नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय राजनीति

उचित एकोमोडेशन का सिद्धांत

  • 21 Mar 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), सर्वोच्च न्यायालय, हिजाब, मौलिक अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित मामले, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016।

मेन्स के लिये:

उचित आवास' का सिद्धांत, मौलिक अधिकार, न्यायपालिका, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप, महिलाओं से संबंधित मुद्दे, धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित मामले।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हिजाब विवाद के संदर्भ में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के परिपत्र के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को केवल ज़रूरी निर्धारित ड्रेस/वेशभूषा पहननी चाहिये।

  • इस निर्णय ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने वाले छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से बरकरार रखा।
  • न्यायालय ने मुस्लिम लड़कियों को 'उचित आवास' के सिद्धांत पर आधारित स्कार्फ/हिजाब पहनने की अनुमति देने के समर्थन में दिये गए एक तर्क को खारिज कर दिया।

प्रमुख बिंदु

'उचित एकोमोडेशन' का सिद्धांत:

  • उचित एकोमोडेशन' के सिद्धांत के बारे में: 'उचित एकोमोडेशन' एक सिद्धांत है जो समानता को बढ़ावा देता है, सकारात्मक अधिकार प्रदान करने में सक्षम बनाता है और दिव्यांग, स्वास्थ्य की स्थिति या व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर भेदभाव को रोकता है।
    • इसका उपयोग मुख्य रूप से दिव्यांगता अधिकार क्षेत्र (Disability Rights Sector) में होता है।
    • यह दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में उनकी पूर्ण और प्रभावी भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिये अतिरिक्त सहायता प्रदान करने हेतु राज्य एवं निजी संस्थानों के सकारात्मक दायित्व को दर्शाता है।
    • यदि विकलांग व्यक्ति को कोई अतिरिक्त समर्थन नहीं दिया जाता है, तो संवैधानिक रूप से गारंटीकृत समानता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद-14), छह स्वतंत्रताओं (अनुच्छेद-19) और जीवन के अधिकार (अनुच्छेद-21) का महत्त्व नहीं रह जाएगा।
  • विकलांग लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का अनुच्छेद-2 (UNCRPD): यह आवश्यक एवं उचित समायोजन है, जिसके मुताबिक विकलांग व्यक्तियों पर किसी भी प्रकार का असंगत या अनुचित बोझ न डाला जाए, ताकि वे अन्य लोगों की तरह अपने सभी मानवाधिकारों का लाभ ले सकें।

reasonable-accomodation

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) केस स्टडी:

  • ILO वर्ष 2016 में कार्यस्थल समायोजन के माध्यम से विविधता और समावेश को बढ़ावा देने के लिये एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका लेकर आया था।
  • कार्यस्थल आवास की आवश्यकता विभिन्न स्थितियों में उत्पन्न हो सकती है, लेकिन इसके तहत श्रमिकों की चार श्रेणियों को चुना गया था:
    • विकलांग श्रमिक।
    • एचआईवी और एड्स से पीड़ित श्रमिक।
    • गर्भवती श्रमिक और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों वाले लोग।
    • एक विशेष धर्म या विचारधारा के लोग।
  • श्रमिकों की इन श्रेणियों को काम के दौरान विभिन्न प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इनके परिणामस्वरूप या तो रोज़गार का नुकसान हो सकता है या रोज़गार तक पहुँच में कमी हो सकती है।
  • उचित आवास का प्रावधान इन बाधाओं को दूर करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है और इस प्रकार कार्यस्थल पर समानता, विविधता और समावेश में अधिक से अधिक योगदान देता है।
  • एक संशोधित कार्य वातावरण, संक्षिप्त या चौंका देने वाली कार्यावधि, पर्यवेक्षी कर्मचारियों से अतिरिक्त सहायता तथा कम कार्य प्रतिबद्धताएँ ऐसे तरीके हैं जिनसे आवास बनाया जा सकता है।

विगत वर्षों के प्रश्न

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अभिसमय 138 और 182 संबंधित हैं: (2018)

(a ) बाल श्रम
(b) वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिये कृषि पद्धतियों का अनुकूलन
(c) खाद्य कीमतों और खाद्य सुरक्षा का विनियमन
(d) कार्यस्थल पर लैंगिक समानता

उत्तर: (a)

भारत में इससे संबंधित कानून:

  • भारत में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 'उचित आवास' को "आवश्यक और उचित संशोधन एवं समायोजन, किसी विशेष मामले में एक असमान या अनुचित बोझ डाले बिना, विकलांग व्यक्तियों के लिये दूसरों के साथ समान रूप से अधिकारों का प्रयोग सुनिश्चित करने" आदि के रूप में परिभाषित करता है।
    • धारा 2(h) में 'भेदभाव' की परिभाषा में 'उचित आवास से इनकार' शामिल है।
  • जीजा घोष और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2016): सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि समानता का मतलब न केवल भेदभाव को रोकना है, बल्कि समाज में व्यवस्थित भेदभाव से पीड़ित समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना भी है।
    • कठोर शब्दों में इसका अर्थ “सकारात्मक अधिकारों, सकारात्मक कार्रवाई और उचित समायोजन की धारणा को अपनाने से है।"
  • विकाश कुमार बनाम यूपीएससी (2021): न्यायालय ने फैसला सुनाया कि बेंचमार्क विकलांगता, जो कि 40% की सीमा तक निर्दिष्ट एक विकलांगता है, दिव्यांगों के लिये केवल रोज़गार में विशेष आरक्षण से संबंधित है, लेकिन अन्य प्रकार की एकोमोडेशन के लिये प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं है।
    • यह भी कहा गया कि भेदभाव के संबंध में उचित एकोमोडेशन प्रदान करने में विफलताएँ देखने को मिली हैं।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: भारत लाखों दिव्यांग व्यक्तियों का घर है। उनके लिये कानून के अंतर्गत क्या लाभ उपलब्ध हैं? (2011)

  1. सरकारी स्कूलों में 18 साल की उम्र तक मुफ्त स्कूली शिक्षा।
  2. व्यवसाय स्थापित करने के लिये भूमि का अधिमान्य आवंटन।
  3. सार्वजनिक भवनों में रैंप।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow