ऋण सुलभता के लिये सार्वजनिक तकनीकी मंच | 22 Aug 2023

प्रिलिम्स के लिये:

ऋण सुलभता के लिये सार्वजनिक तकनीकी मंच, भारतीय रिज़र्व बैंक, क्रेडिट मूल्यांकन, मौद्रिक नीति समिति, बाधा रहित ऋण, रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब, अकाउंट एग्रीगेटर्स

मेन्स के लिये:

ऋण सुलभता के लिये सार्वजनिक तकनीकी मंच, इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य 'ऋण सुलभता के लिये सार्वजनिक तकनीकी मंच' की व्यवहार्यता के मूल्यांकन के साथ ही ऋणदाताओं द्वारा निर्बाध और कुशल ऋण वितरण की सुविधा प्रदान करने की प्रक्रिया का मूल्यांकन करना है तथा भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है। 

  • यह पहल RBI की विकासात्मक और नियामक नीतियों के हिस्से के रूप में है तथा इसे अगस्त 2023 में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद पेश किया गया था।

नोट: बाधा रहित ऋण उधार लेने का एक दृष्टिकोण है जो उपभोक्ताओं के लिये ऋण देने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना चाहता है। पारंपरिक क्रेडिट प्रणालियों, जहाँ व्यक्तियों को व्यापक कागज़ी कार्रवाई, क्रेडिट जाँच और लंबी अनुमोदन प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है, के विपरीत यह बाधा रहित क्रेडिट हेतु एक सहज तथा तीव्र भुगतान का आश्वासन देता है।

बाधा रहित ऋण के लिये सार्वजनिक तकनीकी मंच:

  • परिचय:
    • रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (Reserve Bank Innovation Hub- RBIH) द्वारा विकसित यह एक एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसमें एक ओपन आर्किटेक्चर, ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (Application Programming Interface- API) और मानक होंगे एवं  सभी बैंक इस "प्लग एंड प्ले (Plug and Play)" मॉडल से जुड़ सकते हैं।
    • सार्वजनिक तकनीकी मंच क्रेडिट की सुविधा के लिये सभी आवश्यक जानकारी एक ही स्थान पर प्रदान कर इस प्रक्रिया को बाधा रहित बनाना चाहता है।
  • प्रक्रिया:
    • डिजिटल माध्यम से ऋण वितरित करने की इस प्रक्रिया में क्रेडिट मूल्यांकन (Credit Appraisal) शामिल है, जो उधारकर्त्ता की ऋण चुकाने तथा क्रेडिट समझौते का पालन करने की क्षमता का मूल्यांकन करता है।
    • यह प्रक्रिया तीन स्तंभों पर निर्भर है:
      • प्रतिकूल चयन (उधारकर्ताओं और उधारदाताओं के बीच सूचना विषमता)
      • एक्सपोज़र रिस्क मेज़रमेंट
      • डिफॉल्ट रिस्क असेसमेंट 
  • प्रमुख डेटा स्रोत: 
    • यह प्लेटफॉर्म केंद्र और राज्य सरकारों, अकाउंट एग्रीगेटर्स (Account Aggregators- AA), बैंकों, क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनी तथा डिजिटल पहचान प्राधिकरणों के डेटा को एकीकृत करेगा।
    • एकीकरण से बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी तथा यह नियम-आधारित ऋण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा।
  • सीमा एवं कार्यक्षेत्र:
    • विविध ऋण प्रकार: प्लेटफॉर्म के दायरे में किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card- KCC) से परे डिजिटल ऋण शामिल हैं, जिनमें डेयरी ऋण, बिना संपार्श्विक के MSME ऋण, व्यक्तिगत ऋण और गृह ऋण शामिल हैं।
    • डेटा एकीकरण: यह आधार ई-केवाईसी, आधार ई-हस्ताक्षर, भूमि रिकॉर्ड, उपग्रह डेटा, पैन सत्यापन, लिप्यंतरण (Transliteration), अकाउंट एग्रीगेटर्स (Account Aggregator- AA) द्वारा खातों को एकीकृत करने आदि जैसी विभिन्न सेवाओं से जुड़ा होगा।

इसके लाभ और परिणाम:

  • उन्नत ऋण पोर्टफोलियो प्रबंधन:
    • यह प्लेटफाॅर्म डेटा समेकन के माध्यम से बेहतर ऋण जोखिम मूल्यांकन और कुशल ऋण पोर्टफोलियो प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।
  • ऋण तक पहुँच में वृद्धि:
    • सटीक जानकारी तक पहुँच से सूचित और त्वरित ऋण मूल्यांकन में सहायक मिलती है। ऋण उपलब्धता के विस्तार से पूंजी तक पहुँच की लागत कम होगी तथा उधारकर्ताओं को इसका लाभ मिलेगा।
  • परिचालन लागत में कमी:
    • यह  प्लेटफाॅर्म परिचालन संबंधी चुनौतियों जैसे- बार बार बैंक का चक्कर लगाने और दस्तावेज़ संबंधी मांगों को संबोधित करता है, जिससे ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं दोनों के लिये लागत में कमी आती है।
      • भरतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण से पता चलता है कि कृषि ऋण की प्रोसेसिंग (स्वीकृति प्रदान करने में लगने वाला समय) में दो से चार सप्ताह का समय लगता है तथा इसकी फीस ऋण के कुल मूल्य का लगभग 6% होती है।
  • दक्षता और मापनीयता/स्केलेबिलिटी: 
    • इस प्लेटफाॅर्म की त्वरित संवितरण और स्केलेबिलिटी जैसी सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की वजह से एक अधिक कुशल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।

आर्थिक विकास में वित्तीय समावेशन और ऋण तक पहुँच का महत्त्व:

  • आय असमानता में कमी: 
    • वित्तीय समावेशन कम आय वाले व्यक्तियों और निम्न स्थिति में रहने वाले समूहों सहित समाज के सभी वर्गों की आवश्यक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • यह उन्हें बचत करने, निवेश करने और ऋण तक पहुँच प्राप्त करने, आय असमानताओं को कम करने तथा न्यायसंगत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • उद्यमिता और नवाचार: 
    • ऋण तक पहुँच इच्छुक उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने और विस्तार करने में सक्षम बनाती है।
    • इससे रोज़गार सृजन, नवाचार और आर्थिक विविधीकरण में वृद्धि होती है, ये सभी उच्च सकल घरेलू उत्पाद विकास तथा समग्र समृद्धि में योगदान देते हैं।
  • गरीबी उन्मूलन: 
    • आर्थिक रूप से बहिष्कृत व्यक्तियों को अक्सर आर्थिक प्रगति में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • ऋण तक पहुँच होने से उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आय-सृजन गतिविधियों में निवेश करने, गरीबी से निकलने तथा समग्र विकास में मदद मिलती है।
  • अवसंरचनात्मक विकास: 
    • बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये पर्याप्त ऋण तक पहुँच होना आवश्यक है। परिवहन, ऊर्जा और संचार नेटवर्क क्षेत्र की ये परियोजनाएँ निरंतर आर्थिक विकास की रीढ़ हैं।
  • ग्रामीण विकास:
    • कृषि अर्थव्यवस्थाओं में ऋण तक पहुँच किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों में निवेश करने में सक्षम बना सकती है, जिससे उत्पादकता और ग्रामीण विकास में वृद्धि होगी। यह बदले में समग्र आर्थिक विकास का समर्थन करता है।
  • वित्तीय स्थिरता:
    • एक अच्छी तरह से काम करने वाला क्रेडिट बाज़ार व्यक्तियों और व्यवसायों के लिये फंडिंग स्रोतों में विविधता लाकर वित्तीय स्थिरता में योगदान देता है। यह अनौपचारिक उधार पर निर्भरता को कम करता है, जो अधिक अस्थिर और जोखिम भरा हो सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पी.एम.ज़े.डी.वाई.) बैंक रहितों को संस्थागत वित्त में लाने के लिये आवश्यक है। क्या आप सहमत हैं कि भारतीय समाज के गरीब तबके के लोगों का वित्तीय समावेश होगा? अपने मत की पुष्टि के लिये तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2016)

स्रोत: द हिंदू