जनहित प्रतिरक्षा दावा कार्यवाही | 12 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:सीलबंद कवर कार्यवाही, जनहित प्रतिरक्षा दावा कार्यवाही। मेन्स के लिये:सीलबंद कवर कार्यवाही पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालयों में सीलबंद कवर कार्यवाही के उपयोग और एक मलयालम चैनल के प्रसारण प्रतिबंध मामले पर निर्णय सुनाया।
- न्यायालय ने मीडिया में आवाज़ों को दबाने एवं संवैधानिक अधिकारों को कम करने तथा निष्पक्ष सुनवाई की प्रक्रियात्मक गारंटी हेतु सरकार की आलोचना की।
- न्यायालय ने सीलबंद कवर (मोहरबंद लिफाफा) के उपयोग को बदलने हेतु जनहित प्रतिरक्षा दावा कार्यवाही के लिये एक वैकल्पिक प्रक्रिया भी तैयार की।
सीलबंद कवर कार्यवाही:
- सीलबंद कवर कार्यवाही का उपयोग अक्सर संवेदनशील या गोपनीय जानकारी जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों या ऐसे मामलों में किया जाता है जहाँ साक्ष्यों के प्रकटीकरण में शामिल व्यक्तियों की गोपनीयता से समझौता हो सकता है।
- ऐसे मामलों में दस्तावेज़ या साक्ष्य न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किये जाते हैं और केवल न्यायाधीश एवं एक नामित न्यायिक अधिकारी को सीलबंद लिफाफे की सामग्री की जाँच करने की अनुमति होती है।
- मामले के पक्षकारों की सीलबंद कवर की सामग्री तक पहुँच नहीं होती है और न्यायालय अपने निर्णयन हेतु केवल सीलबंद कवर में निहित जानकारी पर भरोसा करते है।
- सीलबंद कवर कार्यवाही संवेदनशील जानकारी या व्यक्तियों की गोपनीयता की रक्षा करने के साथ न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता को संतुलित करने का एक साधन है।
- हालाँकि, सीलबंद कवर के उपयोग ने संवैधानिक अधिकारों एवं कानून के तहत निष्पक्ष सुनवाई की प्रक्रियात्मक गारंटी को कम कर दिया है।
जनहित प्रतिरक्षा दावा कार्यवाही:
- परिचय:
- सर्वोच्च न्यायालय ने गोपनीयता के लिये राज्य के दावों से निपटने के दौरान सीलबंद कवर कार्यवाही हेतु "विकल्प" के रूप में "कम प्रतिबंधात्मक" जनहित प्रतिरक्षा (PII) दावा कार्यवाही को विकसित किया।
- PII की कार्यवाही एक "गुप्त बैठक" होगी, लेकिन राज्य के PII के दावे को अनुमति देने या खारिज़ करने का एक तर्कपूर्ण आदेश खुले न्यायालय में घोषित करने का प्रावधान है।
- प्रक्रिया - न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) की भूमिका:
- न्यायालय द्वारा न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी), जिसका अर्थ "न्यायालय का मित्र" है, की नियुक्ति की जाएगी, जो जनहित प्रतिरक्षा दावों में शामिल पक्षों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।
- न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमित्र को राज्य द्वारा रोके जाने की माँग की गई है, जिसके लिये उन्हें दस्तावेज़ों को प्रदान किया जाएगा और कार्यवाही से पूर्व आवेदक तथा उनके अधिवक्ता के साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाएगी ताकि उनके मामले का पता लगाया जा सके।
- जनहित प्रतिरक्षा कार्यवाही शुरू होने के पश्चात् न्यायमित्र, आवेदक या उनके अधिवक्ता के साथ बातचीत नहीं करेगा जिसके लिये अधिवक्ताओं ने दस्तावेज़ को रोके जाने की माँग की है।
- न्यायमित्र "अपनी क्षमता के अनुसार आवेदक के हितों का प्रतिनिधित्त्व करेगा" और किसी अन्य व्यक्ति के साथ दस्तावेज़ पर चर्चा नहीं करने की शपथ से बाध्य होगा।
- न्यायालय द्वारा न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी), जिसका अर्थ "न्यायालय का मित्र" है, की नियुक्ति की जाएगी, जो जनहित प्रतिरक्षा दावों में शामिल पक्षों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।
- त्रुटियाँ/दोष :
- चूँकि संविधान का अनुच्छेद 145 विशेष रूप से अनिवार्य करता है कि सर्वोच्च न्यायालय के सभी निर्णय स्वतंत्र रूप से दिये जाएं, PII के अनुसार गुप्त बैठक की कार्यवाही इस संवैधानिक आदेश के विरुद्ध हो सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया: जबकि न्यायालय ने यह माना कि जनहित प्रतिरक्षा कार्यवाही एक गुप्त बैठक में होगी, उसने स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायालय को स्वतंत्र रूप से निर्णय देने या खारिज़ करने के लिये एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त सीलबंद कवर कार्यवाही न्याय के प्राकृतिक मानदंडों के साथ-साथ पारदर्शी व प्रत्यक्ष न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है तथा PII के दावों का भी न्याय के इन मानकों पर प्रभाव पड़ता है।
- चूँकि संविधान का अनुच्छेद 145 विशेष रूप से अनिवार्य करता है कि सर्वोच्च न्यायालय के सभी निर्णय स्वतंत्र रूप से दिये जाएं, PII के अनुसार गुप्त बैठक की कार्यवाही इस संवैधानिक आदेश के विरुद्ध हो सकती है।
सीलबंद कवर कार्यवाही पर सर्वोच्च न्यायालय अन्य टिप्पणियाँ:
- पी. गोपालकृष्णन बनाम केरल राज्य मामला (2019):
- सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भले ही जाँच जारी हो तथा दस्तावेज़ों से नई जानकारी मिल सकती हो, अभियुक्तों के लिये इसका प्रकटीकरण कानूनी रूप से आवश्यक है।
- INX मीडिया मामला (2019):
- एक पूर्व केंद्रीय मंत्री को जमानत देने से इंकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सीलबंद कवर में उपलब्ध कराए गए सबूतों पर आधारित होने के कारण चुनौती दी थी।
- इस कार्रवाई का आधार निष्पक्ष परीक्षण था।
- एक पूर्व केंद्रीय मंत्री को जमानत देने से इंकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सीलबंद कवर में उपलब्ध कराए गए सबूतों पर आधारित होने के कारण चुनौती दी थी।
- Cdr अमित कुमार शर्मा बनाम भारत संघ मामला (2022):
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, "प्रभावित पक्ष को प्रासंगिक जानकारी का प्रगटीकरण न करना और निर्णायक प्राधिकरण को सीलबंद कवर में इसका प्रगटीकरण करना एक अनुचित उदाहरण प्रस्तुत करता है।"