विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पृथ्वी-II मिसाइल
- 16 Jun 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी- II का रात में सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- इससे पहले इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि- IV का परीक्षण किया गया था जो 4,000 किमी. की दूरी तय कर सकती है।
पृथ्वी-II मिसाइल की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- पृथ्वी-II एक स्वदेश में विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है, जिसकी रेंज लगभग 250-350 किमी. है और यह एक टन पेलोड ले जा सकती है ।
- पृथ्वी-II वर्ग एक एकल-चरण तरल-ईंधन वाली मिसाइल है, जिसमें 500-1000 किग्रा. की वारहेड माउंटिंग क्षमता है।
- यह मिसाइल प्रणाली बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम है।
- अत्याधुनिक मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने के लिये कुशल प्रक्षेपवक्र के साथ एक उन्नत जड़त्वीय मार्गदर्शन प्रणाली का उपयोग करती है।
- इसे शुरू में भारतीय वायुसेना के लिये प्राथमिक उपयोगकर्त्ता के रूप में विकसित किया गया था और बाद में इसे भारतीय सेना में भी शामिल किया गया था।
- जबकि मिसाइल को 2003 में पहली बार भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया था, यह IGMDP के तहत विकसित पहली मिसाइल थी।
- निर्माण:
पृथ्वी मिसाइल:
- पृथ्वी मिसाइल प्रणाली में विभिन्न सामरिक सतह से सतह पर कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) शामिल हैं।
- इसका विकास वर्ष 1983 में शुरू हुआ और यह भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल थी।
- इसका पहला परीक्षण वर्ष1988 में श्रीहरिकोटा, शार (SHAR) सेंटर से किया गया था।
- इसकी रेंज 150-300 किमी. है।
- पृथ्वी I और पृथ्वी III श्रेणी की मिसाइलों के नौसैनिक संस्करण का कोड-नाम धनुष है।
- प्रणोदन तकनीक सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल पर आधारित थी।
- सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:
- वर्ष 1950 के दशक के मध्य में विकसित, सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सोवियत संघ की सतह से हवा में मार करने वाली पहली प्रभावी मिसाइल थी।
- इसे सारिक परमाणु हथियार के रूप में युद्धक्षेत्र मिसाइल हेतु डिज़ाइन किया गया था जो परमाणु हथियार ले जा सकता था।
- सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:
- पृथ्वी I मिसाइल वर्ष 1994 से भारतीय सेना में सेवारत है।
- कथित तौर पर, प्रहार मिसाइलों को पृथ्वी I मिसाइलों से बदला जा रहा है।
- पृथ्वी II मिसाइलें वर्ष 1996 से सेवा में हैं।
- 350 किमी. की अधिक विस्तारितरेंज वाले पृथ्वी III का वर्ष 2004 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP):
- परिचय:
- IGMDP मिसाइलों की एक विस्तृत शृंखला के अनुसंधान और विकास के लिये भारतीय रक्षा मंत्रालय का एक कार्यक्रम था।
- परियोजना वर्ष 1982-1983 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में शुरू हुई थी
- इस कार्यक्रम ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का मिसाइल मैन बना दिया।
- एकीकृत निर्देशित मिसाइल कार्यक्रम वर्ष 2008 में पूरा हुआ था।
IGMDP के तहत विकसित पाँच मिसाइलें:
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
- पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
- अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)।
- त्रिशूल: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल।
- आकाश: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. अग्नि-IV मिसाइल के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल1 उत्तर: (a)
अत: विकल्प (a) सही उत्तर है। |