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भारतीय अर्थव्यवस्था

पूर्वोत्तर क्षेत्र को कृषि निर्यात हब के रूप में बढ़ावा देने की रणनीति

  • 13 Jul 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उत्तर पूर्वी क्षेत्र, कृषि निर्यात, बागवानी।

मेन्स के लिये:

कृषि निर्यात में पूर्वोत्तर क्षेत्र का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (APEDA) ने पूर्वोत्तर (NE) राज्यों में उगाए जाने वाले कृषि और बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये एक रणनीति तैयार की है।

  • APEDA का लक्ष्य निर्यातकों के लिये सीधे उत्पादक समूहों तथा प्रोसेसरों से उत्पादों को प्राप्त करने के लिये असम में एक प्लेटफॉर्म का सृजन करना है।
  • यह प्लेटफॉर्म असम के उत्पादकों तथा प्रोसेसरों एवं देश के अन्य हिस्सों से निर्यातकों को जोड़ेगा जो असम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में निर्यात पॉकेट के आधार को विस्तारित करेगा

कृषि निर्यात में NER का महत्त्व:

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र भौगोलिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन तथा भूटान, म्यांँमार, नेपाल और बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएंँ साझा करता है जो इसे पड़ोसी देशों एवं साथ में विदेशी गंतव्य स्थानों को कृषि ऊपज के निर्यात के लिये संभावित हब बनाता है।
    • पिछले छह वर्षों में कृषि उत्पादों के निर्यात में 85.34% की वृद्धि देखी गई क्योंकि यह वर्ष 2016-17 में 2.52 मिलियन अमेरिकी डाॅलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 17.2 मिलियन अमेरिकी डाॅलर हो गया।
    • निर्यात का प्रमुख गंतव्य बांग्लादेश, भूटान, मध्य-पूर्व, यूके और यूरोप रहा है।
  • असम और उत्तर-पूर्व क्षेत्र के अन्य राज्यों में अनुकूल जलवायु स्थिति है तथा लगभग सभी कृषि एवं बागवानी फसलों को उगाने के लिये मृदा मौजूद है।
  • NER कई खराब होने वाली वस्तुओं, जैसे-केला, अनानास, संतरा और टमाटर के मामले में भारी बिक्री योग्य अधिशेष पैदा करता है।

NER को कृषि निर्यात हब के रूप में बढ़ावा देने हेतु पहल:

  • उत्तर-पूर्व क्षेत्र हेत मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCD-NER): यह 12वीं योजना अवधि के दौरान अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों में कार्यान्वयन के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) के तहत एक उप-मिशन है।
    • इस योजना का उद्देश्य उत्पादकों को उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के लिये मूल्य शृंखला मोड में प्रमाणित जैविक उत्पादन का विकास करना और आदानों, बीज, प्रमाणन से लेकर संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन तथा ब्रांड निर्माण पहल हेतु सुविधाओं के निर्माण तक संपूर्ण मूल्य शृंखला के विकास का समर्थन करना है।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम:
    • APEDA ने असम कृषि विश्वविद्यालय, ज़ोरहाट के साथ क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये पूर्व-कटाई और कटाई के बाद के प्रबंधन एवं अन्य अनुसंधान गतिविधियों पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  • आभासी क्रेता-विक्रेता बैठक:
    • कोविड -19 अवधि के दौरान APEDA ने अनानास, अदरक, नींबू, संतरा आदि की सोर्सिंग के संबंध में NER के निर्यातकों सहित विभिन्न देशों में स्थित भारत के दूतावासों के साथ वर्चुअल क्रेता-विक्रेता मीट के माध्यम से अपनी निर्यात योजनाओं को आगे बढ़ाना जारी रखा।
  • ट्रेड फेयर:
    • APEDA ने महामारी के दौरान आभासी व्यापार मेलों (Virtual Trade Fairs) का भी आयोजन किया और विदेशों में निर्यात की सुविधा प्रदान की।
  • स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग:
    • APEDA, कीवी वाईन, प्रसंस्कृत खाद्य, जोहा चावल पुलाव, काले चावल की खीर आदि का ताज़ा नमूना जैसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों की ब्रांडिंग तथा संवर्द्धन के लिये भी सहायता प्रदान करता है।
  • क्षमता निर्माण:
    • APEDA ने मूल्यवर्द्धन के लिये स्थानीय उत्पादों का उपयोग करने हेतु निर्माताओं, निर्यातकों और उद्यमियों हेतु कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किये।
  • खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा प्रबंधन पर कार्यशाला:
    • APEDA ने टिकाऊ खाद्य मूल्य शृंखला विकास के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात हेतु खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा प्रबंधन पर एक कार्यशाला की सुविधा प्रदान की।

स्रोत: पी.आई.बी.

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