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जैव विविधता और पर्यावरण

पुनर्चक्रण शृंखला में रेडियोधर्मी पदार्थ

  • 13 Apr 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), IAEA परमाणु सुरक्षा योजना, नोबेल शांति पुरस्कार, संयुक्त राष्ट्र महासभा, UPSC, IAS, सिविल सेवा परीक्षा।

मेन्स के लिये:

रेडियोधर्मी पदार्थ, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) ने परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी पदार्थ/सामग्री की अवैध तस्करी पर वार्षिक डेटा जारी किया है।

  • इस डेटा से पता चलता है कि रेडियोधर्मी पदार्थ या दूषित उपकरण तेज़ी से बढ़ते स्क्रैप पुनर्चक्रण शृंखला में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न हो रहा है।

प्रमुख बिंदु  

  • IAEA की परमाणु सुरक्षा योजना परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी सामग्री की अवैध तस्करी की घटनाओं की रिपोर्ट करने हेतु बनाई गई थी।
  • इस नवीनतम डेटासेट से पता चलता है कि रेडियोधर्मी स्रोतों के अनधिकृत निपटान की घटनाएँ स्क्रैप धातु या अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योगों में बढ़ रही हैं।
    • ऐसी घटनाएँ रेडियोधर्मी सामग्री के नियंत्रण, सुरक्षित और उचित निपटान हेतु प्रणालियों में कमियों को इंगित करती हैं।  
  • यदि घरेलू सामानों के निर्माण हेतु परिणामी दूषित धातु का उपयोग किया जाता है, तो इससे उपभोक्ताओं को संभावित स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। 
    • IAEA ने वर्ष 2022 में 146 ऐसी घटनाओं की सूचना दी जो वर्ष 2021 के आँकड़े से लगभग 38% अधिक है।

रेडियोधर्मी सामग्री को पुनर्चक्रण शृंखला में शामिल होने से रोकने के उपाय: 

  • नियामक ढाँचे को मज़बूत बनाना: रेडियोधर्मी सामग्री के उचित संचालन, भंडारण और निपटान सुनिश्चित करने के लिये सरकारों को अपने नियामक ढाँचे एवं प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत बनाने की आवश्यकता है।
    • इसमें रेडियोधर्मी सामग्री को प्रबंधित करने वाली निकायों के लिये सख्त लाइसेंसिंग और गैर-अनुपालन के मामले में दंड का प्रावधान शामिल किया जा सकता है।
  • निगरानी और नियंत्रण तंत्र में सुधार: परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्रियों की अवैध तस्करी को रोकने के लिये सरकारों को निगरानी तथा नियंत्रण तंत्र में सुधार हेतु भी निवेश करना चाहिये।
    • इसके अंतर्गत सीमाओं और प्रवेश के अन्य बिंदुओं पर विकिरण का पता लगाने वाले उपकरणों का उपयोग करना, अधिक व्यापक ट्रैकिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली आदि शामिल हैं।
  • वैकल्पिक सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना: सरकारों और अन्य हितधारकों को रेडियोधर्मी संदूषण का जोखिम पैदा न करने वाले वैकल्पिक सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से रेडियोधर्मी अपशिष्टों से आवश्यकता वाली सामग्रियाँ निकालने के लिये प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना चाहिये।

रेडियोधर्मिता:  

  • रेडियोधर्मिता कुछ तत्त्वों के अस्थिर नाभिक से कणों या तरंगों के स्वतः स्फूर्त उत्सर्जन की घटना है। रेडियोधर्मी उत्सर्जन तीन प्रकार के होते हैं: अल्फा, बीटा और गामा।
    • अल्फा कण धनावेशित हीलियम (He) परमाणु हैं, बीटा कण ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन हैं और गामा किरणें उदासीन विद्युत चुंबकीय विकिरण हैं। 
  • रेडियोधर्मी तत्त्व प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की क्रस्ट में पाए जाते हैं। यूरेनियम, थोरियम और एक्टिनियम तीन ‘NORM’ (स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी सामग्री) शृंखलाएँ हैं जो जल संसाधनों को संदूषित करते हैं।
  • रेडियोधर्मिता को बेकुरल (SI इकाई) या क्यूरी में मापा जाता है। यूनिट सीवर्ट मानव ऊतकों द्वारा अवशोषित विकिरण की मात्रा को मापता है।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी: 

  • परिचय
    • इसे संयुक्त राष्ट्र के अंदर व्यापक रूप से विश्व में ‘शांति और विकास हेतु संगठन’ के रूप में जाना जाता है, IAEA परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है।
  • स्थापना
    • IAEA की स्थापना वर्ष 1957 में परमाणु प्रौद्योगिकी के विविध उपयोगों से उत्पन्न आशंकाओं और खोजों की प्रतिक्रिया में की गई थी।
    • मुख्यालय: वियना (ऑस्ट्रिया) 
  • उद्देश्य
    • यह एजेंसी अपने सदस्य राज्यों और कई भागीदारों के साथ परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, निश्चिंत और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिये काम करती है। 
    • वर्ष 2005 में एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण में इसके योगदान के लिये IAEA को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • कार्य

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में 'अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई.ए.ई.ए.)' के साथ 'अतिरिक्त नयाचार (एडिसनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (2018)

(a) असैन्य परमाणु रिएक्टर आई.ए.ई.ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान आई.ए.ई.ए. के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।
(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्त्ता समूह (एन.एस.जी.) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा। 
(d) देश स्वतः एन.एस.जी.का सदस्य बन जाता है।

उत्तर: (a)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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