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सिंगल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध

  • 29 Dec 2022
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कैंसर, तंबाकू, सिंगल स्टिक सिगरेट, गुटका, स्वास्थ्य, WHO।

मेन्स के लिये:

सिंगल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध और इसके निहितार्थ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने कैंसर प्रबंधन, रोकथाम एवं निदान के बारे में अपनी रिपोर्ट में सिंगल स्टिक सिगरेट (एकल सिगरेट) की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।

प्रतिबंधित करने की आवश्यकता:

  • कैंसर संबधी:
    • देश में कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले मुँह के कैंसर के हैं।
    • तंबाकू की भूमिका सभी तरह के कैंसरों में लगभग 50% है, जिसे सामूहिक रूप से तंबाकू से संबंधित कैंसर कहा जाता है।
  • सिंगल स्टिक सहज उपलब्ध: 
    • सिगरेट के पूरे पैक की तुलना में सिंगल स्टिक खरीदना अधिक किफायती है।
    • सिंगल-स्टिक की बिक्री पर प्रतिबंध एक संभावित उपभोक्ता को पूरे पैक को खरीदने के लिये मजबूर करेगा जो विशेष रूप से किफायती नहीं हो सकता है, इस प्रकार संभावित प्रयोग और नियमित सेवन की गुंज़ाइश पर अंकुश लगेगा।
    • इसके अलावा संभावित प्रतिबंध का मतलब यह भी होगा कि उपभोक्ता को पैकेट लेकर घूमना होगा।
  • उपयोग पर रिपोर्ट में चिंता: 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने पाया कि तंबाकू के सभी रूप हानिकारक हैं और तंबाकू के संपर्क में आने से कोई सुरक्षित नहीं है। 
      • इसमें यह भी कहा गया है कि सिगरेट पीना दुनिया भर में तंबाकू उपयोग का सबसे आम तरीका है।
    • मेडिकल जर्नल, लैंसेट ने जून 2020 में सूचित किया कि वर्ष 2030 तक धूम्रपान से होने वाली वार्षिक मौतों में से 7 मिलियन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होने की संभावना है। 
  • गंभीर आदी:
    • WHO के अनुसार, तंबाकू उत्पादों में निकोटीन के कारण इसके अत्यधिक नशे संबंधी प्रकृति का अर्थ है कि तंबाकू का उपयोग बंद करने की कोशिश करने वाले उपयोगकर्त्ताओं में से केवल 4% ही सफल होंगे।

सुझाव

  • तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाना: 
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) वर्ष 2025 तक वर्तमान तंबाकू के उपयोग में 30% की सापेक्ष कमी लाने हेतु प्रयासरत है, इसके लिये यह आवश्यक है कि सरकार तंबाकू उत्पादों की बिक्री को रोकने के लिये प्रभावी उपाय करे।
    • इस आशय के लिये यह अनुशंसा करता है कि सरकार सिंगल स्टिक सिगरेट की बिक्री पर रोक के साथ अपराधियों पर कठोर दंड और जुर्माना लगाए।   
  • धूम्रपान क्षेत्रों का उन्मूलन: 
    • सरकार को विभिन्न संगठनों में धूम्रपान-मुक्त नीति को प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त हवाई अड्डों, होटलों और रेस्तराँ में सभी निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों को समाप्त कर देना चाहिये।  
  • कर वृद्धि में मदद:
    • भारत में तंबाकू उत्पादों की कीमतें सबसे कम हैं और इस प्रकार वे अधिक सुलभ हैं, उन उत्पादों पर करों को बढ़ाना इसकी रोकथाम संबंधी एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
    • अतिरिक्त कराधान से प्राप्त राजस्व का उपयोग कैंसर की रोकथाम और जागरूकता के लिये किया जा सकता है।   
  • गुटखा पर प्रतिबंध: 
    • गुटका और पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ उनके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की गई है।
    • इस अवलोकन का आधार पर भारत में 80% से अधिक तंबाकू की खपत सुपारी के साथ या उसके बिना चबाने वाले तंबाकू के रूप में होती है, जिसका प्रचार माउथ फ्रेशनर के रूप में  किया जाता है।  

ह प्रतिबंध कितना प्रभावी हो सकता है?   

  • अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिबंध संभव नहीं:
    • खुदरा सिगरेट की बिक्री पर अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक नहीं है। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद बेचने वाली छोटी दुकानों और स्टालों के बड़े पैमाने पर होने के कारण यह बिल्कुल भी संभव नहीं है।
  • अवैध सिगरेट के व्यापार हेतु अन्य तरीकों की खोज पर बल देना : 
    • मान्य सिगरेट के रूप में कुल तंबाकू का केवल 8% सेवन किया जाता है। शेष की खपत 29 कर चोरी-प्रवण उत्पादों जैसे बीड़ी, चबाने वाले तंबाकू, खैनी और अवैध सिगरेट के माध्यम से की जाती है।
      • यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के अनुसार, 2021 में भारत में अवैध सिगरेट की मात्रा 26.8 बिलियन स्टिक होने का अनुमान लगाया गया था। भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा अवैध सिगरेट बाज़ार है। 
    • वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने से उन्हें प्राप्त करने के लिये अवैध रास्ता अपनाना पड़ता है। अवैध बाज़ार में सिगरेट और भी निम्न गुणवत्ता की हो जाती है जिससे व्यक्ति की भलाई से ज़्यादा और अधिक नुकसान हो सकता है।
  • वेंडर लाइसेंसिंग व्यवस्था का अभाव:
    • बहरहाल, प्रस्तावित कदम से खपत और बिक्री में कमी आएगी, लेकिन अगर वेंडर लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थापित नहीं की जाती है तो प्रतिबंध बहुत प्रभावी नहीं होगा।
    • सरकार को विक्रेता लाइसेंसिंग सुनिश्चित किये जाने पर भी विचार करना चाहिये।
    • क्योंकि सिगरेट हर जगह उपलब्ध नहीं होगी, खपत की पुनरावृत्ति की संभावना कम हो जाएगी।

भारत में तंबाकू नियंत्रण के उपाय

  • अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: 
    • देशों की सरकारें WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO FCTC) के तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को अपनाती और लागू करती हैं।
    • यह WHO के तत्त्वावधान में की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
    • इसे 21 मई, 2003 को विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाया गया और 27 फरवरी, 2005 को लागू किया गया था ।
  • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003:  
    • इसने 1975 के सिगरेट अधिनियम को प्रतिस्थापित किया (यह बड़े पैमाने पर वैधानिक चेतावनियों- 'सिगरेट धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है', के साथ सिगरेट पैक और विज्ञापनों में प्रदर्शित किया गया था तथा इसमें गैर-सिगरेट शामिल नहीं थे)।
    • 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चुरूट, पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटका भी शामिल थे।
  • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP), 2008:
    • उद्देश्य: तंबाकू की खपत को नियंत्रित करना और तंबाकू की खपत से संबंधित मौतों को कम करना
    • गतिविधियाँ: प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण; सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ; तंबाकू नियंत्रण कानून; रिपोर्टिंग सर्वेक्षण और निगरानी तथा तंबाकू की समाप्ति।
  • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2020:
    • यह अनिवार्य था कि निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी पैकेज के मुख्य प्रदर्शन क्षेत्र के कम-से-कम 85% हिस्स्से को कवर करे।
    • इसमें से 60% चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनी को कवर करेंगे और 25% पाठ्य स्वास्थ्य चेतावनी को कवर करेंगे।
  • एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम:
    • यह तंबाकू की समाप्ति के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली एक पहल है।
    • सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में भारत ने 2016 में पाठ संदेशों का उपयोग करते हुए mCessation लॉन्च किया था।
      • यह तंबाकू सेवन छोड़ने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति और उन्हें गतिशील समर्थन प्रदान करने वाले कार्यक्रम विशेषज्ञों के बीच दो-तरफा संदेश का उपयोग करता है।
  • प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम, 1981: यह अधिनियम धूम्रपान को वायु प्रदूषक के रूप में मानता है।
  • केबल टेलीविज़न नेटवर्क संशोधन अधिनियम, 2000: यह भारत में तंबाकू और शराब से संबंधित विज्ञापनों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाता है।
  • भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत विनियम जारी किये हैं, जिनमें यह निर्धारित किया गया है कि तंबाकू या निकोटीन का उपयोग खाद्य उत्पादों में नहीं किया जा सकता है।
  • तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

आगे की राह 

  • व्यापक तंबाकू नियंत्रण नीति, COTPA के कार्यान्वयन को मज़बूत करने वाली सुलभ और सस्ती  सेवाओं की समाप्ति, तंबाकू कृषक, प्रसंस्करण और विनिर्माण में लगे लोगों के लिये वैकल्पिक अवसरों की आवश्यकता है।
  • शिक्षा और जागरूकता के बढ़ते स्तर के साथ खुली सिगरेट खरीदने का अनुपात कम करना। अभियानों, स्कूलों में शैक्षिक कार्यक्रमों, मज़बूत और प्रमुख ग्राफिक के रूप में स्वास्थ्य चेतावनियों के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन से कारक/कारण बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं? (2020)

  1. स्वचालित वाहन द्वारा निष्कासित पदार्थ  
  2. तंबाकू का धुआँ और लकड़ी जलना 
  3. रोगन किये गए लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग 
  4. पॉलीयुरेथेन से बने उत्पादों का उपयोग करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3                  
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • बेंजीन (C6H6) एक रंगहीन, ज्वलनशील तरल पदार्थ है जिसमें एक मीठी गंध होती है। हवा के संपर्क में आने पर यह जल्दी वाष्पित हो जाता है। बेंजीन प्राकृतिक प्रक्रियाओं से बनता है, जैसे ज्वालामुखी और जंगलों की आग लेकिन बेंजीन के अधिकांश जोखिम मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
  • पर्यावरण में बेंजीन प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में स्वचालित वाहन द्वारा निष्कासित पदार्थ, औद्योगिक स्रोत, तंबाकू का धुआँ, लकड़ी जलाने और गैसोलीन भरने वाले स्टेशनों से ईंधन का वाष्पीकरण शामिल है। अत: कथन 1, 2 और 3 सही हैं।
  • कुछ उद्योग बेंजीन का उपयोग अन्य रसायनों को बनाने के लिये करते हैं जिनका उपयोग प्लास्टिक, फर्नीचर आदि बनाने के लिये  किया जाता है, वे बेंजीन प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हैं। अत: कथन 4 और 5 सही नहीं हैं।

अतः विकल्प (a) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक पादप-समूह ‘नवीन विश्व (न्यू वर्ल्ड)’ में कृषि-योग्य बनाया गया तथा इसका प्रचलन ‘प्राचीन विश्व (ओल्ड वर्ल्ड)’ में था?

(a) तंबाकू, कोको और रबड़
(b) तंबाकू, कपास और रबड़
(c) कपास, कॉफी और गन्ना
(d) रबड़, कॉफी और गेहूँ

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • नवीन विश्व अमेरिका को संदर्भित करता है, जिसे कोलंबस ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान खोजा था। 15वीं शताब्दी के दौरान प्राचीन विश्व के महाद्वीपों में एशिया, अफ्रीका और यूरोप शामिल थे।
  • तंबाकू अमेरिकी कृषि में सबसे महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है और उत्तर एवं दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों की मूल उपज है। पहली बार प्राचीन विश्व को इसके बारे में तब ज्ञात हुआ जब 15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान यूरोपीय खोजकर्त्ताओं ने इसे एक दवा के रूप में तथा मूल अमेरिकियों द्वारा एक   मतिभ्रमक (Hallucinogen) के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • प्राकृतिक रबड़ के वृक्ष दक्षिणी अमेरिका के मूल वृक्ष हैं और वहीं से इसे प्राचीन विश्व में पेश किया गया। कोको का वृक्ष भी अमेज़न बेसिन का मूल वृक्ष है, जिसे प्राचीन विश्व से नवीन विश्व में पेश किया गया था।
  • कपास और गेहूँ का उत्पादन सिंधु घाटी सभ्यता में किया जाता था, अतः ये दोनों फसलें प्राचीन विश्व की मूल फसलें हैं।

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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