबल-एक्सटॉर्शन: हमलावर फिरौती न मिलने पर चुराए गए डेटा को ऑनलाइन लीक करने की धमकी देते हैं।
    • ट्रिपल-एक्सटॉर्शन: हमलावर पीड़ितों या व्यावसायिक भागीदारों को निशाना बनाने के लिये चुराए गए डेटा का उपयोग करते हैं।
  • रैनसमवेयर के प्रकार:
    • एन्क्रिप्टिंग रैनसमवेयर (क्रिप्टो रैनसमवेयर): पीड़ित के डेटा को एन्क्रिप्ट करता है, जिसके द्वारा डिक्रिप्शन कुंजी के लिये फिरौती की मांग की जाती है।
    • नॉन-एन्क्रिप्टिंग रैनसमवेयर (स्क्रीन-लॉकिंग रैनसमवेयर): पीड़ित के पूरे डिवाइस को लॉक कर देता है, स्क्रीन पर फिरौती की मांग की जाती है।
    • रैंसमवेयर की उपश्रेणियों में शामिल हैं:
      • लीकवेयर या डॉक्सवेयर: संवेदनशील डेटा चुराता है और उसे प्रकाशित करने की धमकी देता है।
      • मोबाइल रैनसमवेयर: प्रायः स्क्रीन-लॉकर का उपयोग करके मोबाइल डिवाइस को प्रभावित करता है।
      • वाइपर: डेटा को नष्ट करने की धमकी देता है, कभी-कभी फिरौती का भुगतान करने पर भी ऐसा देखा जाता है।
      • स्केयरवेयर: भुगतान के लिये दबाव डालने के लिये भय का माहौल बनता है, जिसे कभी-कभी वैध अलर्ट के रूप में प्रस्तुत करता है।
  • साइबर हमले के रूप में रैनसमवेयर:
    • वित्तीय प्रभाव: रैनसमवेयर हमलों से संगठनों को लाखों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
      • IBM (इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन कॉर्पोरेशन) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2024 में डेटा उल्लंघन की औसत लागत 19.5 करोड़ रुपए (USD 2.35 मिलियन) के उच्चतम स्तर को स्पर्श कर गई, जो वर्ष 2023 की तुलना में लगभग 7% अधिक है, जिसमें स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है।
      • रैंसमवेयर पीड़ित और वार्ताकार (Negotiator) फिरौती भुगतान का खुलासा करने से कतराते हैं।
    • हमलों की गति: एक बार जब हैकर्स को नेटवर्क तक पहुँच मिल जाती है, तो वे चार दिनों से भी कम समय में रैनसमवेयर तैनात कर सकते हैं, जिससे संगठनों को पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत कम समय मिलता है।
  • रैनसमवेयर का जवाब देने के लिये उठाए गए कदम:
    • संक्रमण को रोकने हेतु संक्रमित डिवाइस को नेटवर्क से पृथक करना। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये सभी संदिग्ध व्यवहार करने वाले डिवाइस को नेटवर्क से डिस्कनेक्ट करना।
    • किसी भी सक्रिय निगरानी प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसी भी अलर्ट की जाँच करके प्रवेश बिंदु की पहचान करना और एन्क्रिप्टेड फाइलों एवं फिरौती की सूचनाओं को स्कैन करके रैनसमवेयर की पहचान करना।
    • सबसे महत्त्वपूर्ण सिस्टम को पहले पुनर्स्थापित करके और उसके बाद नेटवर्क से हमले को खत्म करके सिस्टम की बहाली को प्राथमिकता देना
      • यदि बैकअप उपलब्ध है, तो बैकअप से सिस्टम को पुनर्स्थापित करना। अन्यथा, डिक्रिप्शन विकल्पों के लिये प्रयास करना

रैनसमवेयर सिस्टम को कैसे संक्रमित करता है?

  • फिशिंग: यह एक प्रकार का साइबर हमला है, जो दुर्भावनापूर्ण अनुलग्नकों (Malicious Attachments) या लिंक के माध्यम से पीड़ितों को रैनसमवेयर डाउनलोड करने हेतु धोखा देने के लिये सोशल इंजीनियरिंग ट्रिक्स का उपयोग करता है।
    • सोशल इंजीनियरिंग मनोवैज्ञानिक छल का उपयोग है, जो उपयोगकर्त्ताओं को सुरक्षा संबंधी गलतियाँ करने या संवेदनशील जानकारी प्रकट करने के लिये प्रेरित करता है।
  • कमज़ोरियों का दोहन: रैनसमवेयर को इंजेक्ट करने के लिये मौजूदा या ज़ीरो-डे वल्नरेबिलिटी का उपयोग करता है।
  • क्रेडेंशियल की चोरी (Credential Theft): रैनसमवेयर को तैनात करने के लिये अधिकृत उपयोगकर्त्ता क्रेडेंशियल की चोरी करता है।
  • अन्य मैलवेयर: रैनसमवेयर के प्रसार के लिये अन्य मैलवेयर (जैसे- ट्रोजन) का उपयोग करना।
  • ड्राइव-बाय डाउनलोड: कॉम्प्रोमाइज्ड वेबसाइटों के माध्यम से उपकरणों को संक्रमित करता है।
  • सेवा के रूप में रैनसमवेयर (RaaS): साइबर अपराधियों को फिरौती के एक भाग के बदले में दूसरों द्वारा विकसित रैनसमवेयर का उपयोग करने की अनुमति देता है।

उल्लेखनीय रैनसमवेयर वैरिएंट

  • अकीरा रैनसमवेयर
  • LockBit रैनसमवेयर
  • क्रिप्टो लॉकर: वर्ष 2013 में रैनसमवेयर के आधुनिक युग की शुरुआत करने का श्रेय इसे दिया जाता है।
  • वानाक्राई: एक क्रिप्टोवर्म जिसने वर्ष 2017 में 150 देशों में 200,000 से अधिक कंप्यूटरों को प्रभावित किया था।    
  • पेट्या और नॉटपेट्या: फाइल सिस्टम टेबल को एन्क्रिप्ट करता है, जिससे कंप्यूटर बूट करने में असमर्थ हो जाते हैं।
  • रयूक: उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों के खिलाफ बिग-गेम रैनसमवेयर हमलों को लोकप्रिय बनाया।
  • डार्कसाइड: वर्ष 2021 में कोलोनियल पाइपलाइन हमले के लिये ज़िम्मेदार।
  • लॉकी: डिवाइस को प्रभावित करने के लिये ईमेल अटैचमेंट में मैक्रोज़ का उपयोग करता है।
  • रेविल: बिग-गेम हन्टिंग और डबल-एक्सटॉर्शन अटैक के लिये जाना जाता है।
  • कॉन्टी: डबल-एक्सटॉर्शन रणनीति का उपयोग करके एक RaaS योजना संचालित करता है।

भारत में रैनसमवेयर हमलों से बचाव के लिये क्या कानून हैं?

  • रैनसमवेयर हमले भारतीय दंड संहिता 1860 और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम 2000 के तहत विभिन्न अपराध हैं।
    • IT अधिनियम में प्रासंगिक प्रावधान शामिल हैं: धारा 43 और 66 (कंप्यूटर/सिस्टम को नुकसान पहुँचाना), धारा 65 (कंप्यूटर स्रोत दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ करना) और धारा 66D (पहचान बदलकर धोखाधड़ी करना)। इसके अतिरिक्त, संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा रखने वाले कॉर्पोरेट निकायों का IT नियमों के तहत उचित सुरक्षा प्रथाओं को लागू करने का दायित्व है।
    • IT अधिनियम के तहत रैनसमवेयर हमलों के लिये तीन वर्ष से सात वर्ष तक की कैद और एक करोड़ रुपए तक के ज़ुर्माने का प्रावधान है।
  • रैनसमवेयर टास्क फोर्स (RTF), भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) संगठन के अंतर्गत एक विशेष इकाई है, जो रैनसमवेयर हमलों के पीड़ितों के लिये एक केंद्रीय संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करती है तथा जाँच, पुनर्प्राप्ति एवं रोकथाम प्रयासों में सहायता प्रदान करती है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिये साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क, 2018 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रैनसमवेयर हमलों सहित साइबर खतरों से बचाने के लिये विशिष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करता है। 
    • इसमें बैंकों को बहु-कारक प्रामाणीकरण, एन्क्रिप्शन और नियमित सुरक्षा ऑडिट जैसे मज़बूत साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्देश दिया गया है।

आगे की राह

  • साइबर सुरक्षा संवर्द्धन: बैंकों और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं को एंडपॉइंट सुरक्षा, नेटवर्क सुरक्षा, डेटा बैकअप तथा कर्मचारी प्रशिक्षण सहित मज़बूत साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करना होगा।
    • खतरे का पता लगाने और रोकथाम के कारण वर्ष 2022 व 2023 के बीच रैनसमवेयर इन्फेक्शन में 11.5% की गिरावट आई है। 
    • बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच खतरे की खुफिया जानकारी साझा करने के लिये एक केंद्रीकृत मंच स्थापित करना।
  • डेटा बैकअप और रिकवरी: ऑफलाइन बैकअप सहित मज़बूत डेटा बैकअप और रिकवरी प्रक्रियाओं को लागू करना। साइबर हमले की स्थिति में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के लिये व्यापक व्यवसाय निरंतरता योजनाएँ विकसित करना।
  • उन्नत सुरक्षा मानक: तृतीय-पक्ष विक्रेताओं और भागीदारों का कठोर सुरक्षा मूल्यांकन करना। साइबर हमलों के प्रभाव को कम करने के लिये घटना प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार करना।
    • सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिये प्रासंगिक साइबर सुरक्षा प्रमाण-पत्र प्राप्त करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र पर रैनसमवेयर हमले के प्रभावों का विश्लेषण कीजिये और इन जोखिमों को कम करने के लिये संगठन क्या उपाय लागू कर सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'वानाक्राई, पेट्या और इटरनलब्लू' जो हांल ही में समाचारों में उल्लिखित थे, निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं? (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट्स
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) साइबर आक्रमण
(d) लघु उपग्रह

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है? (2017)

  1. सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर)
  2. डेटा सेंटर
  3. कॉर्पोरेट निकाय (बॉडी कॉर्पोरेट)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022)  

प्रश्न. साइबर आक्रमण के संभावित खतरों की एवं रोकने के लिये सुरक्षा ढाँचे की विवेचना कीजिये।(2017)