हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये प्रोत्साहन | 13 Jul 2024
प्रिलिम्स के लिये:बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV), हाइब्रिड वाहन, इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाना और उनका विनिर्माण (फेम) योजना II, राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP), परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज़ पर राष्ट्रीय मिशन, गो इलेक्ट्रिक अभियान, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना। मेन्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्प के रूप में हाइब्रिड वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और अपनाना- चुनौतियाँ और अवसर, EV और नेट ज़ीरो उत्सर्जन के वैश्विक लक्ष्य। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्ट्रांग हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिये पंजीकरण शुल्क माफ करने की घोषणा की।
- यह कदम उत्तर प्रदेश को तमिलनाडु और चंडीगढ़ के साथ जोड़ता है, जो पेट्रोल तथा डीज़ल वाहनों के स्वच्छ विकल्पों को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEV) क्या है?
इलेक्ट्रिक वाहन के संबंध में:
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को ऐसे वाहन के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित किया जा सकता है जो बैटरी से बिजली खींचता है और बाहरी स्रोत से चार्ज होने में सक्षम होता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के प्रकार:
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV): ये पूरी तरह से बिजली से चलते हैं। ये हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड की तुलना में ज़्यादा कुशल होते हैं।
- फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV): इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये विद्युत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा से उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिये, हाइड्रोजन FCEV।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEV): इसे स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड EV भी कहा जाता है। यह वाहन आंतरिक दहन (आमतौर पर पेट्रोल) इंजन और बैटरी से चलने वाले मोटर पावरट्रेन दोनों का उपयोग करता है।
- पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल ड्राइव करने और बैटरी खत्म होने पर चार्ज करने के लिये किया जाता है। ये वाहन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक या प्लग-इन हाइब्रिड वाहनों की तरह कुशल नहीं हैं।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV): ये एक आंतरिक दहन इंजन और एक बाहरी सॉकेट से चार्ज की गई बैटरी (इनमें प्लग होता है) दोनों का उपयोग करते हैं।
- PHEV., HEV से अधिक कुशल हैं, लेकिन BEV से कम कुशल हैं।
- PHEV कम-से-कम 2 मोड में चल सकते हैं:
- ऑल-इलेक्ट्रिक मोड, जिसमें मोटर और बैटरी कार की सारी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- हाइब्रिड मोड, जिसमें बिजली और पेट्रोल/डीज़ल दोनों का उपयोग होता है।
- वाहन की बैटरी को केवल बाहरी बिजली स्रोत से ही चार्ज किया जा सकता है, इंजन से नहीं।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों का महत्त्व:
- मध्यम अवधि में व्यावहारिकता (5-10 वर्ष): चूँकि उन्हें बाहरी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिये हाइब्रिड को मध्यम अवधि के लिये एक व्यावहारिक और व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा जाता है क्योंकि भारत धीरे-धीरे अपने वाहनों के समूह के पूर्ण विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है। इस बदलाव में 5-10 वर्ष लगने की संभावना है।
- स्वामित्व लागत परिप्रेक्ष्य: हाइब्रिड को लागत प्रभावी माना जाता है क्योंकि कई राज्य सरकारें पंजीकरण शुल्क, RTO शुल्क आदि पर छूट दे रही हैं।
- उदाहरण के लिये, उत्तर प्रदेश सरकार ने मज़बूत हाइब्रिड वाहनों के लिये पंजीकरण शुल्क पर 100% छूट की घोषणा की है, जिससे खरीदारों को संभावित रूप से 3.5 लाख रुपए तक की बचत होगी।
- पारंपरिक ईंधन गाड़ियों की तुलना में हाइब्रिड कारों की ईंधन अर्थव्यवस्था बेहतर होती है, जिससे समय के साथ चालकों की लागत बचत होती है।
- डीकार्बोनाइज़ेशन अभियान के लिये महत्त्वपूर्ण: हाइब्रिड वाहन भारत के डीकार्बोनाइज़ेशन प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाइब्रिड वाहनों में समान आकार के वाहनों के लिये इलेक्ट्रिक और पारंपरिक ICE वाहनों की तुलना में कुल (वेल-टू-व्हील या WTW) कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
- हाइब्रिड वाहन 133 ग्राम/किमी. CO2 उत्सर्जित करते हैं, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन 158 ग्राम/किमी. CO2 उत्सर्जित करते हैं। इसका अर्थ है कि हाइब्रिड वाहन अपने समकक्ष इलेक्ट्रिक वाहन की तुलना में 16% कम प्रदूषण करते हैं।
- पेट्रोल वाहनों के लिये यह 176 ग्राम/किमी. तथा डीज़ल वाहनों के लिये 201 ग्राम/किमी. है।
नोट:
- फरवरी 2023 में, तमिलनाडु सरकार ने मज़बूत हाइब्रिड के लिये रोड टैक्स, पंजीकरण और परमिट शुल्क छूट के रूप में प्रोत्साहन की घोषणा की।
- चंडीगढ़ प्रशासन 20 लाख रुपए से कम कीमत वाले मज़बूत हाइब्रिड वाहनों पर रोड टैक्स छूट भी प्रदान करता है।
EV अपनाने को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की पहल क्या हैं?
- इलेक्ट्रिक वाहनों का तेज़ी से अपनाना और विनिर्माण (FAME) योजना II
- नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP)
- बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन
- गो इलेक्ट्रिक अभियान
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना: इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके कलपुर्जों के विनिर्माण हेतु प्रोत्साहन
- चार्जिंग अवसंरचना पर विद्युत मंत्रालय के संशोधित दिशा-निर्देश: राजमार्गों के दोनों ओर 3 किमी के ग्रिड में और साथ ही प्रति 25 किलोमीटर पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन मौजूद होना चाहिये।
- मॉडल बिल्डिंग उपनियम, 2016 (MBBL) में संशोधन: आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में ईवी चार्जिंग सुविधाओं के लिये पार्किंग स्थान का 20% हिस्सा अलग रखना अनिवार्य किया गया।
- वैश्विक EV30@30 अभियान को भारत द्वारा समर्थन।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में चुनौतियाँ क्या हैं?
- उच्च लागत: पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये उच्च अग्रिम लागत एक प्राथमिक बाधा है। बैटरी की लागत, जो EV की कीमत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, उच्च बनी हुई है, जिससे कई उपभोक्ताओं के लिये EVs कम किफायती हो जाते हैं, विशेषरूप से भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाज़ार में।
- स्वच्छ ऊर्जा का अभाव: भारत की अधिकांश विद्युत, कोयले से उत्पन्न की जाती है, इस प्रकार सभी EV के लिये विद्युत उत्पन्न करने हेतु कोयले पर निर्भर रहने से EV अपनाने के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
- आपूर्ति शृंखला के मुद्दे: लिथियम-आयन बैटरियों हेतु वैश्विक आपूर्ति शृंखला के मुद्दे महत्त्वपूर्ण हैं, 90% से अधिक लिथियम उत्पादन चिली, अर्जेंटीना, बोलीविया, ऑस्ट्रेलिया एवं चीन जैसे देशों में केंद्रित है।
- भारत में इन बैटरियों की मांग वर्ष 2030 तक वार्षिक रूप से 30% से अधिक की वृद्धि की आशा है, जिसके लिये EV बैटरी उत्पादन हेतु 50,000 टन से अधिक लिथियम की आवश्यकता होगी। यह निर्भरता भारत को कुछ देशों से आयात पर अत्यधिक रूप से निर्भर बनाती है।
- अविकसित चार्जिंग अवसंरचना: भारत का मौजूदा चार्जिंग अवसंरचना EV की बढ़ती मांग के लिये पर्याप्त नहीं है, केवल 12,146 सार्वजनिक EV चार्जिंग स्टेशन मुख्यतः शहरी क्षेत्रों में हैं, यह चीन से काफी पीछे है, जहाँ 1.8 मिलियन इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन हैं।
- विश्व बैंक (WB) के एक विश्लेषण के अनुसार अग्रिम खरीद प्रोत्साहन,चार्जिंग अवसंरचना में निवेश करना EV को अपनाने की दिशा में चार से सात गुना अधिक प्रभावी होगा।
- सब-ऑप्टिमल बैटरी टेक्नोलॉजी: मौजूदा EV बैटरियों की वोल्टेज क्षमता सीमित है, जो ड्राइविंग क्षमता में बाधा उत्पन्न करती है। सीमित चार्जिंग स्टेशन, वायुगतिकीय प्रतिरोध एवं वाहन के वज़न के साथ-साथ, ड्राइवरों के लिये बिना रिचार्ज के लंबी दूरी की यात्रा करना कठिन हो जाता है।
- परिवर्तन के प्रति लगातार प्रतिरोध: दीर्घकालिक आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के बावजूद, भारतीय उपभोक्ता जागरूकता की कमी के साथ-साथ नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के प्रति सामान्य अनिच्छा के कारण, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, EV को अपनाने का लगातार विरोध करते हैं।
हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में वृद्धि:
- बिक्री के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में HEV अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। FY23 तथा FY24 के बीच कुल बाज़ार हिस्सेदारी में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड की हिस्सेदारी 0.5% से बढ़कर 2.2% हो गई।
- यह प्रवृत्ति वैश्विक अवलोकनों के अनुरूप है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हाइब्रिड की बिक्री में वृद्धि हो रही है, विशेषरूप से अमेरिका तथा यूरोप में, जहाँ वे BEV वृद्धि को पीछे छोड़ रहे हैं।
आगे की राह
- लागत संबंधी चिंताओं का समाधान:
- सरकार को मांग प्रोत्साहन और लक्षित सब्सिडी प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से मध्यम आय एवं बजट क्षेत्रों के लिये, चार्जिंग समय को कम करने और रेंज की चिंता को दूर करने के लिये बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों का एक नेटवर्क विकसित करना तथा बड़ा EV उपयोगकर्त्ता आधार बनाने के लिये इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
- चार्जिंग से संबंधित बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना:
- प्रमुख राजमार्गों और शहरी केंद्रों पर फास्ट-चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को प्राथमिकता देने और सौर तथा पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इलेक्ट्रिक वाहन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देना।
- बैटरी प्रौद्योगिकी और आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देना:
- आयात पर निर्भरता कम करने के लिये घरेलू लिथियम-आयन सेल विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने तथा पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने और नवीन कच्चे माल पर निर्भरता कम करने के लिये कुशल बैटरी रीसाइक्लिंग कार्यक्रमों को लागू करने की आवश्यकता है।
- उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना:
- गलतफहमियों को दूर करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों को उजागर करने के लिये लक्षित जन जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये। कृषि और परिवहन आवश्यकताओं के लिये इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: दक्ष और किफायती (ऐफोर्डेबल) शहरी सार्वजनिक परिवहन किस प्रकार भारत के तीव्र आर्थिक विकास की कुंजी है? (2019) |