सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज की राफेल पर पुनर्विचार याचिका | 18 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
राफेल समझौता/डील
मेन्स के लिये:
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला तथा भारत के लिये राफेल का महत्त्व
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल सौदे पर दिसंबर, 2018 में दिये गए अपने फैसले के खिलाफ दायर की गई सभी समीक्षा/पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
क्या कहा न्यायालय ने?
- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इन सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल थे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाएँ सुनवायी योग्य नहीं थी।
किसने दायर की थी पुनर्विचार याचिका?
- राफेल मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई 2019 को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 10 अप्रैल, 2019 को दस्तावेजों की जाँच के खिलाफ केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया था। अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल के अनुसार, दस्तावेज़ प्राधिकरण की मंज़ूरी के बिना प्राप्त किये गये थे अतः यह आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन था।
सर्वोच्च न्यायालय का 14 दिसंबर का निर्णय
- 14 दिसंबर, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार, “36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने में निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया पर संदेह करने जैसी कोई बात नहीं है” और इस तरह से से न्यायालय ने अपने निर्णय में केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी।
क्या था पुनर्विचार याचिका में?
- सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाए गये थे। सर्वोच्च न्यायालय में विमानों की कीमत के संदर्भ में भी याचिका दायर की गई थी। याचिकाओं में ‘लीक’ हुए दस्तावेज़ का हवाला देते हुए ये आरोप लगाए गये कि इस समझौते PMO ने रक्षा मंत्रालय को भी भरोसे में नहीं लिया।
राफेल समझौता: महत्त्वपूर्ण तथ्य
- भारत ने 36 राफेल की खरीद के लिये फ्रेंच सरकार के साथ एक समझौते पर 23 सितंबर, 2016 को हस्ताक्षर किये।
- राफेल फ्रेंच ट्विन-इंजन मल्टी-रोल फाइटर जेट है जो ज़मीन और समुद्री हमलों, टोही, उच्च सटीक हमलों और परमाणु हमले की रोकथाम सहित लघु एवं लंबी दूरी के मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करने में सक्षम है।
- राफेल जेट को विश्व स्तर पर सबसे शक्तिशाली मुकाबला करने में सक्षम जेट माना जाता है।
- ये विमान फ्राँसीसी वायुसेना और नौसेना के लिये विकसित किये गए थे।
- राफेल को 2004 में फ्रेंच नौसेना और 2006 में फ्रेंच वायुसेना में शामिल किया गया।
- यह फ्राँसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित है।
- यह एक मल्टीरोल फाइटर है जो ट्विन इंजन, टू सीटर, कैनर्ड विंग एयरक्राफ्ट है, इसकी अधिकतम गति 2000 किमी/घंटा है।
- यह फ्रेंच स्नेका (snecma) एम 88 टर्बोफैन जेट इंजन द्वारा संचालित है।
- यह 9500 किलोग्राम तक वज़न के हथियारों को उठाने में सक्षम है।
- इसे 400 मीटर से अधिक रनवे की आवश्यकता नहीं होती।
- राफेल की 145 किमी की स्कैनिंग रेंज है।
- इसका रडार एक साथ दो से अधिक लक्ष्यों को साधने में सक्षम है।
- पहला ओमनी-रोल राफेल फाइटर जेट 2019 में भारत आएगा, जबकि सभी 36 फाइटर जेट भारत को अप्रैल 2022 तक सौंप दिये जाएंगे।
- भारत ने 2017 में 226 मीडियम-मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के खरीद की प्रक्रिया शुरू की।
- अप्रैल 2015 में 36 राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद से संबंधित इंडिया-फ्रेंच संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।