अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रमना काली मंदिर: बांग्लादेश
- 23 Dec 2021
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प्रिलिम्स के लिये:रमना काली मंदिर, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध। मेन्स के लिये:लिबरेशन वॉर, भारत-बांग्लादेश संबंधों में बांग्लादेश और भारत की जीत की 50वीं वर्षगाँठ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति ने रमना, ढाका (बांग्लादेश) में पुनर्निर्मित रमना काली मंदिर का उद्घाटन किया, जहाँ ऐतिहासिक सुहरावर्दी उद्यान (पूर्व रमना रेस कोर्स) स्थित है।
- पुनर्निर्मित रमना कालीबाड़ी का उद्घाटन मुक्ति संग्राम में बांग्लादेश और भारत की जीत की 50वीं वर्षगाँठ के साथ हुआ, जो दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्वर्ण जयंती का भी प्रतीक है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- मार्च 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा मंदिर को नष्ट कर दिया गया था और क्रूर कार्रवाई के कारण नरसंहार हुआ एवं बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ।
- मार्च 1971 में पश्चिम पाकिस्तान ने बंगालवासियों के आत्मनिर्णय को दबाने के लिये पूर्वी पाकिस्तान में एक नरसंहार का नेतृत्व किया। पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश में जनवादी गणराज्य की स्थापना हेतु लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पाकिस्तान से मुक्त होने के बाद बांग्लादेश के लोगों द्वारा प्रार्थना करने के लिये साइट पर एक छोटा मंदिर स्थापित किया गया।
- वर्ष 2017 में परिसर के पुनर्निर्माण की घोषणा उस समय की गई थी, जब तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री ने बारीधारा, ढाका में 15 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
- ऐतिहासिक रमना काली मंदिर भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक बंधन का प्रतीक है।
- मार्च 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा मंदिर को नष्ट कर दिया गया था और क्रूर कार्रवाई के कारण नरसंहार हुआ एवं बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ।
- रमना काली मंदिर:
- माना जाता है कि देवी काली को समर्पित इस मंदिर का निर्माण मुगल काल के दौरान किया गया था। इसे 400 साल पुराना माना जाता है, हालाँकि यह बताना मुश्किल है कि इसे किस वर्ष बनाया गया था।
- यह मंदिर एक हिंदू संप्रदाय द्वारा बनाया गया था, लेकिन यह पहचान करना मुश्किल है कि इसे किसने बनाया था। हालाँकि ऐसा कहा जाता है कि निश्चित ही इसे हरिचरण गिरि द्वारा बनाया गया था जो मंदिर में महंत थे।
- यह एक बहुत बड़ा मंदिर नहीं था और वास्तुकला के मामले में काफी सामान्य था, हालाँकि यह ढाकेश्वरी मंदिर के बाद बांग्लादेश में दूसरा सबसे पुराना हिंदू मंदिर है।
- 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मंदिर को तब प्रमुखता मिली जब प्रसिद्ध संत माँ आनंदमयी ने अपने आश्रम को परिसर में बनाया।
- आनंदमयी को लोकप्रिय रूप से "शाहबाग-एर मा" या शाहबाग की माँ के रूप में संबोधित किया जाता था।
- मंदिर और युद्ध:
- 27 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा मंदिर को नष्ट कर दिया गया तथा पुजारियों और भक्तों सहित 85 हिंदुओं की हत्या कर दी गई।
- 7 मार्च, 1971 को मंदिर तोड़े जाने से कुछ दिन पहले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने रमना रेसकोर्स मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता हेतु संघर्ष के लिये बंगालियों का आह्वान किया था।
- बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (1920-1975) बांग्लादेश के संस्थापक नेता और देश के पहले प्रधानमंत्री थे।
भारत-बांग्लादेश संबंध
- सैन्य सहयोग:
- बांग्लादेश सरकार ने अपनी सीमाओं से भारत विरोधी उग्रवादी तत्त्वों को समाप्त करने का कार्य किया है जिसके परिणामस्वरूप भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र के सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्रों में से एक बन गई है।
- इसने भारत को अपनी अधिक विवादास्पद सीमाओं पर सैन्य संसाधनों की बड़े पैमाने पर पुन: तैनाती करने की अनुमति दी है।
- भूमि सीमा समझौता:
- वर्ष 2015 में बांग्लादेश और भारत ने ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते (Land Boundary Agreement) की पुष्टि कर अपनी सीमाओं से संबंधित मुद्दों को शांतिपूर्वक हल करने के क्रम में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
- व्यापार संबंध:
- बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत से बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात 9.21 बिलियन डॉलर और आयात 1.04 बिलियन डॉलर का था।
- इसके साथ ही भारत ने कई बांग्लादेशी उत्पादों को शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान करने की पेशकश भी की है।
- विकास के क्षेत्र:
- विकास के मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है। हाल के वर्षों में भारत ने सड़कों, रेलवे, पुलों और बंदरगाहों के निर्माण हेतु बांग्लादेश को 8 बिलियन डॉलर की राशि लाइन ऑफ क्रेडिट (एक प्रकार का ऋण) के रूप में प्रदान की है।
- बेहतर कनेक्टिविटी: दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में बहुत अधिक सुधार हुआ है।
- कोलकाता और अगरतला के बीच एक सीधी बस सेवा (ढाका से होते हुए) शुरू होने से दोनों स्थानों के बीच यात्रा के लिये केवल 500 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि चिकेन नेक के माध्यम से यात्रा करने पर 1,650 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है।
- बांग्लादेश अपने मोंगला और चटोग्राम (चटगाँव) बंदरगाह से माल ढुलाई की अनुमति देता है, जहाँ से सड़क, रेल और जलमार्ग के माध्यम से माल को अगरतला तक पहुँचाया जाता है।
- सहयोग के नए क्षेत्र:
- भारत आने वाले पर्यटकों में एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेशी पर्यटकों का है, वर्ष 2017 में पश्चिमी यूरोप से आने वाले पर्यटकों के आँकड़ों को पीछे छोड़ते हुए भारत आने वाले पर्यटकों में से प्रत्येक पाँचवाँ पर्यटक बांग्लादेश से था।
- भारत के अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा रोगियों (इलाज हेतु अन्य देशों से भारत आने वाले मरीज़) में 35% से अधिक हिस्सेदारी बांग्लादेश की है और भारत के राजस्व में 50% से अधिक योगदान चिकित्सा यात्रा का है।
- हालिया विकास:
- इससे पूर्व वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, जिसमें बांग्लादेश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बांग्लादेश सशस्त्र बलों (Bangladesh Armed Forces) के 122 सदस्यीय दल ने भारत की 72वीं गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया।