जैव विविधता और पर्यावरण
पायरोस्ट्रिया लालजी: अंडमान में नई प्रजाति
- 30 Jun 2021
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:अंडमान और निकोबार, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण नहीं |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कॉफी फेमली (Coffee Family) के वर्ग से संबंधित एक नई प्रजाति पाइरोस्ट्रिया लालजी (Pyrostria laljii) अंडमान द्वीप समूह में खोजी गई है।
- रिविना अंडमानेंसिस (Rivina Andamanensis) नामक पोकेवीड (Pokeweed ) की एक नई प्रजाति की भी खोज की गई।
- अंडमान और निकोबार (Andaman and Nicobar) 572 द्वीपों का समूह है जो भारत में पौधों की विविधता के मामले में समृद्ध और अद्वितीय स्थान है।
प्रमुख बिंदु
पाइरोस्ट्रिया लालजी के बारे में:
- भारत में जीनस पायरोस्ट्रिया का यह पहला पौधा रिकॉर्ड किया गया है जिसकी लंबाई 15 मीटर है।
- जीनस पाइरोस्ट्रिया से संबंधित पौधे आमतौर पर मेडागास्कर में पाए जाते हैं लेकिन हाल ही में खोजी गई प्रजाति विज्ञान के लिये नई है।
- भारत में जीनस पायरोस्ट्रिया नहीं पाया जाता है बल्कि रुबियासी फैमिली की कई प्रजातियांँ भारत में सामान्यतः पाई जाती हैं।
- रुबियासी फैमिली के सिनकोना, कॉफी, एडिना, हैमेलिया, इक्सोरा, गैलियम, गार्डेनिया, मुसेंडा, रूबिया तथा मोरिंडा पौधों का उच्च आर्थिक मूल्य है।
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा अंडमान और निकोबार क्षेत्रीय केंद्र के संयुक्त निदेशक लाल जी सिंह के नाम पर इस नई प्रजाति को पायरोस्ट्रिया लालजी नाम दिया गया है।
- पाइरोस्ट्रिया लालजी को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature’s- IUCN) की रेड लिस्ट में ‘गंभीर संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) की सूची में शामिल किया गया है।
विशेषताएँ
- इसमें ट्रंक (Trunk) पर एक सफेद कोटिंग के साथ एक लंबा तना है और क्यूनेट बेस के साथ आयताकार-अंडाकार पत्तियाँ हैं।
- 8 से 12 फूलों के साथ एक छतरीदार पुष्पक्रम इस पेड़ की अन्य विशेषता है जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग बनाता है।
भारत में मौजूदगी
- इसकी सूचना सर्वप्रथम दक्षिण अंडमान के वंदूर जंगल से मिली थी। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अन्य स्थान जहाँ पेड़ स्थित हो सकते हैं, वे हैं जरावा रिज़र्व फॉरेस्ट के पास तिरूर जंगल और चिड़िया टापू (मुंडा पहाड़) जंगल।
रिविना अंडमानेंसिस
- रिविना अंडमानेंसिस नामक पोकेवीड की एक और नई प्रजाति की भी खोज की गई। यह जड़ी-बूटियों तथा झाड़ीदार पौधों के साथ उगने वाले बड़े पेड़ों, छायांकित एवं चट्टानी क्षेत्रों में पाया गया।
- पोकेवीड (फाइटोलैक्का अमेरिकाना), जिसे पोकेबेरी, पोक या अमेरिकन पोकेवीड भी कहा जाता है, एक तेज़ महक वाला पौधा है, जिसमें हॉर्सरैडिश जैसी एक ज़हरीली जड़ होती है।
- यह मूलतः पूर्वी उत्तरी अमेरिका के गीले या रेतीले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसमें शराब, कैंडी, कपड़ा और कागज को रंगने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला लाल रंग होता है।
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पोकेवीड परिवार पेटीवेरियासी की इस नई प्रजाति की यह खोज द्वीपों की वनस्पति प्रणाली में एक और प्रजाति को जोड़ती है।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
परिचय:
- यह देश के जंगली पौधों के संसाधनों पर टैक्सोनॉमिक और फ्लोरिस्टिक अध्ययन करने के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1890 में देश जंगली पौधों के संसाधनों की खोज एवं आर्थिक गुणों के साथ पौधों की प्रजातियों की पहचान करने के उद्देश्य से की गई थी।
- इसके नौ क्षेत्रीय वृत्त देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं। हालाँकि इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है।
कार्य:
- सामान्य और संरक्षित क्षेत्रों में पादप विविधता की खोज, सूची व प्रलेखन, विशेष रूप से हॉटस्पॉट तथा नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र।
- राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला फ्लोरा का प्रकाशन।
- संकटग्रस्त और लाल सूची वाली प्रजातियों की पहचान तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले समृद्ध क्षेत्रों की प्रजातियाँ।
- वनस्पति उद्यानों में गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों का एक्स-सीटू संरक्षण।
- पौधों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान (एथनो-बॉटनी) का सर्वेक्षण और प्रलेखन।
- भारतीय पौधों का राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करना, जिसमें हर्बेरियम और जीवित नमूने, वनस्पति चित्र आदि शामिल हैं।