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सामाजिक न्याय

मानव तस्करी को रोकने के लिये प्रोटोकॉल: एससीओ

  • 01 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

मेन्स के लिये:

मानव तस्करी से निपटने के भारत के प्रयास तथा इससे संबंधित प्रोटोकॉल 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO)ने नई दिल्ली में आयोजित अपनी 19वीं बैठक (अभियोजक जनरल की) में मानव तस्करी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी के बढ़ते खतरे को रोकने और उसका मुकाबला करने हेतु सहयोग को मजबूत करने के लिये एक प्रोटोकॉल को अपनाया।

  •  शंघाई सहयोग संगठन का वर्तमान अध्यक्ष ताजिकिस्तान है।

SCO (शंघाई सहयोग संगठन):

  • इसकी स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य,कज़ाखस्तान , ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
  • वर्तमान में इसमें भारत, कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान जैसे 9 सदस्य देश शामिल हैं।
    • भारत को 2005 में एससीओ में पर्यवेक्षक बनाया गया था।
    • भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने
    • ईरान को वर्ष 2021 के SCO समिट में संगठन की सदस्यता प्रदान की गई थी।
  • इसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में है।
  • RATS (क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना) SCO का एक स्थायी अंग है, जिसका मुख्यालय ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में है।
  • यह शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है तथा इसकी अध्यक्षता सदस्य राष्ट्रों द्वारा एक वर्ष के लिये रोटेशन के आधार पर की जाती है।

प्रमुख बिंदु

  • मानव तस्करी:
    • मानव तस्करी के तहत किसी व्यक्ति से बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखना जैसे कृत्य आते हैं, इन तरीको में धमकी देना या अन्य प्रकार की जबरदस्ती भी शामिल है।
    • उत्पीडन में शारीरिक या यौन शोषण के अन्य रूप,बलात् श्रम या सेवाएँ,,दास बनाना या ज़बरन शारीर के अंग निकलना आदि शामिल हैं।
  • प्रोटोकॉल के बारे में:
    • व्यक्तियों के अवैध व्यापार के खतरे से निपटने के लिये राष्ट्रीय कानूनों के आदान-प्रदान को जारी रखने का आह्वान।
    • तस्करी के पीड़ितों को उनकी पात्रता के दायरे में सुरक्षा और सहायता प्रदान करना।
    •  उन्नत प्रशिक्षण के क्षेत्र में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों  के शैक्षिक संगठनों के बीच सहयोग विकसित करने का आह्वान, इनमें विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी का मुकाबला करना शामिल है।
  • भारत में प्रासंगिक कानून:
  • मानव तस्करी से निपटने के भारत के प्रयास:
    • जुलाई 2021 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मानव तस्करी विरोधी विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021 का मसौदा जारी किया।
    • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध (पलेर्मो कन्वेंशन) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि की है, जिसमें अन्य लोगों के बीच विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और दंडित करने के लिये एक प्रोटोकॉल है।
    • भारत ने वेश्यावृत्ति के लिये महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और उनका मुकाबला करने हेतु सार्क कन्वेंशन की पुष्टि की है।
    • मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिये राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न निर्णयों को संप्रेषित करने और अनुवर्ती कार्रवाई हेतु गृह मंत्रालय (MHA) में वर्ष 2006 में एंटी-ट्रैफिकिंग नोडल सेल की स्थापना की गई थी।
    • न्यायिक संगोष्ठी: निचली अदालत के न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिये मानव तस्करी पर न्यायिक संगोष्ठी उच्च न्यायालय स्तर पर आयोजित की जाती है।
    • गृह मंत्रालय ने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से 'व्यक्तियों की तस्करी’ के विरुद्ध भारत में कानून प्रवर्तन प्रतिक्रिया को मज़बूत करने की एक व्यापक योजना के तहत देश के 270 ज़िलों में मानव तस्करी विरोधी इकाइयों की स्थापना हेतु फंड जारी किया है।
    • उज्ज्वला योजना वर्ष 2007 में बच्चों और महिलाओं की तस्करी को समाप्त करने के लिये शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य यौन शोषण के लिये तस्करी को रोकना, बचाव, पुनर्वास और उन्हें स्वदेश भेजना है।
    • "स्वाधार गृह योजना", "सखी", "महिला हेल्पलाइन का सार्वभौमिकरण" जैसी विभिन्न पहलें हिंसा से प्रभावित महिलाओं की चिंताओं को दूर करने के लिये सहायक संस्थागत ढाँचे और तंत्र प्रदान करती हैं।

Trafficking

स्रोत-पीआईबी

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