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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

UNSC में भारत की अध्यक्षता

  • 02 Dec 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

UNSC संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, COVID -19 महामारी,

मेन्स के लिये:

वार्ता और सहयोग के माध्यम से सामान्य सुरक्षा को बढ़ावा देना, UNSC की बैठक।

चर्चा में क्यों ?

1 दिसंबर को, भारत ने वर्ष 2021-22 में परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने दो वर्ष के कार्यकाल में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता संभाली है।

  • भारत ने इससे पहले अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता संभाली थी।

भारत की अध्यक्षता में आगे की राह:

  • बहुपक्षवाद में सुधार:
    • भारत सुरक्षा परिषद में "अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हेतु: सुधारवादी बहुपक्षवाद (NORMS) हेतु नवीन अभिविन्यास (New Orientation for Reformed Multilateralism- NORMS)" पर "उच्च स्तरीय खुली चर्चा" आयोजित करेगा।
      • मानदंडों में वर्तमान बहुपक्षीय संरचना में सुधारों की परिकल्पना की गई है, जिसके केंद्र में संयुक्त राष्ट्र है, ताकि इसे अधिक प्रतिनिधिक और उद्देश्य के लिये उपयुक्त बनाया जा सके।
  • आतंकवाद को रोकना:
    • 'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्रारास्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये खतरा: आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये वैश्विक दृष्टिकोण- चुनौतियाँ और आगे की राह विषय पर उच्च स्तरीय ब्रीफिंग की योजना बनाई गई है।
      • यह ब्रीफिंग आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिये सामूहिक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करने का इरादा रखती है। अंतर

UNSC:

  • परिचय:
    • सुरक्षा परिषद की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
      • संयुक्त राष्ट्र के अन्य 5 अंग हैं - महासभा (UNGA), ट्रस्टीशिप काउंसिल, आर्थिक और सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और सचिवालय।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्रारास्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के जनादेश के साथ, वैश्विक बहुपक्षवाद का केंद्र बिंदु है।
    • महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा की जाती है।
    • UNSC और UNGA संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करते हैं।
  • संरचना:
    • UNSC का गठन 15 सदस्यों (5 स्थायी और 10 गैर-स्थायी) द्वारा किया गया है।
    • सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन हैं।
    • गौरतलब है कि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो वर्ष की अवधि के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है।
      • पाँच सदस्य एशियाई या अफ्रीकी देशों से,
      • दो दक्षिण अमेरिकी देशों से,
      • एक पूर्वी यूरोप से और
      • दो पश्चिमी यूरोप या अन्य
  • भारत की सदस्यता:
    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में सात बार सेवा की है और जनवरी 2021 में भारत ने आठवीं बार UNSC की अस्थायी सदस्यता ग्रहण की है।
    • भारत UNSC में एक स्थायी सीट की वकालत करता रहा है।
  • मतदान की शक्तियाँ:
    • सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। सभी मामलों पर सुरक्षा परिषद के निर्णय स्थायी सदस्यों सहित नौ सदस्यों के सकारात्मक मत द्वारा लिये जाते हैं, जिसमें सदस्यों की सहमति अनिवार्य है।
    • पाँच स्थायी सदस्यों में से यदि कोई एक भी प्रस्ताव के विपक्ष में वोट देता है तो वह प्रस्ताव पारित नहीं होता है।
  • कार्य:
    • UNSC मध्यस्थता के माध्यम से पक्षकारों को एक समझौते तक पहुँचने, विशेष दूत नियुक्त करने, संयुक्त राष्ट्र मिशन भेजने या विवाद को सुलझाने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध करने में मदद करके शांति प्रदान करता है।
    • यह जनादेश के विस्तार, संशोधन या समाप्ति के लिये भी मतदान कर सकता है।
    • सुरक्षा परिषद महासचिव और परिषद सत्रों की आवधिक रिपोर्ट के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के कार्य की देखरेख करती है। यह अकेले इन कार्यों के संबंध में निर्णय ले सकती है, जिसे लागू करने के लिये सदस्य राज्य बाध्य हैं।

UNSC से संबद्ध चुनौतियाँ:

  • प्रासंगिकता में कमी:
    • प्रासंगिकता और विश्वसनीयता खोने के लिये परिषद की आलोचना की जाती है।
      • भारत के विदेश मंत्री के अनुसार, UNSC में संकीर्ण नेतृत्त्व है और एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है, इसलिये "रिफ्रेश बटन" के लिये दबाव डालने का आह्वान किया गया है।
  • बहुपक्षवाद की कमी:
    • सीरियाई युद्ध संकट और कोविड -19 महामारी के मद्देनजर परिषद के बहुपक्षवाद की कमी की भी आलोचना की गई है।
  • प्रतिनिधित्त्व में कमी:
    • 54 देशों वाले महत्त्वपूर्ण महाद्वीप- अफ्रीका की अनुपस्थिति के कारण कई वक्ताओं का दावा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कम प्रभावी है क्योंकि इसमें क्षेत्रीय प्रतिनिधित्त्व में कमी है।
  • वीटो शक्ति का दुरुपयोग:
    • कई विशेषज्ञों और अधिकांश राज्यों ने वीटो शक्ति की लगातार आलोचना की है, इसे "विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का स्वयं-चुना हुआ क्लब" और अलोकतांत्रिक बताया गया है तथा कोई निर्णय P-5 में से किसी एक सदस्य देश के हित में न होने पर यह परिषद महत्त्वपूर्ण निर्णयों पर भी रोक लगाती है।
      • P5 सदस्य देशों के रूप में वर्तमान वैश्विक व्यवस्था को देखे तो इनमे से तीन देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन ऐसे देश हैं जो कुछ वैश्विक भू-राजनीतिक मुद्दों के केंद्र बिंदु हैं जैसे- ताइवान मुद्दा और रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा

आगे की राह:

  • केवल P5 देशों के विशेषाधिकारों को संरक्षित करने की अपेक्षा वैश्विक स्तर के अनेक मुद्दे हैं जिन पर UNSC को ध्यान देना चाहिये।
    • P5 देशों और शेष विश्व के बीच शक्ति असंतुलन संबंधी सुधार की आवश्यकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों में, इसके चार्टर में और वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में सुधारित बहुपक्षवाद में विश्वास बनाए रखने के लिये UNSC में मूलभूत चुनौतियों का सख्ती से विश्लेषण किया जाना चाहिये तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से निपटान किया जाना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स

प्रश्न. UN की सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य होते हैं और शेष 10 सदस्यों का चुनाव कितनी अवधि के लिये महासभा द्वारा किया जाता है? (2009)

(a) 1 वर्ष
(b) 2 वर्ष
(c) 3 वर्ष
(d) 5 वर्ष

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट प्राप्त करने में भारत के सामने आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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