पर्स सीन फिशिंग | 26 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:12 समुद्री मील, पश्चिमी तट, विशेष आर्थिक क्षेत्र, राज्य विषय। मेन्स के लिये :पर्स सीन फिशिंग तकनीक और इसके लाभ। |
चर्चा में क्यों?
केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि कुछ तटीय राज्यों द्वारा पर्स सीन फिशिंग पर लगाया गया प्रतिबंध, उचित नहीं है।
संबंधित मुद्दे:
- वर्तमान में तमिलनाडु, केरल, पुद्दुचेरी, ओडिशा, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन और दीव तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के प्रादेशिक जल में 12 समुद्री मील तक पर्स सीन फिशिंग पर प्रतिबंध लागू है।
- जबकि गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।
पर्स सीन फिशिंग:
- परिचय:
- एक पर्स सीन, फ्लोटिंग और लीडलाइन के साथ जाल की एक लंबी दीवार से बना होता है और इसमें गियर के निचले किनारे से पर्स के छल्ले लटके होते हैं, जिसके माध्यम से स्टील के तार या रस्सी से बनी एक पर्स लाइन चलती है जिसमें मछलियाँ फँसती है।
- इस तकनीक का उपयोग भारत के पश्चिमी तटों पर व्यापक रूप से किया जाता है।
- लाभ:
- खुले पानी में पर्स सीन फिशिंग को मछली पकड़ने का एक कुशल रूप माना जाता है।
- इसका सीबेड से कोई संपर्क नहीं है और जिसके कारण यह मछली पकड़ने का एक निम्न स्तर हो सकता है ।
- इसका उपयोग मछली एकत्र करने वाले उपकरणों के आसपास मौजूद होने वाली मछलियों को पकड़ने के लिये भी किया जा सकता है
- इसका उपयोग खुले समुद्र में टूना और मैकेरल जैसी एकल-प्रजाति के पेलाजिक (मिडवाटर) मछली के समूहों को लक्षित करने के लिये किया जाता है।
चिंताएँ:
- कुछ राज्यों में यह तकनीक पश्चिमी तटों पर सार्डिन, मैकेरल, एंकोवी और ट्रेवेली जैसी छोटी, पीलाजिक शोलिंग मछलियों के घटते स्टॉक के बारे में चिंताओं से जुड़ी है।
- वैज्ञानिकों का तर्क है कि पिछले दस वर्षों में ऐसी मछलियों की कमी के लिये अल नीनो घटना सहित जलवायु परिस्थितियाँ ज़िम्मेदार हैं।
- हालाँकि पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने वाले मछुआरों ने पर्स सीन फिशिंग को दोषपूर्ण बताया है, अगर प्रतिबंध हटा दिया जाता है तो इन छोटी मछलियों की उपलब्धता में और गिरावट आ सकती है।
- उन्होंने यह भी मांग की है कि चूँकि केंद्र ने प्रतिबंध हटाने का समर्थन किया है, अतः केंद्र को इस पहलू के संदर्भ में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट प्रकाशित करनी चाहिये।
- एक बड़ी चिंता सारडाइन मछली की कमी होना है जिसे केरल के लोगों द्वारा बड़े चाव से खाया जाता है ।
- वर्ष 2021 में केरल ने केवल 3,297 टन सारडाइन मछली पकड़ी, जो 2012 में पकड़ी गई 3.9 लाख टन से बहुत कम थी।
- पर्स सीन एक गैर-लक्षित मछली पकड़ने की विधि है और किशोर मछलियों सहित जाल के रास्ते में आने वाली सभी प्रकार की मछलियों को पकड़ता है। अतः यह समुद्री संसाधनों के लिये बहुत हानिकारक है।
बैन के खिलाफ केंद्र सरकार के तर्क?
- केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर पर्स सीन फिशिंग पर प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की है।
- विशेषज्ञ पैनल ने कहा है कि मछली पकड़ने के इस तरीके के "उपलब्ध सबूतों को देखते हुए अब तक किसी भी गंभीर संसाधन की कमी नहीं हुई है"।
- विशेषज्ञ पैनल ने कुछ शर्तों के अधीन प्रादेशिक जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये पर्स सीन फिशिंग की सिफारिश की है।
- समिति ने "पर्स सीन फिशिंग पर राष्ट्रीय प्रबंधन योजना" बनाने का भी सुझाव दिया है।
मछली पकड़ने का क्षेत्राधिकार:
- मत्स्यपालन राज्य का विषय है और प्रादेशिक जल में समुद्री मत्स्यपालन के लिये प्रबंधन योजना राज्य का कार्य है।
- राज्य सूची में 61 विषय (मूल रूप से 66 विषय) होते हैं।
- ये स्थानीय महत्त्व के हैं जैसे स्थानीय सरकार, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस, कृषि, वन, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, मत्स्यपालन, शिक्षा, राज्य कर और शुल्क। सामान्य परिस्थितियों में राज्यों के पास राज्य सूची में उल्लिखित विषयों पर कानून बनाने की विशेष शक्ति होती है।