प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) | 12 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), आत्मनिर्भर भारत, किसान क्रेडिट कार्ड।

मेन्स के लिये:

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), इसकी उपलब्धियाँ, महत्त्व और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की दूसरी वर्षगाँठ मनाई गई।

  • PMMSY ने वर्ष 2024-25 के अंत तक 68 लाख रोज़गार सृजन की परिकल्पना की है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMSSY):

  • परिचय:
    • PMMSY मत्स्य क्षेत्र पर केंद्रित एक सतत् विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक (5 वर्ष की अवधि के दौरान) सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है।
    • PMMSY के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपए का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे अधिक निवेश है।
    • मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

PMMSY

  • लक्ष्य और उद्देश्य:
    • PMMSY का उद्देश्य ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ावा देना है।
    • PMMSY का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में 'सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण' है।
    • PMMSY योजना में निम्नलिखित सुधारों और पहलों को शामिल किया गया है:
      • मूल और विस्तृत बुनियादी ढाँचा विकास
      • निम्नलिखित प्रयासों के माध्यम से भारतीय मात्स्यिकी का आधुनिकीकरण:
        • मछली पकड़ने के बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों को बढ़ावा
        • पारंपरिक मछुआरों के क्राफ्ट-ट्रॉलर-डीप समुद्र में जाने वाले जहाज ोेका आधुनिकीकरण और यांत्रिकीकरण
        • पोस्‍ट हारवेस्‍ट हानि को कम करने के लिये पोस्‍ट हारवेस्‍ट सुविधाओं का प्रावधान
        • कोल्ड चेन की सुविधा
        • स्वच्छ मछली बाज़ार
        • बर्फ के बक्से वाले दोपहिया वाहन और ऐसी अन्य सुविधाएँ
  • उपलब्धियाँ:
    • मत्स्य क्षेत्र ने वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2021-22 तक 14.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है।
      • मछली उत्पादन जो कि वर्ष 2019-20 में 141.64 लाख टन था, वर्ष 2021-22 में सर्वकालिक उच्च स्तर 161.87 लाख टन (अनंतिम) पर पहुँच गया।
      • निर्यात में भी हमने 13.64 लाख टन के सर्वाधिक निर्यात स्‍तर को हासिल कर लिया है, जिसका मूल्य 57,587 करोड़ रुपए है, जो झींगा के निर्यात के प्रभुत्व को दर्शाता है।
      • वर्तमान में चीन, थाईलैंड, जापान, ताइवान, ट्यूनीशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, कुवैत आदि सहित 123 देशों को निर्यात हो रहा है।
    • PMMSY ने 22 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में बीमा कवरेज के तहत 31.47 लाख किसानों को सहायता प्रदान की है।
  • कार्यान्वयन:
    • इसे दो अलग-अलग घटकों के साथ एक अम्ब्रेला योजना के रूप में लागू किया गया है:
      • सभी उप-घटक/गतिविधियाँ राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा कार्यान्वित की जाएंगी और लागत केंद्र एवं राज्य के बीच साझा की जाएगी।
  • आगामी योजना:
    • विशेष रूप से उत्तरी भारत के लवणीय और क्षारीय क्षेत्रों मेमत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • इसके अलावा जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें बीमारियों, एंटीबायोटिक और अवशेषों के मुद्दों को शामिल किया जाएगा जो एक एकीकृत प्रयोगशाला नेटवर्क द्वारा समर्थित होगा।

आगे की राह

  • मत्स्य पालन और मछली किसान PMMSY के केंद्र में शामिल हैं। हमारे जलाशयों और प्राकृतिक संसाधनों की वास्तविक क्षमता का उपयोग प्रौद्योगिकी व सार्वजनिक भंडारण तथा नदी एवं समुद्री पशुपालन कार्यक्रम द्वारा जल निकायों के कायाकल्प के माध्यम से किया जा सकता है।
  • उत्पादकता के मामले में भारत को वैश्विक मानचित्र में शीर्ष पर लाने के लिये मत्स्य पालन में वैज्ञानिक प्रथाओं को अपनाया जाना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी.