चिली में विरोध प्रदर्शन | 03 Dec 2019
प्रीलिम्स के लिये
चिली की भौगोलिक स्थिति एवं अन्य जानकारी
मेन्स के लिये
चिली में विरोध प्रदर्शन, इस प्रकार के प्रदर्शन के कारण तथा विकासशील देशों के लिये चिली से सबक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चिली में बढ़ती आर्थिक विषमता का विरोध करने एवं बेहतर सामाजिक सेवाओं और पेंशन की मांग के समर्थन में हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पिछले कुछ दिनों में कई लोगों ने अपनी आँखों की रोशनी खो दी।
पृष्ठभूमि:
- चिली में मेट्रो के किराए में 4 फीसदी वृद्धि को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे किंतु बाद में अन्य कई मुद्दों पर भी विरोध जताया जाने लगा। ये विरोध प्रदर्शन काफी शांतिपूर्वक शुरू हुए थे किंतु इन विरोध प्रदर्शनों ने वर्तमान में हिंसक रुप ले लिया। इसमें काफी संख्या में लोगों की मौत भी हुई।
- बताया जा रहा है कि 1990 में ऑगस्टो पिनोचे की सरकार के गिरने के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
- चिली में जारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने दो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों (एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग सम्मेलन एवं संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) का आयोजन रद्द कर दिया था। इन दोनों आयोजनों के रद्द होने से चिली की छवि काफी धूमिल हुई है।
- हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा ने सेंटियागो में आपातकाल की घोषणा कर दी थी और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सेना को सौंप दी थी किंतु विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए बाद में सरकार ने आपात स्थिति को समाप्त कर दिया था।
चिली में ऐसे हालात क्यों बने?
चिली: आर्थिक उदारीकरण का एक उदाहरण
- दक्षिण अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में विशाल समुद्र तट से सटा चिली की गिनती लैटिन अमेरिका के सबसे अमीर देशों में की जाती है। इसे आर्थिक उदारीकरण के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है। माना जा रहा है कि आर्थिक उदारीकरण के कारण चिली में आर्थिक असमानताएँ काफी बढ़ गई हैं।
सरकारी नीतियाँ
- चिली में वर्ष 1970-73 के बीच वामपंथ की तरफ झुकाव रखने वाली साल्वोडोर आयेन्दे की सरकार थी। इस सरकार ने लोकलुभावन योजनाएँ लागू की किंतु इन योजनाओं से अर्थव्यवस्था में अधिक सुधार नहीं हुआ और उन्हें सत्ता से हटा दिया गया।
- साल्वोडोर आयेन्दे की सरकार के बाद ऑगस्टो पिनोचे की सरकार सत्ता में आई जिसने ‘आर्थिक उदारीकरण की नीति’ अपनाई। पिनोचे ने ट्रेड यूनियन को प्रतिबंधित किया, स्थानीय व्यवसायों को टैक्स से मिलने वाली छूट हटा दी, निजीकरण को बढ़ावा दिया एवं देश की लगभग सभी सरकारी इकाइयों का निजीकरण कर दिया।
- वर्ष 1990 में ऑगस्टो पिनोचे की सत्ता ख़त्म हो गई किंतु देश में अब भी वर्ष 1990 का वही संविधान लागू है जिसमें आर्थिक उदारीकरण को अपनाया गया था।
- चिली के वर्तमान संविधान में कुछ मूल धाराएँ ऐसी हैं कि उदारवादी अर्थव्यवस्था में बदलाव नहीं लाया जा सकता बल्कि उनको बढ़ावा ही दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह संविधान सेना ने बनाया था जिसमें सेना के अधिकारों और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हितों की बात की गई थी किंतु इसमें आम नागरिकों के हितों की उपेक्षा की गई थी।
- चिली में अर्थव्यवस्था का निजीकरण इस प्रकार हुआ है कि मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग उसका लाभ लेने में सक्षम नहीं हैं जबकि मध्यम वर्ग अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में देता है।
- बिगड़ती अर्थव्यवस्था के संदर्भ में चिली की स्थिति ब्राज़ील, अर्जेंटीना, इक्वाडोर और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों से बहुत अलग नहीं है, लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। एक तरफ लोगों की आर्थिक बिगड़ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को मज़बूर किया जा रहा है कि वे सार्वजनिक सेवाओं के लिए अधिक भुगतान करें।
प्रदर्शनकारियों की मांग
- राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा इस्तीफा दें।
- सामाजिक-आर्थिक सुधार लागू हों।
- वर्तमान संविधान में मूलभूत परिवर्तन किया जाए।
नए संविधान की मांग क्यों?
- राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार पेंशन बढ़ाने, दवाओं की कीमतें कम करने, स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर और सस्ती करने के लिये प्रयास कर रही हैं एवं अन्य कई क्षेत्रों, जैसे रोज़गार, वहनीय कीमत पर बिजली और मूलभूत सुविधाओं के लिये भी कार्य किया जा रहा है किंतु विरोध प्रदर्शनों में कोई कमी नही आई है।
- चिली के लोगों में काफ़ी गुस्सा है, लोग सरकार के छोटे-छोटे वादों पर भी यकीन करने को तैयार नहीं हैं, वे एक मूलभूत परिवर्तन चाहते हैं। लोगों का मानना है कि संविधान में मूलभूत परिवर्तन होने से उन्हें आर्थिक उदारीकरण के बाद उत्पन्न समस्याओं से कुछ राहत मिलेगी। यही कारण है कि वे नए संविधान और राष्ट्रपति के इस्तीफ़े मांग कर रहे हैं।
- सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास की कमी देखी जा रही है क्योंकि जहाँ एक तरफ सरकार ने सुधारों की बात की हैं तो वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर अब भी सेना तैनात है और प्रदर्शनकारियों का दमन जारी है।
विकासशील देशों के लिये सबक
- आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाने वाले विकासशील देशों के लिये चिली में उपजे वर्तमान हालात एक उदाहरण है जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
- विकासशील देशों को अपने देश में आर्थिक उदारीकरण को बढ़ावा देते समय यह ध्यान में रखना चाहिये कि आर्थिक विकास का लाभ सभी वर्गों तक संतुलित तरीके से पहुँचे।
- गत दिनों जारी ऑक्सफैम इंडिया रिपोर्ट- 2018 इस बात की ओर इंगित करती है कि भारत में आय असमानता तेज़ी से बढ़ रही है।
चिली: एक नज़र में
- चिली दक्षिण अमेरिका में एंडीज़ पर्वतमाला और प्रशांत महासागर के मध्य स्थित है।
- चिली के उत्तर में पेरू, उत्तर-पूर्व में बोलीविया, पूर्व में अर्जेंटीना और दक्षिण छोर पर ड्रेक पैसेज स्थित है।
- चिली दक्षिण अमेरिका के उन दो देशों (दूसरा इक्वाडोर) में से है जिसकी सीमाएँ ब्राजील से नहीं मिलती है।
- विश्व के प्रमुख रेगिस्तानों में से एक 'अटाकामा रेगिस्तान' उत्तरी चिली में स्थित एक तटीय रेगिस्तान है।
- चिली की राजधानी ‘सैंटियागो’ चिली के मध्य में स्थित है।
- सैंटियागो शराब उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है।
- विश्व का सबसे शुष्क स्थान ‘अरिका’ उत्तरी चिली में अवस्थित है।
- विश्व का सबसे बड़ा तांबा उत्पादक शहर ‘चुक्वीकमाटा’ चिली में अवस्थित है ।