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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रधानमंत्री की थाईलैंड यात्रा

  • 06 Nov 2019
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, कुआलालंपुर घोषणा, म्याँमार, थाईलैंड एवं इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-आसियान से संबंधित मुद्दे, एक्ट ईस्ट पाॅलिसी की आवश्यकता और प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 02-04 नवंबर, 2019 तक थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा की।

  • इस यात्रा के दौरान उन्होंने 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS) में भाग लिया, इसके अतिरिक्त म्याँमार, थाईलैंड एवं इंडोनेशिया के राष्ट्रप्रमुखों से द्विपक्षीय वार्ता की

16वाँ भारत-आसियान शिखर सम्मेलन:

  • शिखर सम्मेलन के दौरान समुद्री सुरक्षा (Maritime Security) और नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy), व्यापार एवं निवेश, कनेक्टिविटी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के साथ-साथ भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक मोर्चे पर लोगों के बीच जुड़ाव, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, मानवीय सहायता और पर्यटन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • इस क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिये भारत-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के मध्य भारत के दृष्टिकोण को समन्वित रखने पर ज़ोर दिया गया, साथ ही दोनों क्षेत्रों में बढ़ती चीन की मुखरता को संतुलित करने की बात की गई।
  • इसके साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में 'सवसदी पीएम मोदी ’ (Sawasdee PM Modi) कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया।
  • थाई भाषा में, 'सवसदी' शब्द का प्रयोग अभिवादन और अलविदा के लिये प्रयोग किया जाता है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन:

  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने हेतु बेहतर तैयारी, कट्टरपंथ और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से निपटने के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) तथा इससे संबंधित अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ समन्वय को बेहतर बनाने की बात कही गई।
  • इस सम्मेलन में एक घोषणापत्र जारी किया गया जिसमें आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिये प्रभावी उपायों को अपनाने का आह्वान किया गया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) के साथ FATF के बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन की बात कही गई।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बारे में:

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2005 में स्थापित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने मौज़ूद प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर रणनीतिक बातचीत एवं सहयोग के लिये 18 देशों का एक मंच है। इसकी संकल्पना वर्ष 1991 में मलेशिया के तात्कालीन प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद द्वारा की गई थी।
  • इसका पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के दौरान कुआलालंपुर घोषणा (Kuala Lumpur Declaration) की गई थी।
  • इस घोषणा के अनुसार- यह पूर्वी एशिया में शांति, आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये रणनीतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों पर बातचीत के लिये एक खुला मंच है।

सदस्य:

  • इसमें आसियान के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) के 6 देश (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया) और रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • भारत इस संगठन का संस्थापक सदस्य है।
  • यह मंच विश्व की जनसंख्या का लगभग 54% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 58% कवर करता है।
  • यह एक आसियान केंद्रित मंच है, इसकी अध्यक्षता केवल आसियान सदस्य ही कर सकते हैं।
  • इस वर्ष इसकी अध्यक्षता थाईलैंड कर रहा है, इसके पहले वर्ष 2018 में इसकी अध्यक्षता सिंगापुर द्वारा की गई थी।

सहयोग के क्षेत्र:

  1. पर्यावरण और ऊर्जा
  2. शिक्षा
  3. वित्त
  4. वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे और महामारी रोग
  5. प्राकृतिक आपदा प्रबंधन
  6. आसियान कनेक्टिविटी

भारत सभी छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करता है।

सम्मेलन में अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक:

1. भारत-म्याँमार:

  • भारत की एक्ट ईस्ट पाॅलिसी (Act East Policy) यानी पूर्व की ओर देखो नीति के तहत म्याँमार की अवस्थिति भारत के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत म्याँमार के माध्यम से सुदूर दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपनी पहुँच स्थापित कर सकता है, इसलिये भारत इस क्षेत्र में स्थिरता और शांतिपूर्ण सीमा प्रबंधन पर ज़ोर दे रहा है। इसके अतिरिक्त सड़कों, बंदरगाहों का निर्माण और हवाई संपर्क के विस्तार का भी प्रयास किया जा रहा है।
  • भारत के अनुसार, वह म्याँमार के साथ पुलिस, सैन्य और सिविल सेवकों, साथ ही छात्रों एवं नागरिकों के लिये क्षमता विस्तार कार्यक्रम जैसे समर्थन जारी रखेगा।
  • भारत की योजना है कि नवंबर 2019 के अंत में यंगून में CLMV देशों (कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम {Cambodia, Laos, Myanmar, and Vietnam CLMV)} के लिये एक व्यावसायिक कार्यक्रम आयोजित किया जाए।

Myanmar

2. भारत-इंडोनेशिया:

  • भारत और इंडोनेशिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग, शांति एवं सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने हेतु सहमति व्यक्त की है।
  • भारत इंडोनेशिया के साथ मिलकर रक्षा, सुरक्षा, संपर्क, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच आदान-प्रदान को मज़बूत करने का कार्य कर रहा है।
  • भारत ने इंडोनेशिया के बाज़ार में भारतीय कमोडिटीज, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोटिव और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की ज़्यादा पहुँच की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • 2019 में भारत और इंडोनेशिया बीच वर्ष राजनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ मनाई गई।

Indonesia

भारत-थाईलैंड:

  • भारत एवं थाईलैंड ने व्यापार, संस्कृति एवं रक्षा उद्योग क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में सहयोग हेतु सहमति व्यक्त की। इसके अतिरिक्त दोनों देशों ने भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को और मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • थाईलैंड 4.0 के माध्यम से स्वयं को मूल्य-आधारित अर्थव्यवस्था (Value-Based Economy) में बदलने की पहल कर रहा है। भारत द्वारा क्रियान्वित की जा रही है डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी और जल जीवन मिशन इत्यादि योजनाओं में दोनों देशों के बीच सहयोग की असीम संभावना है।

Thailand

स्रोत: PIB

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