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भारतीय अर्थव्यवस्था

ऑक्सफेम रिपोर्ट

  • 21 Jan 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में ‘ऑक्सफेम’ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार अमीरों और गरीबों के बीच भारी असमानता पाई गई, भारत के 1% सबसे अमीर लोगों की आर्थिक वृद्धि दर 2018 में 33% जबकि अन्य निचले स्तर की आधी आबादी की आर्थिक आय में सिर्फ 3 फीसदी की ही बढ़ोतरी देखी गई।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूह (International Rights Group) के वार्षिक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2018 में अरबपतियों की आय में एक दिन में 12 प्रतिशत या 2.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि दुनिया की सबसे गरीब आधी आबादी ने अपने धन में 11 प्रतिशत की गिरावट देखी।
  • इसके अनुसार लगभग 13.6 करोड़ भारतीय, जो देश के सबसे गरीब 10 प्रतिशत क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, 2004 से लगातार कर्ज़ में हैं।
  • यह रिपोर्ट पाँच दिवसीय विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) की वार्षिक बैठक के शुरू होने से पहले जारी की गई।
  • दावोस में वैश्विक राजनीतिज्ञों और व्यापारिक नेताओं का वार्षिक सम्मलेन आयोजित हुआ जिसमें बढ़ते अमीरी-गरीबी द्वारा उत्पन्न सामाजिक विभाजन से निपटने हेतु चर्चा की गई, ऑक्सफेम ने भी इस बढ़ती असमानता (अमीरी-गरीबी) पर चिंता जाहिर की है।
  • ऑक्सफेम ने बताया कि यह बढ़ती असमानता ही गरीबी के खिलाफ किये गए प्रयासों को असफल कर रही है, अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुँचा रही है। जिसकी वज़ह से वैश्विक स्तर पर लोगों में रोष बढ़ रहा है।
  • WEF शिखर सम्मेलन में यह बात भी सामने आई कि यह असमानता अनैतिक है क्योंकि कुछ अमीर लोग ही बढ़ते भारतीय धन की हिस्सेदारी में शामिल हैं, जबकि गरीब लोग अपने भोजन, वस्त्र एवं दवाइयों जैसी मूलभूत जरूरतों को ही पूरा नहीं कर पाते हैं।
  • इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि ऐसी ही असमानता भारत के शीर्ष 1 प्रतिशत अमीरों और बाकी बचे सामान्य लोगों के बीच जारी रहती है तो इससे देश की सामाजिक और लोकतांत्रिक संरचना समाप्त हो जाएगी।
  • रिपोर्ट में पाया गया कि अमेज़न के संस्थापक ‘जेफ बेजोस’ (दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति) की आय में 112 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इसका मात्र 1 प्रतिशत हिस्सा इथियोपिया की सम्पूर्ण आबादी यानी 115 मिलियन लोगों के स्वास्थ्य बजट के बराबर है।
  • भारत की शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी के पास कुल राष्ट्रीय धन का 77.4 प्रतिशत हिस्सा है। जबकि शीर्ष 1 प्रतिशत लोगों के पास 51.53 प्रतिशत हिस्सा है।
  • लगभग 60% से निम्न आय वर्ग आबादी के पास राष्ट्रीय संपत्ति का केवल 4.8 प्रतिशत ही है, जबकि शीर्ष 9 अरबपतियों का धन निम्न स्तरीय 50 प्रतिशत आबादी के धन के बराबर है। धन की यह असमानता लोकतंत्र को प्रभावित करती है।

भारतीय असमानता का प्रारूप

  • ऑक्सफेम ने कहा कि 2018-2022 के बीच भारत में हर दिन 70 नए करोड़पति बनने का अनुमान है।
  • सर्वेक्षण में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि कैसे सरकारें सार्वजनिक सेवाओं, जैसे कि स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में असमानता को बढ़ा रही हैं, वहीं एक ओर जहाँ निगमों और अमीरों पर कर लगा रही हैं, और दूसरी ओर कर चोरी पर रोक लगाने में असफल हो रही हैं।
  • इस बढ़ती आर्थिक असमानता से महिलाएँ और लड़कियाँ सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। लाखों लड़कियाँ अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो जाती हैं तथा महिलाएँ मातृत्व देखभाल की कमी के चलते मर जाती हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले साल के 18 नए अरबपतियों को मिलाकर अब इनकी संख्या 119 हो गई, जबकि उनकी संपत्ति ने पहली बार 400 बिलियन डॉलर (28 लाख करोड़ रुपए) का आंकड़ा पार कर लिया।
  • यह 2017 में $ 325.5 बिलियन से बढ़कर 2018 में $ 440.1 बिलियन हो गया, जो 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है।

स्रोत – द हिंदू

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